गोरखपुरः जन्म से लेकर 28 दिन तक के बच्चे की अवस्था को नवजात कहा जाता है. बीमारियों और संक्रमण की दृष्टि से यह अवस्था बेहद संवेदनशील होती है. इस अवस्था में अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की बीमारी हो और उसे तुरंत चिकित्सा मिल जाए, तो उसके जीवन की रक्षा हो जाती है. इससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है. अब इस कार्य में अहम भूमिका निभा रहा है. जिले में स्थापित "न्यू बार स्टेबलाइजेशन यूनिट" (एनबीएसयू). इस यूनिट की स्थापना और बच्चों को मिले लाभ की वजह से जिले में कुल 5 यूनिट स्थापित कर दी गई हैं. इससे ऐसी समस्या में बच्चों को उच्च संस्थान में भेजने की जरूरत नहीं पड़ रही. परिजनों की भागदौड और आर्थिक बचत भी हो रही है.
सीएमओ डॉ. आशुतोष दूबे इसका जिक्र करते हुए बताते हैं कि जिले की 5 इकाइयों पर साल भर में कुल 402 बच्चे भर्ती कराए गये. 197 बच्चे चिकित्सा इकाइयों से ही ठीक हो गये, जबकि 205 को उच्च चिकित्सा संस्थानों से नया जीवन मिला. जिले के 5 स्वास्थ्य इकाइयों पर सक्रिय न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) के यह आंकड़े हैं.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी दूबे ने बताया कि जिले में सहजनवां, बांसगांव, जंगल कौड़िया, कैम्पियरगंज और पिपराइच सीएचसी पर एनबीएसयू संचालित किया जा रहा है. इन इकाइयों पर प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स तैनात की गयी हैं. जो अलग-अलग शिफ्ट में बीमार नवजात की देखभाल करती हैं. समय-समय पर चिकित्सक भी इन नवजात के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं. अगर एनबीएसयू से कोई बच्चा रेफर किया जा रहा है, तो अभिभावकों को 102 नम्बर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है.
पिपराइच सीएचसी के अधीक्षक डॉ. मणि शेखर ने कहा कि सीएमओ या एसीएमओ द्वारा एनबीएससीयू सम्बन्धित जो भी दिशा निर्देश मिलते हैं. उनका पालन कराया जाता है. सहयोगी संस्थाएं यूनिसेफ और यूपीटीएसयू की मदद से भी इस इकाई की सेवाएं सुदृढ़ की जाती हैं. पीलिया ग्रसित पैदा होने पर, न रोने वाले बच्चे, बुखार पीड़ित बच्चे, कम वजन के नवजात और जन्म के समय गंर्भ का गंदा पानी पी लेने वाले बच्चे इसमें रखे जाते हैं. इस बात का ध्यान रखा जाता है कि अगर बच्चे का वजन 1800 ग्राम से भी कम है, तो उसे उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर कर दिया जाता है.
उन्होंने बताया कि बच्चे के इलाज के दौरान उसका स्तनपान भी जारी रखा जाता है. अगर मां एनबीएसयू में आने में असमर्थ है तो कटोरी में दूध लाकर स्टॉफ नवजात को दूध पिलाती है. जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता डॉ. सूर्यप्रकाश का कहना है कि एनबीएसयू में कार्य करने वाली नर्सेज को समय समय पर प्रशिक्षित किया जाता है. नवजात की देखभाल की नवीनतम जानकारी दी जाती है. जिले में सबसे ज्यादा 60 बच्चे पिपराइच के एनबीएससीयू में ही स्वस्थ हो गये. कैम्पियरंगज में 56 और सहजनवां में 55 बच्चे इस इकाई से स्वस्थ होकर घर ले जाए गये. यह आंकड़े काफी सुखद अनुभूति कराते हैं.
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