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500 वर्ष पुराना है ककराखोर गांव का इतिहास, अब मिली ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं - panchayat election 2021

गोरखपुर मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विकासखंड पिपरौली के ग्राम ककराखोर का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है. राजस्थान से आए भूषण सिंह ने इस गांव को बसाया था. 5000 से ज्यादा इस गांव की जनसंख्या है. इस गांव से प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का बड़ा ही गहरा रिश्ता है. सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ ने इस गांव में अपने निधि से कई बड़े कार्य कराए हैं.

ककराखोर गांव में हुआ विकास
ककराखोर गांव में हुआ विकास
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Published : Mar 20, 2021, 10:27 AM IST

गोरखपुर : विकासखंड पिपराइच के ग्रामसभा ककरखोर में वर्तमान समय में 2444 मतदाता हैं. यह गांव वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ था. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी के बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से काफी समय से वंचित था. लेकिन विगत 4 वर्षों में इस गांव ने जो विकास की गाथा लिखी है, वह काबिले तारीफ है. वर्तमान प्रधान चंद्रपाल सिंह राही और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस गांव के विकास के लिए बहुत काम किया है.

ककराखोर गांव के विकास की ईटीवी भारत ने की पड़ताल

ईटीवी भारत ने की पड़ताल

पंचायत चुनाव को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने ककराखोर गांव पहुंचकर प्रदेश सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के वायदों की तफ्तीश की. मौजूदा प्रदेश सरकार जहां प्रदेश में चौमुखी विकास होने का वादा कर रही है तो वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जनपद को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की बात कह रहे हैं. इन दावों की हकीकत की पड़ताल कर ईटीवी भारत की टीम ने यह जानने की कोशिश की, कि क्या सच में स्थानीय लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिली हैं या केवल कागजी खेल और या कोरे वायदे हैं.

ककराखोर गांव को जोड़ने वाली पक्की सड़क
ककराखोर गांव को जोड़ने वाली पक्की सड़क

गांव में बही विकास की धारा

ग्रामीण बताते हैं कि लगभग 500 वर्ष पूर्व यह गांव अस्तित्व में आया था. यहां पर राजस्थान से आए हुए लोगों ने इस गांव को बसाने में अपना अहम योगदान निभाया था. यहां पर सभी जाति धर्म के लोग निवास करते हैं. ग्राम सभा ककरखोर में वर्तमान समय में अनुसूचित जाति 38%, सामान्य 40%, अनुसूचित जनजाति 0%, अल्पसंख्यक 300, ओबीसी 300 के आसपास रहती है. जिसमें युवाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा है. ज्यादातर युवा पढ़ाई के लिए अन्य प्रदेशों का रुख करते थे. लेकिन वर्तमान सरकार के प्रयास के बाद अब इस गांव के लोग गांव के पास ही स्थित गिड़ा क्षेत्र में विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं में पढ़ाई कर अपने गांव में शिक्षा की अलख जगाने का कार्य भी कर रहे हैं. पहले मुख्य सड़क नहीं होने से युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. साधन का अभाव था, जिसकी वजह से लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता था. अब ऐसा नहीं है, मुख्य मार्ग से गांव को जोड़ने वाली सड़क है. गांव को विभिन्न कस्बों को जोड़ने के लिए भी इंटरलॉकिंग वाली सड़कें मौजूद हैं. गांव में खेती किसानी करने वाले लोग भी अपनी फसलों को आराम से ले जाकर बाजारों में बेच लेते हैं और उचित मूल्य प्राप्त कर अपने परिवार का जीवकोपार्जन करते हैं. वहीं लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में जब लोग वापस गांव की तरफ रुख किए तो ग्राम प्रधान ने लोगों को मनरेगा के तहत कार्य देते हुए शासन से मिलने वाले खाने-पीने के सामानों की भी उपलब्धता लोगों को कराई. अब लोग गांव में ही रहकर मनरेगा के तहत विभिन्न कार्यों को कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अब वह बाहर नहीं जाएंगे, गांव में ही रह कर रोजी रोजगार कर परिवार का जीवकोपार्जन करेंगे.

ककराखोर गांव की सड़क
ककराखोर गांव की सड़क
गांव के विद्यालयों में है उचित व्यवस्था

ककराखोर ग्राम में स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रिचा राय बताती हैं कि वर्तमान समय में विद्यालय में 202 छात्र व छात्राएं पठन-पाठन का कार्य करते हैं. ऐसे में ग्राम प्रधान का सहयोग निरंतर बना रहता है. विद्यालय में शौचालय, शुद्ध पेयजल, एमडीएम आदि की व्यवस्था है. लेकिन विद्यालय की यदि चारदीवारी करा दी जाए तो बाहरी लोगों का प्रवेश रुक जाएगा. जिससे अध्यापकों के साथ छात्र व छात्राओं को भी किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी.

ककराखोर गांव
ककराखोर गांव

गांव में शुद्ध पेयजल की नहीं है व्यवस्था

लाल मोहम्मद बताते हैं कि गांव में सभी जाति धर्म के सहयोग से मस्जिद का निर्माण कराया गया था. लेकिन मस्जिद तक जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण नमाजियों को नमाज अदा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन वर्तमान प्रधान द्वारा मस्जिद तक इंटरलॉकिंग सड़क और नाली का निर्माण कराया गया, जिससे यहां रहने वाले सैकड़ों अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अब नमाज को साफ-सुथरे तौर पर अदा करते हैं. ग्राम प्रधान ने शौचालय, आवास, बिजली आदि की व्यवस्था की है. हालांकि अभी भी गांव में शुद्ध पेयजल का अभाव है.

प्राथमिक विद्यालय में बने शौचालय
प्राथमिक विद्यालय में बने शौचालय

गांव में हुए कई विकास कार्य

पिछले 4 वर्षों में स्थानीय ग्राम प्रधान चंद्रपाल सिंह राही ने करीब 50 लाख रुपए की निधि से गांव में कई विकास कार्यों को कराया है. स्थानीय प्रतिनिधियों की निधि से भी इस गांव में कई कार्य हुए हैं. विकास कार्यों में पंचायत भवन, आवास, पक्की सड़कें, इंटरलॉकिंग वाली सड़कें, नालियां, सामुदायिक शौचालय, सोलर लाइट, धार्मिक स्थलों का सुंदरीकरण, विद्यालयों का कायाकल्प और मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराकर पिछले कई वर्षों से गांवों से पलायन करने वाले लोगों को गांव में ही रोजगार देकर उनके पलायन को रोकने का कार्य किया गया है.

गोरखपुर : विकासखंड पिपराइच के ग्रामसभा ककरखोर में वर्तमान समय में 2444 मतदाता हैं. यह गांव वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ था. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी के बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से काफी समय से वंचित था. लेकिन विगत 4 वर्षों में इस गांव ने जो विकास की गाथा लिखी है, वह काबिले तारीफ है. वर्तमान प्रधान चंद्रपाल सिंह राही और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस गांव के विकास के लिए बहुत काम किया है.

ककराखोर गांव के विकास की ईटीवी भारत ने की पड़ताल

ईटीवी भारत ने की पड़ताल

पंचायत चुनाव को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने ककराखोर गांव पहुंचकर प्रदेश सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के वायदों की तफ्तीश की. मौजूदा प्रदेश सरकार जहां प्रदेश में चौमुखी विकास होने का वादा कर रही है तो वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जनपद को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की बात कह रहे हैं. इन दावों की हकीकत की पड़ताल कर ईटीवी भारत की टीम ने यह जानने की कोशिश की, कि क्या सच में स्थानीय लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिली हैं या केवल कागजी खेल और या कोरे वायदे हैं.

ककराखोर गांव को जोड़ने वाली पक्की सड़क
ककराखोर गांव को जोड़ने वाली पक्की सड़क

गांव में बही विकास की धारा

ग्रामीण बताते हैं कि लगभग 500 वर्ष पूर्व यह गांव अस्तित्व में आया था. यहां पर राजस्थान से आए हुए लोगों ने इस गांव को बसाने में अपना अहम योगदान निभाया था. यहां पर सभी जाति धर्म के लोग निवास करते हैं. ग्राम सभा ककरखोर में वर्तमान समय में अनुसूचित जाति 38%, सामान्य 40%, अनुसूचित जनजाति 0%, अल्पसंख्यक 300, ओबीसी 300 के आसपास रहती है. जिसमें युवाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा है. ज्यादातर युवा पढ़ाई के लिए अन्य प्रदेशों का रुख करते थे. लेकिन वर्तमान सरकार के प्रयास के बाद अब इस गांव के लोग गांव के पास ही स्थित गिड़ा क्षेत्र में विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं में पढ़ाई कर अपने गांव में शिक्षा की अलख जगाने का कार्य भी कर रहे हैं. पहले मुख्य सड़क नहीं होने से युवाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. साधन का अभाव था, जिसकी वजह से लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता था. अब ऐसा नहीं है, मुख्य मार्ग से गांव को जोड़ने वाली सड़क है. गांव को विभिन्न कस्बों को जोड़ने के लिए भी इंटरलॉकिंग वाली सड़कें मौजूद हैं. गांव में खेती किसानी करने वाले लोग भी अपनी फसलों को आराम से ले जाकर बाजारों में बेच लेते हैं और उचित मूल्य प्राप्त कर अपने परिवार का जीवकोपार्जन करते हैं. वहीं लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में जब लोग वापस गांव की तरफ रुख किए तो ग्राम प्रधान ने लोगों को मनरेगा के तहत कार्य देते हुए शासन से मिलने वाले खाने-पीने के सामानों की भी उपलब्धता लोगों को कराई. अब लोग गांव में ही रहकर मनरेगा के तहत विभिन्न कार्यों को कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि अब वह बाहर नहीं जाएंगे, गांव में ही रह कर रोजी रोजगार कर परिवार का जीवकोपार्जन करेंगे.

ककराखोर गांव की सड़क
ककराखोर गांव की सड़क
गांव के विद्यालयों में है उचित व्यवस्था

ककराखोर ग्राम में स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रिचा राय बताती हैं कि वर्तमान समय में विद्यालय में 202 छात्र व छात्राएं पठन-पाठन का कार्य करते हैं. ऐसे में ग्राम प्रधान का सहयोग निरंतर बना रहता है. विद्यालय में शौचालय, शुद्ध पेयजल, एमडीएम आदि की व्यवस्था है. लेकिन विद्यालय की यदि चारदीवारी करा दी जाए तो बाहरी लोगों का प्रवेश रुक जाएगा. जिससे अध्यापकों के साथ छात्र व छात्राओं को भी किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी.

ककराखोर गांव
ककराखोर गांव

गांव में शुद्ध पेयजल की नहीं है व्यवस्था

लाल मोहम्मद बताते हैं कि गांव में सभी जाति धर्म के सहयोग से मस्जिद का निर्माण कराया गया था. लेकिन मस्जिद तक जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण नमाजियों को नमाज अदा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. लेकिन वर्तमान प्रधान द्वारा मस्जिद तक इंटरलॉकिंग सड़क और नाली का निर्माण कराया गया, जिससे यहां रहने वाले सैकड़ों अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अब नमाज को साफ-सुथरे तौर पर अदा करते हैं. ग्राम प्रधान ने शौचालय, आवास, बिजली आदि की व्यवस्था की है. हालांकि अभी भी गांव में शुद्ध पेयजल का अभाव है.

प्राथमिक विद्यालय में बने शौचालय
प्राथमिक विद्यालय में बने शौचालय

गांव में हुए कई विकास कार्य

पिछले 4 वर्षों में स्थानीय ग्राम प्रधान चंद्रपाल सिंह राही ने करीब 50 लाख रुपए की निधि से गांव में कई विकास कार्यों को कराया है. स्थानीय प्रतिनिधियों की निधि से भी इस गांव में कई कार्य हुए हैं. विकास कार्यों में पंचायत भवन, आवास, पक्की सड़कें, इंटरलॉकिंग वाली सड़कें, नालियां, सामुदायिक शौचालय, सोलर लाइट, धार्मिक स्थलों का सुंदरीकरण, विद्यालयों का कायाकल्प और मनरेगा के तहत ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराकर पिछले कई वर्षों से गांवों से पलायन करने वाले लोगों को गांव में ही रोजगार देकर उनके पलायन को रोकने का कार्य किया गया है.

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