गोरखपुर: पहाड़ों पर लगातार बारिश के चलते सरयू और राप्ती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. 15 जुलाई से ही सरयू नदी खतरे के निशान से 1.45 मीटर बह रही है, जबकि राप्ती लगभग 1 मीटर ऊपर तक बह रही है. इसके चलते रोहिन और आमी जैसी नदियां भी खतरे के निशान को पार करते हुए करीब सैकड़ों गांवों को प्रभावित कर रही हैं. बाढ़ प्राभावित क्षेत्र के लोग बंधे की ओर पलायन कर रहे हैं.
कपरवार घाट पर सरयू नदी के खतरे का निशान 66.50 मीटर है. 1998 की बाढ़ में सरयू का जलस्तर 68.62 मीटर था, जबकि 4 और 5 अगस्त 2020 से सरयू का जलस्तर 68.01 मीटर तक पहुंच गया है. 1998 में आए बाढ़ से सरयू बस 50 सेंटीमीटर नीचे बह रही है. जल्द ही सरयू में बाढ़ आने के आसार हैं, जिससे आस पास के इलाकों में लोग पलायन करने लगे हैं.
सरयू का जलस्तर बढ़ने से राप्ती नदी भी खतरे के निशान के पार बह रही है, जिससे करीब 65 गांव बाढ़ की चपेट से घिर गए हैं. इन गांवों के लोग नाव के सहारे अपनी जमा पूंजी बचाने में जुटे हैं. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि नेता, अधिकारियों का खूब दावा है, लेकिन बाढ़ के समय प्रशासन से कोई राहत नहीं मिली है.
राप्ती नदी भी बर्डघाट में खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर बह रही है. जलस्तर में वृद्धि के चलते तरकुलानी रेगुलेटर को बंद कर दिया गया है, जिससे रामगढ़ ताल के आस-पास के गांव के निचले हिस्सों में बाढ़ जैसी हालत पैदा हो गई है. सहजनवा में डुमरिया बाबू तटबंध पर बने चोरमा रेग्युलेटर के बंद होने के कारण बखिरा झील से आ रहा पानी टिकरिया समेत कई गांव के लिए मुसीबत का सबब बन गया है.