गोरखपुर: सुनहरे भविष्य के लिए जिले से सोनौली- नेपाल को जाने वाली 2 लेन की सड़क पर बसे हुए लोग अपने पीढ़ियों के बसे बसाए आशियाने और दुकानों पर खुद हथोड़ा चलाने के लिए मजबूर हो गए हैं. दरअसल टू लेन की यह सड़क अब फोरलेन की बनाई जानी है. यह शहर के मोहदीपुर चौराहे से होते हुए कौड़िया जंगल तक करीब 17 किलोमीटर की लंबाई में घनी बस्ती से होकर गुजरने वाली सड़क है. इसके किनारे बसे हुए लोगों और दुकानदारों को सप्ताह भर पूर्व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर, जुर्माने से बचने के लिए खुद तोड़ लेने का निर्देश दिया था. इसके बाद यह लोग अपने दुकान और घर को तोड़ तो रहे हैं. वहीं जब तक सड़क का निर्माण नहीं हो जाता तब तक इनकी पहचान और व्यवसाय दोनों ही प्रभावित रहेगा.
मौजूदा समय में इस कार्य को लॉकडाउन और मानसून सत्र को देखते हुए तेजी के साथ निपटाना है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्य में नवरात्र के बाद से ही तेजी लाने का निर्देश दिया था. हालांकि शहर ही नहीं पूरा देश कोरोना के संक्रमण का शिकार हो गया. यहां के जो व्यापारी अपनी दुकानों को तोड़ रहे हैं या खाली कर रहे हैं, वह इस भरोसे के साथ खड़े हैं कि आने वाले 6 माह के बाद इन्हें फिर अपने मूल स्थान पर कब्जा मिलेगा और उनका व्यवसाय दौड़ने लगेगा.
इस सड़क के बन जाने के बाद जहां आवागमन सुगम होगा, वहीं नेपाल जाने वाले लोग फर्राटे से यात्रा कर सकेंगे. जिले से सोनौली बॉर्डर तक करीब 100 किलोमीटर की दूरी में 70% से ऊपर कार्य पूर्ण हो चुका है. निर्माण में बाधा यही शहरी इलाका था, जो व्यवसायिक गतिविधियों का भी केंद्र था, लेकिन अब यहां भी हथौड़ा चलना शुरू हो गया है. इसके बाद अब यह उम्मीद पूरी दिखाई दे रही है कि एनएचआई अपने कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से जुट गया है. इस दौरान जो व्यापारी अतिक्रमण की सीमा में नहीं थे. उनमें करोड़ों रुपये का मुआवजा भी वितरित किया गया है.