गोरखपुरः हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है. पंडितों के अनुसार आज के दिन भरणी और कृतिका नक्षत्र के एक साथ होने से 'महापद्मा योग' बन रहा है, जिससे इस स्थिति का विशेष महत्त्व हो जाता है. आज के अवसर पर नदी में स्नान और दान, व्रत करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
पुराणों और लोक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन किए गए दान, व्रत, तप आदि का लाभ आने वाले समय तक बना रहता है. कार्तिक मास की पूर्णिमा 'त्रिपुर पूर्णिमा' भी कही जाती है. इस वर्ष दिन में भरणी और रात्रि में कृतिका नक्षत्र होने से यह विशेष फल देने वाली है. इस दिन सायंकाल भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था. पंडित शरद चंद्र मिश्र के कथनानुसार इस वर्ष बृहस्पति कृतिका और भरणी नक्षत्र को पंचम पूर्ण दृष्टि से देख रहा है, अर्थात बृहस्पति का प्रभाव है. इसलिए यह पूर्णिमा महाकार्तिकी पूर्णिमा के रूप में भी मान्य रहेगी. जिसे 'पद्मक योग' भी कहा जाता है.
नदियों में स्नान कर पापों से मिलती है मुक्ति
पुष्कर तीर्थ में स्नान का जो फल प्राप्त होता है, उससे सहस्त्र गुना फल आज के दिन स्नान करने से प्राप्त होने वाला है. चाहे वह किसी भी नदी या गंगाजल के साथ स्पर्श के साथ किया जाए. उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोनपुर में गंगा-गंडकी के संगम पर गज और ग्राह का युद्ध हुआ था. गज की करुणामई पुकार सुनकर भगवान विष्णु ने ग्राह का संहार कर गज की रक्षा की थी. कहते हैं कि इस दिन भगवान शंकर ने 'त्रिपुर' नामक राक्षस को भस्म किया था. इस दिन दुर्गा रूपिणी भगवती पार्वती माता ने महिषासुर का वध करने के लिए शिव से शक्ति अर्जित की थी. इसी कारण लोग पवित्र नदियों में स्नान कर पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. आकाशदीप जलाकर ज्ञान और प्रकाश का बोध करते हैं.
समस्त मनोरथ होते हैं सिद्ध
कार्तिक पूर्णिमा के संध्या काल में दीपोत्सव करने से पुनर्जन्म आदि का कष्ट नहीं मिलता. ऐसा विष्णु पुराण का कथन है. यदि भगवान कार्तिकेय का दर्शन और अर्चन करें, तो ब्राह्मण कुल में उत्पन्न होकर वेदपाठी और धनवान होता है. धर्मशास्त्र का कथन है कि इस दिन चंद्रोदय के समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुइया और क्षमा इन शक्तियों का पूजन करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा की रात में व्रत करके वृष दान करने से शिव पद प्राप्त होता है. गोदान, हाथी -घोड़ा, वाहन आदि का दान करने से संपत्ति बढ़ती है. इस दिन उपवास करने से विशेष फल प्राप्त होता है. कन्यादान कन्या के विवाह में सहयोग देने का संकल्प करने से संतान व्रत पूर्ण होता है. कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ करके प्रत्येक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत और जागरण करने से समस्त मनोरथ सिद्ध होता है.