गोरखपुर: 25 दिसम्बर को पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती है. इस अवसर पर गोरखपुर में उनके नाम पर स्थापित पंडित मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय ने अपने गरीब छात्रों के लिए बड़े तोहफे का एलान किया है. विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने इस दौरान कई बिंदुओं पर अपने निर्णय सुनाए हैं, लेकिन सबसे अहम निर्णय गरीब छात्रों के हक में आया है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जे पी पांडेय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि जिस भी गरीब छात्र के पिता की जान किसी दुर्घटना में चली जाती है, तो विश्वविद्यालय ऐसे छात्र से आगे की पढ़ाई की फीस नहीं लेगा. उसकी पढ़ाई का पूरा खर्च विश्वविद्यालय वहन करेगा. इस तरह का फैसला करने वाला प्रदेश का MMMTU पहला तकनीकी विश्वविद्यालय है.
कुलपति ने इस दौरान कहा कि ऐसा देखा गया है कि तमाम ऐसे छात्र हैं, जिनकी पढ़ाई आर्थिक परेशानी से संकट में पड़ जाती है. उन्हें अपनी पढ़ाई निरंतर जारी रखने के लिए बैंकों से लोन लेना पड़ता है, लेकिन अब ऐसे छात्र किसी भी संकट में इधर-उधर नहीं भटकेंगे. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने बड़े ही सहज ढंग से इस प्रस्ताव पर मुहर लगायी है. इसके लिए छात्र कल्याण परिषद में एक अलग व्यवस्था बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि हालांकि छात्र कल्याण परिषद की व्यवस्था पहले से चली जा रही है, लेकिन छात्रहित में ऐसे फैसले न होने से इस परिषद के गठन की सफलता बेईमानी लगती है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा छात्रों को कोरोना काल में कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं. विश्वविद्यालय के इस फैसले का छात्रों ने स्वागत किया है और इसे प्रदेश के हर विश्वविद्यालय से अपनाने की अपील की है.
हॉस्टल के छात्रों से नहीं वसूला जाएगा अतिरिक्त शुल्क
कुलपति ने कहा कि कोरोना की वजह से विश्वविद्यालय बंद है. पठन-पाठन ऑनलाइन हो रहा है. ऐसे में जिन छात्रों ने हॉस्टल ले रखा है, उन्हें बिजली, पानी आदि के खर्चे में छूट दी जा रही है, क्योंकि छात्रों ने इसका उपयोग ही नहीं किया है. इसके अलावा अगर छात्र अपने किसी विषय में मिले नंबर से संतुष्ट नहीं है और उसका पुनर्मूल्यांकन कराना चाहता है तो, पूर्व में एक विषय के लिए उनके द्वारा दी जाने वाली 5 हजार रुपये की फीस को घटाकर ढाई हजार रुपये कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह पूर्वांचल का इलाका है, जहां आर्थिक समृद्धि अभी नहीं है. ऐसे में विश्वविद्यालय इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए छात्र हित के फैसलों पर जोर दे रहा है, क्योंकि इस विश्वविद्यालय में अधिकांश बच्चे इसी क्षेत्र से आते हैं.