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गोरखपुर में हज ट्रेनिंग का आयोजन, लोगों ने हज जाने के सीखे तौर-तरीके

जिले के आइडियल मैरिज हॉल में तहरीक दावते इस्लामी हिंद की ओर से हज ट्रेनिंग का आयोजन किया गया. इसमें हज यत्रियों को हज जाने के तौर-तरीके सिखाए गए. इस दौरान सैकड़ों लोग हज के अरकान की बारीकियां सीखने पहुंचे थे.

हज ट्रेनिंग का किया गया आयोजन.
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Published : Jul 1, 2019, 12:01 AM IST

गोरखपुर: उचवा स्थित आइडियल मैरिज हॉल में रविवार को तहरीक दावते इस्लामी हिंद की ओर से हज ट्रेनिंग का आयोजन किया गया. पूरा मैरिज 'हाल लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक' से गूंज उठा. मक्का व मदीना शरीफ में इबारत, जियारत, ठहरने का तरीका, हज के फरायज, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया.

हज ट्रेनिंग का किया गया आयोजन.

हज यात्रियों ने हज जाने के सीखे तौर-तरीके

शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखी, हज के मुकद्दस मकामात हज यात्रियों का प्रशिक्षण, हज यात्री को घर से रवाना होने से लेकर लौट कर आने तक के सारे मसलों व आने वाली समस्याओं और उनके हल के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई. ट्रेनिंग में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.


हज में 7 चीजों की अदायगी पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है, जो हज के फर्ज कहलाते हैं. हज के सात फर्ज हैं, पहला एहराम (हज का खास लिबास) दूसरा नियत, तीसरा वुक़ूफ़-ए-अरफात (मैदान-ए-अरफ़ात में ठहरना), चौथा तवाफ़-ए-जियारत ( काबा शरीफ का सात चक्कर), पाचवा तरतीब (सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठा मुकर्रर वक्त, सातवा निश्चित जगह. इनमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा न होगा. हज बेहद अहम इबादत है, इसमें सबसे अहम खुलूस है. हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फरीजा है.

- हाजी आजम अत्तारी, हज ट्रेनर

ट्रेनिंग लेने के बाद फरहान ने बताया कि प्रैक्टिस के जरिए हज अदा करने के लिए के अरकान को बारीकी से बताया गया, मदीना शरीफ में रोजा ए रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम पर सलातो सलाम पेश करने का तरीका व अदब भी बताया गया. दिन ए इस्लाम के पहले व दूसरे खलीफा के आराम कहां पर सलाम पेश करने का तरीका भी बताया साथ ही मस्जिद-ए-नबवी जन्नतुल बकी कब्रिस्तान की अहमियत बताई गई है.

गोरखपुर: उचवा स्थित आइडियल मैरिज हॉल में रविवार को तहरीक दावते इस्लामी हिंद की ओर से हज ट्रेनिंग का आयोजन किया गया. पूरा मैरिज 'हाल लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक' से गूंज उठा. मक्का व मदीना शरीफ में इबारत, जियारत, ठहरने का तरीका, हज के फरायज, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया.

हज ट्रेनिंग का किया गया आयोजन.

हज यात्रियों ने हज जाने के सीखे तौर-तरीके

शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखी, हज के मुकद्दस मकामात हज यात्रियों का प्रशिक्षण, हज यात्री को घर से रवाना होने से लेकर लौट कर आने तक के सारे मसलों व आने वाली समस्याओं और उनके हल के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई. ट्रेनिंग में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.


हज में 7 चीजों की अदायगी पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है, जो हज के फर्ज कहलाते हैं. हज के सात फर्ज हैं, पहला एहराम (हज का खास लिबास) दूसरा नियत, तीसरा वुक़ूफ़-ए-अरफात (मैदान-ए-अरफ़ात में ठहरना), चौथा तवाफ़-ए-जियारत ( काबा शरीफ का सात चक्कर), पाचवा तरतीब (सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठा मुकर्रर वक्त, सातवा निश्चित जगह. इनमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा न होगा. हज बेहद अहम इबादत है, इसमें सबसे अहम खुलूस है. हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फरीजा है.

- हाजी आजम अत्तारी, हज ट्रेनर

ट्रेनिंग लेने के बाद फरहान ने बताया कि प्रैक्टिस के जरिए हज अदा करने के लिए के अरकान को बारीकी से बताया गया, मदीना शरीफ में रोजा ए रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम पर सलातो सलाम पेश करने का तरीका व अदब भी बताया गया. दिन ए इस्लाम के पहले व दूसरे खलीफा के आराम कहां पर सलाम पेश करने का तरीका भी बताया साथ ही मस्जिद-ए-नबवी जन्नतुल बकी कब्रिस्तान की अहमियत बताई गई है.

Intro:गोरखपुर। उचवा स्थित आइडियल मैरिज हॉल में रविवार को तहरीक दावते इस्लामी हिंद की ओर से हर ट्रेनिंग का आयोजन किया गया। पूरा मैरिज 'हाल लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक' से गूंज उठा। मक्का व मदीना शरीफ में इबारत, जियारत, ठहरने का तरीका, हज के फ़राएज़, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया।

शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखी, हज के मुकद्दस मक़ामात हज यात्रियों का प्रशिक्षण, हज यात्री को घर से रवाना होने से लेकर लौट कर आने तक के सारे मसलों व आने वाली समस्याओं और उनके हल के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई। ट्रेनिंग में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।


Body:हज ट्रेनर हाजी आजम अत्तारी ने बताया कि हज में 7 चीजों की अदायगी पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है, जो हज के फर्ज कहलाते हैं। हज के सात फर्ज हैं, पहला एहराम (हज का खास लिबास) दूसरा नियत, तीसरा वुक़ूफ़-ए-अरफात (मैदान-ए-अरफ़ात में ठहरना), चौथा तवाफ़-ए-जियारत ( काबा शरीफ का सात चक्कर), पाचवा तरतीब (सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठा मुकर्रर वक्त, सातवा निश्चित जगह।

इनमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा ना होगा। हज बेहद अहम इबादत है, इसमें सबसे अहम खुलूस है। हज-ए-मबरूर अल्लाह की रजा के लिए है, रसूल-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया है कि हज-एमबरूर करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ हो जाते हैं, हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फ़रीज़ा है। इसे खुलूसों दिल से अदा करना चाहिए।

बाइट - हाजी आजम अत्तारी, हज ट्रेनर

ट्रेनिंग लेने के बाद फरहान ने बताया कि प्रैक्टिस के जरिए हज अदा करने के लिए के अरकान को बारीकी से बताया गया, मदीना शरीफ में रोजा ए रसूल हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम पर सलातो सलाम पेश करने का तरीका व अदब भी बताया गया। दिन ए इस्लाम के पहले व दूसरे खलीफा के आराम कहां पर सलाम पेश करने का तरीका भी बताया साथ ही मस्जिद-ए-नबवी जन्नतुल बकी कब्रिस्तान की अहमियत बताई गई है।

बाइट - फरहान




निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
9453623738


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