ETV Bharat / state

गीताप्रेस से प्रकाशित 'कल्याण' ने पूरे किए 93 साल, बनाई अपनी एक अलग पहचान

कल्याण का प्रकाशन गोरखपुर से अगस्त 1927 से शुरू हुआ, जो आज तक अनवरत रूप से जारी है. इस वर्ष कल्याण का राधा माधव अंक प्रकाशित किया गया है. इसका प्रचार पूरे भारतवर्ष में है. वहीं नेपाल में इसकी मांग सबसे ज्यादा है.

कल्याण पत्रिका.
author img

By

Published : Jun 18, 2019, 3:14 PM IST

गोरखपुर: गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका कल्याण पिछले 93 वर्षों से अनवरत लोगों पर अध्यात्मिक संदेश पहुंचाने में संलग्न है. मई 2019 तक 15 करोड़ 85 लाख 78 हजार प्रतियां छप चुकी हैं. अभी तक 93 विशेषांक को 1111 मासिक अंकों के माध्यम से गीता, उपनिषद और पुराणों का संदेश लोगों तक कल्याण पहुंचा चुकी है.

पूरे देश में इसके दो लाख से ज्यादा ग्राहक है. मात्र 250 रुपये में 11 मासिक पत्रिका है. इनकी पृष्ठ संख्या 52 होती है और एक विशेषांक होता है. इसमें 600 पृष्ठ की मोटी पुस्तक ग्राहकों को दी जाती है. प्रतिदिन गीता प्रेस से 25,000 प्रतियां कल्याण की डिस्पैच की जाती हैं.

कल्याण मासिक पत्रिका में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से संबंधित लेख होती है प्रकाशित.

प्रथम संपादक गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद
गीता प्रेस से प्रकाशित 'कल्याण' के प्रथम संपादक गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के कल्याण पत्रिका ही भाई जी के गोरखपुर आने का कारण बनी. 1984 से वर्तमान संपादक राधेश्याम खेमका की देखरेख में कल्याण निकल रही है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके कई सरकारों का दोबारा प्रकाशन करना पड़ा पाठकों की मांग पर कुछ विशेषांक तो आज भी अनवरत प्रकाशित होते रहते हैं, कल्याण का पहला अंक साधारण अंक था, अभी तक विशेषांक है.

ऐसे हुई कल्याण के प्रकाशन की शुरुआत-

  • दिल्ली में अप्रैल 1926 में आयोजित मारवाड़ी अग्रवाल सभा के आठवें अधिवेशन में घनश्याम दास बिड़ला ने भाई जी को अपने विचारों व सिद्धांतों की एक पत्रिका निकालने की सलाह दी.
  • इस सलाह को लेकर भाईजी गीता प्रेस के संस्थापक सेठ जी जयदयाल गोयनका से मिले.
  • उन्होंने अपनी सहमति दे दी और 22 अप्रैल 1926 को इस पत्रिका का नाम कल्याण निश्चित किया गया.
  • भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के अथक परिश्रम से अगस्त 1926 में कल्याण का प्रथम साधारण अंक मुंबई से प्रकाशित हुआ.
  • इस वर्ष कल्याण के 12 साधारण अंक प्रकाशित किए गए.
  • दूसरे वर्ष कल्याण का प्रथम विशेषांक भावनात्मक गोरखपुर से प्रकाशित हुआ. तभी से लेकर आज तक प्रति वर्ष विशेषांक प्रकाशित हो रहे हैं.
  • कल्याण का प्रकाशन गोरखपुर से अगस्त 1927 से शुरू हुआ.
  • यह प्रकाशन आज तक अनवरत रूप से जारी है.

गीता प्रेस प्रकाशन के उत्पादक प्रबंधक लालमणि तिवारी बताते हैं कि-

  • कल्याण एक मासिक पत्रिका है.
  • इस पत्रिका में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से संबंधित लेख प्रकाशित किए जाते हैं.
  • कल्याण पत्रिका के प्रकाशित होने पर बहुत से लोगों ने हिंदी सीखी.
  • कल्याण पिछले 93 वर्षों से निरंतर प्रकाशित किया जा रहा है.
  • इस वर्ष 93 वा अंक राधा माधव पर आधारित है. जनवरी में यह प्रकाशित हुआ है.
  • इस अंक में राधा माधव के अवतार से संबंधित सारी चीजें एक ही पुस्तक में मिल जाएंगे.

गोरखपुर: गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका कल्याण पिछले 93 वर्षों से अनवरत लोगों पर अध्यात्मिक संदेश पहुंचाने में संलग्न है. मई 2019 तक 15 करोड़ 85 लाख 78 हजार प्रतियां छप चुकी हैं. अभी तक 93 विशेषांक को 1111 मासिक अंकों के माध्यम से गीता, उपनिषद और पुराणों का संदेश लोगों तक कल्याण पहुंचा चुकी है.

पूरे देश में इसके दो लाख से ज्यादा ग्राहक है. मात्र 250 रुपये में 11 मासिक पत्रिका है. इनकी पृष्ठ संख्या 52 होती है और एक विशेषांक होता है. इसमें 600 पृष्ठ की मोटी पुस्तक ग्राहकों को दी जाती है. प्रतिदिन गीता प्रेस से 25,000 प्रतियां कल्याण की डिस्पैच की जाती हैं.

कल्याण मासिक पत्रिका में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से संबंधित लेख होती है प्रकाशित.

प्रथम संपादक गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद
गीता प्रेस से प्रकाशित 'कल्याण' के प्रथम संपादक गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के कल्याण पत्रिका ही भाई जी के गोरखपुर आने का कारण बनी. 1984 से वर्तमान संपादक राधेश्याम खेमका की देखरेख में कल्याण निकल रही है. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके कई सरकारों का दोबारा प्रकाशन करना पड़ा पाठकों की मांग पर कुछ विशेषांक तो आज भी अनवरत प्रकाशित होते रहते हैं, कल्याण का पहला अंक साधारण अंक था, अभी तक विशेषांक है.

ऐसे हुई कल्याण के प्रकाशन की शुरुआत-

  • दिल्ली में अप्रैल 1926 में आयोजित मारवाड़ी अग्रवाल सभा के आठवें अधिवेशन में घनश्याम दास बिड़ला ने भाई जी को अपने विचारों व सिद्धांतों की एक पत्रिका निकालने की सलाह दी.
  • इस सलाह को लेकर भाईजी गीता प्रेस के संस्थापक सेठ जी जयदयाल गोयनका से मिले.
  • उन्होंने अपनी सहमति दे दी और 22 अप्रैल 1926 को इस पत्रिका का नाम कल्याण निश्चित किया गया.
  • भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के अथक परिश्रम से अगस्त 1926 में कल्याण का प्रथम साधारण अंक मुंबई से प्रकाशित हुआ.
  • इस वर्ष कल्याण के 12 साधारण अंक प्रकाशित किए गए.
  • दूसरे वर्ष कल्याण का प्रथम विशेषांक भावनात्मक गोरखपुर से प्रकाशित हुआ. तभी से लेकर आज तक प्रति वर्ष विशेषांक प्रकाशित हो रहे हैं.
  • कल्याण का प्रकाशन गोरखपुर से अगस्त 1927 से शुरू हुआ.
  • यह प्रकाशन आज तक अनवरत रूप से जारी है.

गीता प्रेस प्रकाशन के उत्पादक प्रबंधक लालमणि तिवारी बताते हैं कि-

  • कल्याण एक मासिक पत्रिका है.
  • इस पत्रिका में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से संबंधित लेख प्रकाशित किए जाते हैं.
  • कल्याण पत्रिका के प्रकाशित होने पर बहुत से लोगों ने हिंदी सीखी.
  • कल्याण पिछले 93 वर्षों से निरंतर प्रकाशित किया जा रहा है.
  • इस वर्ष 93 वा अंक राधा माधव पर आधारित है. जनवरी में यह प्रकाशित हुआ है.
  • इस अंक में राधा माधव के अवतार से संबंधित सारी चीजें एक ही पुस्तक में मिल जाएंगे.
Intro:गोरखपुर। गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका कल्याण पिछले 93 वर्षों से अनवरत लोगों पर अध्यात्मिक संदेश पहुंचाने में संलग्न है मई 2019 तक 15 करोड़ 85 लाख 78 हजार प्रतियां छप चुकी हैं। अभी तक 93 विशेषांक को व 1111 मासिक अंकों के माध्यम से गीता, उपनिषद, पुराणों का संदेश लोगों तक कल्याण पहुंचा चुकी है। पूरे देश में इसके दो लाख से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचती है, मात्र 250 रुपए में 11 मासिक पत्रिका है। जिनकी पृष्ठ संख्या 52 होती है और एक विशेषांक जिसमें 600 पृष्ठ की मोटी पुस्तक ग्राहकों को दी जाती है। प्रतिदिन 25000 प्रतियां कल्याण की डिस्पैच की जाती है, गीता प्रेस से।




Body:गीता प्रेस से प्रकाशित कल्याण जिस के प्रथम संपादक गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के कल्याण पत्रिका ही भाई जी के गोरखपुर आने का कारण बनी 1984 से वर्तमान संपादक राधेश्याम खेमका की देखरेख में कल्याण निकल रही है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके कई सरकारों का दोबारा प्रकाशन करना पड़ा पाठको की मांग पर कुछ विशेषांक तो आज भी अनवरत प्रकाशित होते रहते हैं, कल्याण का पहला अंक साधारण अंक था, अभी तक विशेषांक है।

ऐसे हुई कल्याण के प्रकाशन की शुरुआत

दिल्ली में अप्रैल 1926 में आयोजित मारवाड़ी अग्रवाल सभा के आठवें अधिवेशन में घनश्याम दास बिड़ला ने भाई जी को अपने विचारों व सिद्धांतों की एक पत्रिका निकालने की सलाह दी। इस सलाह को लेकर भाईजी गीता प्रेस के संस्थापक सेठ जी जयदयाल गोयनका से मिले। उन्होंने अपनी सहमति दे दी, 22 अप्रैल 1926 को इस पत्रिका का नाम कल्याण निश्चित किया गया। भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार के अथक परिश्रम से अगस्त 1926 में कल्याण का प्रथम साधारण अंक मुंबई से प्रकाशित हुआ, इस वर्ष कल्याण के 12 साधारण अंक प्रकाशित किए गए। दूसरे वर्ष कल्याण का प्रथम विशेषांक भावनात्मक गोरखपुर से प्रकाशित हुआ, तभी से लेकर आज तक प्रति वर्ष विशेषांक प्रकाशित हो रहे हैं।

कल्याण का प्रकाशन गोरखपुर से अगस्त 1927 से शुरू हुआ, जो आज तक अनवरत रूप से जारी है। इस वर्ष कल्याण का राधा माधव अंक प्रकाशित किया गया है।


Conclusion:गीता प्रेस प्रकाशन के उत्पादक प्रबंधक लालमणि तिवारी बताते हैं कि कल्याण एक मासिक पत्रिका है, जिसमें भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से संबंधित लेख प्रकाशित किए जाते हैं। कल्याण के विषय में जो मैंने सुना था, कल्याण के प्रकाशित होने लगा तो उसको पढ़ने के लिए बहुत से लोगों ने हिंदी सीखी। कल्याण का जितना प्रचार प्रसार हुआ लोगों को कल्याण के महत्व के बारे में जब पता चला तो मैंने पढ़ना शुरू कर दिया। कल्याण पिछले 93 वर्षों से निरंतर प्रकाशित किया जा रहा है, इस वर्ष 93 वा अंक राधा माधव पर आधारित है। जनवरी में यह प्रकाशित हुआ है, काफी लोग इसे सराह चुके हैं। इस अंक में राधा माधव के अवतार से संबंधित सारी चीजें एक ही पुस्तक में मिल जाएंगे, कल्याण में एक विशेष अंक है। पढ़ो, समझो और करो विशेषांक आने के बाद लोगों के अंदर एक अलग सी उतावलापन इसे पढ़ने लिखने और करने में देखा गया है। कल्याण पढ़ने का लोगों के अंदर एक जुनून सा है, कल्याण लोग कई पीढ़ियों से पढ़ रहे हैं। हिंदी भाषी क्षेत्र में इसलिए अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बना रखा है, घर-घर तक इसकी पैठ बन चुकी है।

बाइट - लालमणि तिवारी, उत्पादक प्रबंधक - गीता प्रेस प्रकाशन

गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल मासिक पत्रिका कल्याण के बारे में बताते हैं कि सन 1926 में कल्याण का पहला अंक प्रकाशित किया गया था। कल्याण अंक के प्रकाशन से पहले एक मीटिंग की गई थी, जिसमें जयदयाल जी गोयंका जिन्होंने गीता प्रेस की स्थापना की थी। भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार, घनश्याम दास बिड़ला सहित तमाम लोग उस समय मौजूद थे। मीटिंग में यह तय हुआ कि मानव कल्याण को ध्यान में रखते हुए एक अलग विशेषांक निकालने की जरूरत है और सन 1926 में पहला विशेषांक कल्याण प्रकाशित किया गया। जो 1 वर्ष तक मुंबई से प्रकाशित किया गया था, उसके बाद से निरंतर गोरखपुर से कल्याण प्रकाशित होने लगी और एकमात्र ऐसी पत्रिका है जो कि अपने स्थापना काल से अभी तक निरंतर प्रकाशित की जा रही है।

इसका जो वर्तमान अंक निकला है 1111 अंक निकल रहा है, जो राधा माधव पर आधारित है। लगभग दो लाख की संख्या में इसका प्रकाशन होता है और 11 पत्रिका मासिक रूप से प्रकाशित की जाती है। जो हर महीने ग्राहकों के पास पहुंचती है, पत्रिका भले ही 2 लाख लोगों तक जाती है। लेकिन इसका लाभ करोड़ों लोग लेते हैं, वर्तमान समय में इसका मूल्य वर्ष भर का मात्र ढाई सौ रुपए है। जिसमें किसी भी विषय पर आधारित एक विशेषांक जिसमें 600 पेजों की पुस्तिका दी जाती है, 52 पृष्ठों की 11 मासिक पत्रिकाएं दी जाती है। इसका प्रचार पूरे भारतवर्ष में है, वही नेपाल में इसकी मांग सबसे ज्यादा है। बाकी अन्य देशों में लोग इसे अपने साधनों से ले जाते हैं।

बाइट - देवीदयाल, ट्रस्टी - गीता प्रेस






निखिलेश प्रताप
गोरखपुर
9453623738
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.