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गोरखपुर: चीनी ही नहीं बिजली भी बेच रही पिपराइच मिल, जानिए इस वर्ष कितने करोड़ का लक्ष्य

गोरखपुर का क्षेत्र गन्ना उत्पादन में बड़ी भूमिका अदा करता है. यहां की पिपराइच चीनी मिल अपने पहले सत्र में जहां 45 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, वहीं यहां से 16 करोड़ रुपए की बिजली भी पैदा की गई थी. इस वर्ष यहां से 20 करोड़ की बिजली बेचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

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चीनी ही नहीं बिजली भी बेच रही पिपराइच मिल
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Published : Oct 10, 2020, 4:01 PM IST

गोरखपुर: पूर्वांचल का यह इलाका गन्ना उत्पादन में बड़ी भूमिका अदा करता है. यही वजह है कि प्रदेश की योगी सरकार में यहां पर पिपराइच में एक नई चीनी मिल का निर्माण पूरा हुआ, जो किसानों के साथ सरकार के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. यह चीनी मिल सिर्फ चीनी उत्पादन ही नहीं कर रही बल्कि बिजली उत्पादन के माध्यम से आसपास के क्षेत्रों में रोशनी फैलाने का भी काम कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में इसे बनवाया ही नहीं बल्कि 17 नवंबर 2019 को इसके पहले पेराई सत्र का उन्होंने शुभारंभ भी किया था. जिसका विधिवत संचालन 28 नवंबर 2019 से हुआ था.

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चीनी ही नहीं बिजली भी बेच रही पिपराइच मिल
पिपराइच की चीनी मिल अपने पहले सत्र में जहां 45 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, वहीं यहां से 16 करोड रुपए की बिजली भी पैदा की गई थी. बिजली स्थानीय हाटा ट्रांसमिशन सेंटर को बेची गई थी. गन्ना उपायुक्त पूजा पाल के अनुसार मिल प्रबंधन ने इस सत्र में 65 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा है. वहीं 20 करोड़ रुपए की बिजली भी बेचने के लिए वह तैयारी कर चुका है. इस वर्ष चीनी मिल 10 से 20 नवंबर के बीच अपना नया पेराई सत्र शुरू करेगी. इसके पेराई की क्षमता प्रतिदिन 50 हजार कुंतल की है और 27 मेगावाट बिजली भी यह प्रतिदिन उत्पादन कर सकती है. पिछले सत्र की बात करें तो 24 से 25 मेगावाट प्रतिदिन बिजली इस मिल ने पैदा की है, जिससे अपने परिसर में भी प्रकाश फैलाया और हटा ट्रांसमिशन को भी 16 करोड़ की बिजली बेचने में कामयाब रही.
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चीनी ही नहीं बिजली भी बेच रही पिपराइच मिल
गन्ना की पेराई के साथ गन्ना मूल्य के भुगतान में भी यह मिल काफी आगे है. करीब 85 प्रतिशत मूल्य का भुगतान अभी तक किसानों को हो चुका है. इस मिल में को-जनरेशन पावर प्लांट लगाया गया है जो मुख्यमंत्री की रूचि के हिसाब से हुआ है. इसमें गन्ने की खोई से बिजली पैदा की जाती है. सरकार की योजना यहां के गन्ने के रस से एथेनाल बनाने की भी है. इस क्षेत्र की पुरानी मिल के बंद हो जाने से गन्ना किसानों में काफी मायूसी थी. योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद यहां चीनी मिल स्थापना को लेकर संघर्ष भी करते रहे हैं. यह संयोग ही है कि वह अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में जो भी समस्या उन्होंने गोरखपुर के विकास और किसानों से जुड़ी देखी है उसको एक- एक करके पूरा करने में जुटे हैं. जिसमें पिपराइच की चीनी मिल, मील का पत्थर साबित हो रही है.

गोरखपुर: पूर्वांचल का यह इलाका गन्ना उत्पादन में बड़ी भूमिका अदा करता है. यही वजह है कि प्रदेश की योगी सरकार में यहां पर पिपराइच में एक नई चीनी मिल का निर्माण पूरा हुआ, जो किसानों के साथ सरकार के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. यह चीनी मिल सिर्फ चीनी उत्पादन ही नहीं कर रही बल्कि बिजली उत्पादन के माध्यम से आसपास के क्षेत्रों में रोशनी फैलाने का भी काम कर रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल में इसे बनवाया ही नहीं बल्कि 17 नवंबर 2019 को इसके पहले पेराई सत्र का उन्होंने शुभारंभ भी किया था. जिसका विधिवत संचालन 28 नवंबर 2019 से हुआ था.

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चीनी ही नहीं बिजली भी बेच रही पिपराइच मिल
पिपराइच की चीनी मिल अपने पहले सत्र में जहां 45 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, वहीं यहां से 16 करोड रुपए की बिजली भी पैदा की गई थी. बिजली स्थानीय हाटा ट्रांसमिशन सेंटर को बेची गई थी. गन्ना उपायुक्त पूजा पाल के अनुसार मिल प्रबंधन ने इस सत्र में 65 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा है. वहीं 20 करोड़ रुपए की बिजली भी बेचने के लिए वह तैयारी कर चुका है. इस वर्ष चीनी मिल 10 से 20 नवंबर के बीच अपना नया पेराई सत्र शुरू करेगी. इसके पेराई की क्षमता प्रतिदिन 50 हजार कुंतल की है और 27 मेगावाट बिजली भी यह प्रतिदिन उत्पादन कर सकती है. पिछले सत्र की बात करें तो 24 से 25 मेगावाट प्रतिदिन बिजली इस मिल ने पैदा की है, जिससे अपने परिसर में भी प्रकाश फैलाया और हटा ट्रांसमिशन को भी 16 करोड़ की बिजली बेचने में कामयाब रही.
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चीनी ही नहीं बिजली भी बेच रही पिपराइच मिल
गन्ना की पेराई के साथ गन्ना मूल्य के भुगतान में भी यह मिल काफी आगे है. करीब 85 प्रतिशत मूल्य का भुगतान अभी तक किसानों को हो चुका है. इस मिल में को-जनरेशन पावर प्लांट लगाया गया है जो मुख्यमंत्री की रूचि के हिसाब से हुआ है. इसमें गन्ने की खोई से बिजली पैदा की जाती है. सरकार की योजना यहां के गन्ने के रस से एथेनाल बनाने की भी है. इस क्षेत्र की पुरानी मिल के बंद हो जाने से गन्ना किसानों में काफी मायूसी थी. योगी आदित्यनाथ बतौर सांसद यहां चीनी मिल स्थापना को लेकर संघर्ष भी करते रहे हैं. यह संयोग ही है कि वह अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में जो भी समस्या उन्होंने गोरखपुर के विकास और किसानों से जुड़ी देखी है उसको एक- एक करके पूरा करने में जुटे हैं. जिसमें पिपराइच की चीनी मिल, मील का पत्थर साबित हो रही है.
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