गोरखपुर: शहर की बेटियों ने भी आईएएस की परीक्षा में अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया है. रूपल श्रीवास्तव ने जहां इस परीक्षा में 113 वीं रैंक लाकर अपनी कड़ी मेहनत का परिचय दिया है. रूपल को यह सफलता तीसरे प्रयास में मिली है. उन्होंने इसका श्रेय माता-पिता को दिया है. रूपल श्रीवास्तव ने बताया कि वह अपने पिता से काफी प्रभावित हैं. जिनको एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए वह बचपन से देखती आ रही हैं. मौजूदा समय में उनके पिता डॉ. अभय कुमार श्रीवास्तव जालौन के मुख्य विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं. पिता भी बेटी की सफलता से गदगद हो उठे हैं. रूपल की मां डॉ. अमृता श्रीवास्तव गोरखपुर के डीएवी पीजी कॉलेज में समाजशास्त्र की एसोसिएट प्रोफेसर हैं.
रूपल कहती हैं कि असफलता से कमजोर न हो, बल्कि उसे ही अपना हथियार बनाकर सफलता का माध्यम बना लें. अपनी कमियों को पहचाने उसे नोट करें और उस से बेहतर करते हुए आगे बढें, सफलता मिलेगी ही. पढ़ाई के लिए घंटे तो मायने रखते हैं लेकिन उसमें डेडीकेशन का बड़ा महत्व है. इंजीनियरिंग की छात्रा और बतौर इंजीनियर टाटा में काम करने के बाद, आईएएस की तैयारी में लगी रूपल को यह सफलता भूगोल विषय में बेहतरीन पकड़ के आधार पर मिली है.
शहर के मोहद्दीपुर चार फाटक की रहने वाली दृष्टि जायसवाल ने भी यूपीएससी परीक्षा में आल इंडिया 225वीं रैंक हासिल की है. वह जनरल मर्चेंट का कारोबार करने वाले अपने पिता के कठिन परिश्रम को अपनी सफलता का सबसे बड़ा आधार मानती हैं, जो उन्हें निरंतर प्रयास करने से जोड़े रखता है. दृष्टि ने तैयारी करने वाले युवाओं को सफलता का मंत्र भी दिया है. उन्हें लगातार चौथे प्रयास में यह सफलता मिली है. वह तैयारी करने वाले युवाओं को संदेश देते हुए कहती हैं कि असफलता से घबराएं नहीं. असफलता का मतलब ये नहीं है कि आप पीछे हट जाएं. डटें रहें और लगातार प्रयास करते रहें.
सफलता के लिए प्रयास करते रहना जरूरी है. इसका कोई विकल्प नहीं है. दृष्टि के पिता रामशंकर जायसवाल बिजनेसमैन हैं और मां सुनीता जायसवाल गृहणी हैं. दृष्टि का एक भाई है जो दिल्ली में एक बैंक में कार्यरत हैं. उनका परिवार मूलतः गोरखपुर के बांसगांव के विशुनपुर का रहने वाला है. दृष्टि ने बीएससी करने के बाद समाजशास्त्र विषय से आईएएस की तैयारी शुरू की और आज इस मुकाम को हासिल किया है.
हालांकि, वर्तमान में वह बिहार के पंचायती राज विभाग में कार्यरत हैं. लेकिन, इस सफलता ने उन्हें और उनके परिवार को आनंदित कर दिया है. दृष्टि के पिता रमाशंकर जायसवाल को बहुत खुशी है. वह कहते हैं कि बच्चों को हर तरह से सपोर्ट करने की जरूरत है. दृष्टि की मां सुनीता जायसवाल कहती हैं कि बिटिया बचपन से ही मेधावी रही है. उसकी मेहनत को देखकर यह विश्वास रहा कि उसे एक दिन सफलता जरूर मिलेगी.
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