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गोरखपुर: सुंदर भविष्य के लिए पीढ़ियों की इमारत को अपने हाथों तोड़ रहे लोग - 2 लेन से बनाया जा रहा 2 लेन

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जिले से सोनौली-नेपाल को जाने वाली 2 लेन की सड़कों को अब 4 लेन बनाने का काम तेजी से शुरू हो चुका है. वहीं सड़क किनारे बसे लोग खुद अपना घर तोड़ने के लिए मजबूर हो चुके हैं.

construction of road
4 लेन सड़क का निर्माण
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Published : May 19, 2020, 5:10 PM IST

गोरखपुर: सुनहरे भविष्य के लिए जिले से सोनौली- नेपाल को जाने वाली 2 लेन की सड़क पर बसे हुए लोग अपने पीढ़ियों के बसे बसाए आशियाने और दुकानों पर खुद हथोड़ा चलाने के लिए मजबूर हो गए हैं. दरअसल टू लेन की यह सड़क अब फोरलेन की बनाई जानी है. यह शहर के मोहदीपुर चौराहे से होते हुए कौड़िया जंगल तक करीब 17 किलोमीटर की लंबाई में घनी बस्ती से होकर गुजरने वाली सड़क है. इसके किनारे बसे हुए लोगों और दुकानदारों को सप्ताह भर पूर्व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर, जुर्माने से बचने के लिए खुद तोड़ लेने का निर्देश दिया था. इसके बाद यह लोग अपने दुकान और घर को तोड़ तो रहे हैं. वहीं जब तक सड़क का निर्माण नहीं हो जाता तब तक इनकी पहचान और व्यवसाय दोनों ही प्रभावित रहेगा.

4 लेन सड़क का निर्माण
मोहदीपुर से जंगल कौड़िया फोरलेन का निर्माण करीब 288 करोड़ की लागत से होगा. निर्माण में अतिक्रमण सबसे बड़ी बाधा है. सबसे अधिक अतिक्रमण धर्मशाला बाजार से तरंग क्रासिंग होते हुए गोरखनाथ मंदिर और राजेंद्र नगर तक है. साल भर पहले से सड़क के चौड़ीकरण को लेकर एनएचआई ने 60 फीट के दायरे में आने वाले मकान और दुकानदारों को सीमांकन करने के साथ सूचित कर दिया था.

मौजूदा समय में इस कार्य को लॉकडाउन और मानसून सत्र को देखते हुए तेजी के साथ निपटाना है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्य में नवरात्र के बाद से ही तेजी लाने का निर्देश दिया था. हालांकि शहर ही नहीं पूरा देश कोरोना के संक्रमण का शिकार हो गया. यहां के जो व्यापारी अपनी दुकानों को तोड़ रहे हैं या खाली कर रहे हैं, वह इस भरोसे के साथ खड़े हैं कि आने वाले 6 माह के बाद इन्हें फिर अपने मूल स्थान पर कब्जा मिलेगा और उनका व्यवसाय दौड़ने लगेगा.

इस सड़क के बन जाने के बाद जहां आवागमन सुगम होगा, वहीं नेपाल जाने वाले लोग फर्राटे से यात्रा कर सकेंगे. जिले से सोनौली बॉर्डर तक करीब 100 किलोमीटर की दूरी में 70% से ऊपर कार्य पूर्ण हो चुका है. निर्माण में बाधा यही शहरी इलाका था, जो व्यवसायिक गतिविधियों का भी केंद्र था, लेकिन अब यहां भी हथौड़ा चलना शुरू हो गया है. इसके बाद अब यह उम्मीद पूरी दिखाई दे रही है कि एनएचआई अपने कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से जुट गया है. इस दौरान जो व्यापारी अतिक्रमण की सीमा में नहीं थे. उनमें करोड़ों रुपये का मुआवजा भी वितरित किया गया है.

गोरखपुर: सुनहरे भविष्य के लिए जिले से सोनौली- नेपाल को जाने वाली 2 लेन की सड़क पर बसे हुए लोग अपने पीढ़ियों के बसे बसाए आशियाने और दुकानों पर खुद हथोड़ा चलाने के लिए मजबूर हो गए हैं. दरअसल टू लेन की यह सड़क अब फोरलेन की बनाई जानी है. यह शहर के मोहदीपुर चौराहे से होते हुए कौड़िया जंगल तक करीब 17 किलोमीटर की लंबाई में घनी बस्ती से होकर गुजरने वाली सड़क है. इसके किनारे बसे हुए लोगों और दुकानदारों को सप्ताह भर पूर्व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर, जुर्माने से बचने के लिए खुद तोड़ लेने का निर्देश दिया था. इसके बाद यह लोग अपने दुकान और घर को तोड़ तो रहे हैं. वहीं जब तक सड़क का निर्माण नहीं हो जाता तब तक इनकी पहचान और व्यवसाय दोनों ही प्रभावित रहेगा.

4 लेन सड़क का निर्माण
मोहदीपुर से जंगल कौड़िया फोरलेन का निर्माण करीब 288 करोड़ की लागत से होगा. निर्माण में अतिक्रमण सबसे बड़ी बाधा है. सबसे अधिक अतिक्रमण धर्मशाला बाजार से तरंग क्रासिंग होते हुए गोरखनाथ मंदिर और राजेंद्र नगर तक है. साल भर पहले से सड़क के चौड़ीकरण को लेकर एनएचआई ने 60 फीट के दायरे में आने वाले मकान और दुकानदारों को सीमांकन करने के साथ सूचित कर दिया था.

मौजूदा समय में इस कार्य को लॉकडाउन और मानसून सत्र को देखते हुए तेजी के साथ निपटाना है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कार्य में नवरात्र के बाद से ही तेजी लाने का निर्देश दिया था. हालांकि शहर ही नहीं पूरा देश कोरोना के संक्रमण का शिकार हो गया. यहां के जो व्यापारी अपनी दुकानों को तोड़ रहे हैं या खाली कर रहे हैं, वह इस भरोसे के साथ खड़े हैं कि आने वाले 6 माह के बाद इन्हें फिर अपने मूल स्थान पर कब्जा मिलेगा और उनका व्यवसाय दौड़ने लगेगा.

इस सड़क के बन जाने के बाद जहां आवागमन सुगम होगा, वहीं नेपाल जाने वाले लोग फर्राटे से यात्रा कर सकेंगे. जिले से सोनौली बॉर्डर तक करीब 100 किलोमीटर की दूरी में 70% से ऊपर कार्य पूर्ण हो चुका है. निर्माण में बाधा यही शहरी इलाका था, जो व्यवसायिक गतिविधियों का भी केंद्र था, लेकिन अब यहां भी हथौड़ा चलना शुरू हो गया है. इसके बाद अब यह उम्मीद पूरी दिखाई दे रही है कि एनएचआई अपने कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से जुट गया है. इस दौरान जो व्यापारी अतिक्रमण की सीमा में नहीं थे. उनमें करोड़ों रुपये का मुआवजा भी वितरित किया गया है.

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