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कुषाण कालीन मूर्तियां कोविड-19 से बचाव का देंगी संदेश - नमस्ते की मुद्रा वाली मूर्ति

यूपी के गोरखपुर में राजकीय बौद्ध संग्रहालय में रखी कुषाण कालीन कुछ प्रतिमाएं कोरोना की महामारी के दौरान लोगों में बचाव के तरीके बताने के साथ सभ्यता और संस्कृति को दर्शाने का काम करेंगी. ये मूर्तियां करीब 2000 साल पहले कुषाण काल की नमस्ते के आकार वाली हैं.

कुषाण कालीन मूर्तियां
कुषाण कालीन मूर्तियां
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Published : Dec 16, 2020, 1:31 PM IST

गोरखपुर: भारतीय संस्कृति और परंपरा के साथ पौराणिक काल की तमाम वस्तुएं देश और दुनिया को हमेशा से बड़ा संदेश देती आई हैं. गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में रखी कुषाण कालीन कुछ प्रतिमाएं कोरोना की महामारी के दौरान लोगों में बचाव के तरीके बताने के साथ सभ्यता और संस्कृति को दर्शाने का काम करेंगी. करीब 2000 साल पहले कुषाण काल की नमस्ते के आकार वाली इन मूर्तियों पर संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. मनोज कुमार गौतम की जब नजर पड़ी तो उन्होंने इसे संग्रहालय में सुरक्षित कर लिया. उन्होंने इन मूर्तियों का सार्वजनिक महत्व बताने के लिए संकल्प लिया है. वह बहुत जल्द इसे संग्रहालय के परिसर में सुरक्षित तरीके से स्थापित करके यहां आने वाले दर्शकों और पर्यटकों को कोविड-19 से बचाव का संदेश देंगे. साथ ही भारतीय संस्कृति और परंपरा से भी अवगत कराएंगे.

जानकारी देते संवाददाता.

कुषाण कालीन करीब 2 हजार साल पुरानी हैं मूर्तियां
इस संग्रहालय में तो हजारों मूर्तियां रखी हैं, जिनका काल और समय सब निश्चित है. लेकिन उनके बीच में पुरातात्विक महत्व को दर्शाने वाली कुषाण कालीन 'नमस्ते' की मुद्रा में पिलर (खंभे) के मॉडल में तैयार मूर्तियां संग्रहालय के निदेशक को इस पर विचार करने के लिए व्याकुल कर गईं. संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. मनोज गौतम कहते हैं कि फिलहाल जो मूर्तियां चयनित हुई हैं उसमें एक पद्मपाणि अवलोकितेश्वरा की है, जिसमें वह नमस्ते करते दिख रहे हैं. दूसरी मूर्ति आलिंगनबद्ध युगल की है. इनकी यह मुद्रा कोविड-19 की महामारी में संक्रमण से सतर्क करने के लिए हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते के प्रचार-प्रसार में प्रासंगिक लगती हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए वह बहुत जल्द इन मूर्तियों को संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सुरक्षित तरीके से लगाने का प्रयास में लगे हैं.

राहुल सांकृत्यायन और पुरातात्विक महत्व की गैलरियों की हिस्सा हैं ये मूर्तियां
पद्मपाणि अवलोकितेश्वरा नमस्ते की मुद्रा वाली मूर्ति फिलहाल राजकीय संग्रहालय के राहुल सांकृत्यायन गैलरी का हिस्सा है. वहीं आलिंगनबद्ध युगल की मूर्ति पुरातात्विक महत्व की गैलरी में स्थापित है, लेकिन परिस्थितियों और कोविड-19 के समय में इनकी महत्ता को देखते हुए अब यह गैलरी से बाहर संग्रहालय परिसर में बहुत जल्द स्थापित की जाएंगी. जो दर्शकों के अभिनंदन अभियान की भी महत्वपूर्ण कड़ी बनेंगी. इसकी स्थापना जहां पुरातात्विक महत्व की चीजों के प्रति लोगों को आकर्षित करेगी, वहीं उनकी जिज्ञासा को भी शांत करेगी. यह दर्शकों को संग्रहालय की गैलरियों की तरफ भी ले जाने में मदद करेंगी.

गोरखपुर: भारतीय संस्कृति और परंपरा के साथ पौराणिक काल की तमाम वस्तुएं देश और दुनिया को हमेशा से बड़ा संदेश देती आई हैं. गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में रखी कुषाण कालीन कुछ प्रतिमाएं कोरोना की महामारी के दौरान लोगों में बचाव के तरीके बताने के साथ सभ्यता और संस्कृति को दर्शाने का काम करेंगी. करीब 2000 साल पहले कुषाण काल की नमस्ते के आकार वाली इन मूर्तियों पर संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. मनोज कुमार गौतम की जब नजर पड़ी तो उन्होंने इसे संग्रहालय में सुरक्षित कर लिया. उन्होंने इन मूर्तियों का सार्वजनिक महत्व बताने के लिए संकल्प लिया है. वह बहुत जल्द इसे संग्रहालय के परिसर में सुरक्षित तरीके से स्थापित करके यहां आने वाले दर्शकों और पर्यटकों को कोविड-19 से बचाव का संदेश देंगे. साथ ही भारतीय संस्कृति और परंपरा से भी अवगत कराएंगे.

जानकारी देते संवाददाता.

कुषाण कालीन करीब 2 हजार साल पुरानी हैं मूर्तियां
इस संग्रहालय में तो हजारों मूर्तियां रखी हैं, जिनका काल और समय सब निश्चित है. लेकिन उनके बीच में पुरातात्विक महत्व को दर्शाने वाली कुषाण कालीन 'नमस्ते' की मुद्रा में पिलर (खंभे) के मॉडल में तैयार मूर्तियां संग्रहालय के निदेशक को इस पर विचार करने के लिए व्याकुल कर गईं. संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. मनोज गौतम कहते हैं कि फिलहाल जो मूर्तियां चयनित हुई हैं उसमें एक पद्मपाणि अवलोकितेश्वरा की है, जिसमें वह नमस्ते करते दिख रहे हैं. दूसरी मूर्ति आलिंगनबद्ध युगल की है. इनकी यह मुद्रा कोविड-19 की महामारी में संक्रमण से सतर्क करने के लिए हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते के प्रचार-प्रसार में प्रासंगिक लगती हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए वह बहुत जल्द इन मूर्तियों को संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सुरक्षित तरीके से लगाने का प्रयास में लगे हैं.

राहुल सांकृत्यायन और पुरातात्विक महत्व की गैलरियों की हिस्सा हैं ये मूर्तियां
पद्मपाणि अवलोकितेश्वरा नमस्ते की मुद्रा वाली मूर्ति फिलहाल राजकीय संग्रहालय के राहुल सांकृत्यायन गैलरी का हिस्सा है. वहीं आलिंगनबद्ध युगल की मूर्ति पुरातात्विक महत्व की गैलरी में स्थापित है, लेकिन परिस्थितियों और कोविड-19 के समय में इनकी महत्ता को देखते हुए अब यह गैलरी से बाहर संग्रहालय परिसर में बहुत जल्द स्थापित की जाएंगी. जो दर्शकों के अभिनंदन अभियान की भी महत्वपूर्ण कड़ी बनेंगी. इसकी स्थापना जहां पुरातात्विक महत्व की चीजों के प्रति लोगों को आकर्षित करेगी, वहीं उनकी जिज्ञासा को भी शांत करेगी. यह दर्शकों को संग्रहालय की गैलरियों की तरफ भी ले जाने में मदद करेंगी.

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