गोरखपुर: सीएम सिटी में बारिश के अभाव में उमस से बढ़ी गर्मी ने लोगों को परेशान कर दिया है, वहीं विद्युत विभाग द्वारा की जा रही अघोषित बिजली कटौती और ट्रांसफार्मर में फॉल्ट ने लोगों की परेशानी और भी बढ़ा दी है. जी हां नगर में इन दिनों बिजली कटौती और फॉल्ट लगातार हो रहा है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि ट्रांसफार्मर फुंकने के भी कई दिनों तक विभाग द्वारा बदला नहीं जाता है, जिसने लोगों का सुकून छीन रखा है.
दरअसल, सूबा बाजार का राम अवध नगर गोरखपुर शहर का हिस्सा माना जाता है. यहां का बिजली बिल भी लोग शहर के हिसाब से देते हैं. लेकिन रिकॉर्ड में इसे ग्रामीण विद्युत वितरण से जोड़कर बिजली देने में घोर लापरवाही बरती जाती है. हल्की-फुल्की बारिश शुरू होते ही यहां बिजली कट जाती है. ट्रांसफार्मर के ओवरलोड और लो वोल्टेज की समस्या यहां भयंकर है. इसी प्रकार बिछिया वार्ड और राम जानकी नगर स्पोर्ट्स कॉलेज क्षेत्र में भी बिजली की समस्या बनी हुई है. ट्रांसफार्मर फुंकने के 2 दिन तक यहां पर उसे बदला नहीं जाता है. लोगों का आरोप है कि कोई भी जिम्मेदार न तो फोन उठाता है और न हीं कोई जवाब देता है. जिसके चलते वह थक हार कर बैठ जाते हैं और बिजली के आने का इंतजार करते हैं.
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बता दें कि पिछले 10 दिनों में करीब 400 केवी के 22 ट्रांसफार्मर, ढाई सौ केवीए के 12 और 630 केवीए का एक ट्रांसफार्मर फुंके हैं. सबसे बुरी स्थिति ढाई सौ और 630 केवीए के ट्रांसफार्मर की है, जिसकी जिले में उपलब्धता मात्र 10 और एक की संख्या में है. जबकि डिमांड लगातार बढ़ रही है. वहीं ट्रांसफार्मरों के जलने और मरम्मत होने की स्थिति का आंकलन बिजली विभाग के वर्कशॉप से सीधे तौर पर लगाया जा सकता है, जहां प्रतिदिन 20 से 25 ट्रांसफार्मर मरम्मत होते हैं और एक ट्रांसफार्मर की मरम्मत पर करीब 4 दिन का समय लगता है. जिले में बिजली की मांग ढाई अरब यूनिट से भी ज्यादा बढ़ गई है, जो कि लगातार बढ़ती जा रही है, जिसके सापेक्ष अगर बिजली मिल रही है तो पुराने हो चुके ओवरलोड उपकरण के जलने और फुंकने का मामला बढ़ जा रहा है.
विभाग के इंजीनियर का कहना है कि उमस भरी गर्मी के कारण मौसम में आर्द्रता बढ़ने से ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में देरी हो रही है. कार्यशाला में दो से तीन शिफ्ट में कार्य चल रहा है. उन्होने कहा कि जो भी ट्रांसफार्मर उपलब्ध है, उनसे काम चलाया जा रहा है. लेकिन बारिश होने के बाद अगर स्थिति बिगड़ती है तो आसपास के जिलों से ट्रांसफार्मर मंगाने पड़ सकते हैं.
महानगर में उपभोक्ताओं की संख्या की बात करें तो यह करीब 2 लाख 20 हजार है. ग्रामीण क्षेत्र प्रथम में 3:50 लाख और ग्रामीण क्षेत्र द्वितीय में 3 लाख 20 हजार है. विभागीय सूत्रों की मानें तो ट्रांसफार्मर पर बिजली कनेक्शन का बैलेंस ठीक नहीं रखने से यह दिक्कतें सामने आ रही है. लेकिन यह तभी दूर होगा जब ट्रांसफार्मरों की क्षमता भी बढ़ाई जा सके और ऐसे ट्रांसफार्मर वर्कशॉप में उपलब्ध भी हो.
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