गोरखपुर: जिले के चौरीचौरा क्षेत्र के अहिरौली गांव के युवा धावक और अमेरिका मैराथन के गोल्ड मेडल विनर हरिकेश मौर्य पिछले तीन महीने से अमेरिका के कोलोरेडो शहर के डेनवर जेल में बंद हैं. इसकी जानकारी परिवार के लोगों को उसने टेलीफोन पर फरवरी 2022 में दी थी. तीन माह बीतने के बाद भी मैराथन एथलीट जेल से नहीं छूट सका है. धावक के पिता विश्वनाथ मौर्य किसान हैं और उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. पिता ने बेटे को छुड़ाने के लिए 4 मार्च को पीएम मोदी, सीएम योगी, विदेश मंत्रालय और खेल मंत्रालय को पत्र भेजा था. लेकिन, अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आने परिवार के लोग परेशान हैं.
हरिकेश के परिवार के लोगों का कहना है कि हरिकेश 2017 से अमेरिका में ट्रेनिंग ले रहा था. कोरोना की आर्थिक तंगी के कारण उसने कोलोरेडो शहर के एक होटल में बतौर मैनेजर नौकरी कर रहा था. फरवरी माह में उसके होटल में दो अज्ञात युवतियों के पाए जाने पर बतौर मैनेजर उसे मामले में आरोपी बनाकर स्थानीय पुलिस ने उसको जेल भेज दिया था. हरिकेश ने अपने पिता विश्वनाथ मौर्य को 1 मार्च को घटना की जानकारी देते हुए खुद के जेल में होने की बात बताई थी.
उस वक्त हरिकेश व उसके परिवार के लोगों को लगा था कि वह जेल से कुछ दिन में छूट जायेगा. इसलिए उन्होंने इस बात का जिक्र किसी से नहीं किया. हरिकेश ने अपने पिता को बताया था कि रेस में सेलेक्शन के कुछ दिन पूर्व उसके साथ यह घटना हुई थी. ऐसे में उसने खुद को फर्जी तरीके से फंसाए जाने की बात कही थी. परिवार के लोगों का आरोप है कि हरिकेश को फंसाया गया है. पिता ने मांग की है कि उनके बेटे को अमेरिकी जेल से छुड़ाया जाए.
कंट्री कोर्ट हाउस में चल रहा मुकदमा: बीते 17 फरवरी 2022 की रात को हरिकेश होटल की ड्यूटी से छुट्टी पर था. छुट्टी वाले दिन एक आदमी के साथ कहीं से भागकर दो लड़कियां आईं और होटल में ठहरीं थीं. अगले दिन जब हरिकेश ड्यूटी पहुंचा तो पुलिस की रेड पड़ गई और दोनों लड़कियां होटल से पकड़ी गईं. लेकिन, साथ आया आदमी फरार हो गया. पता चला कि पकड़ी गई लड़कियां कहीं से फरार होकर आयी थीं और अवैध तरीके से होटल में ठहरी थीं. पुलिस ने हरिकेश को मामले में संलिप्त मानते हुए गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. तीन माह से वह कोलोराडो की एडम्स कंट्री जेल डेनवर में बन्द है. उसका मुकदमा कंट्री कोर्ट हाउस 505 हैरीसन अवे, लेडविल्ले सीओ 80461 में चल रहा है.
कोरोन काल में पिता ने खेत बेचकर भेजे थे रुपये: हरिकेश अमेरिका में 2017 से निजी खर्च पर ट्रेंनिग ले रहा था. उसके बेहतर प्रदर्शन के कारण ट्रेंनिग के लिए उसका चयन कोलोराडो के एक कैम्प के लिए हुआ था. जहां हरिकेश कई देशों के खिलाड़ियों के साथ ट्रेनिंग ले रहा था. हालांकि, केन्या, नजीरिया, इथोपिया सहित तमाम देश उसे अपने यहां ट्रेनिंग का आफर दे रहे थे. हरिकेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उसने कोलोराडो के एक होटल में मैनेजर की नौकरी भी कर रहा था. हालांकि, होटल में नौकरी का कोई एग्रीमेंट नहीं हुआ था. इस बीच कोरोना काल में उसको आर्थिक परेशानी आयी तो पिता ने अपनी कृषि योग्य भूमि बेचकर उसे पैसा भेजा.
अमेरिका मैराथन में जीता गोल्ड मेडल: परिवार वालों के मुताबिक हरिकेश दौड़ में काफी मेहनत करता था. उसके शानदार प्रदर्शन के कारण उसे अमेरिका समेत केन्या, इथोपिया, नजीरिया समेत कई देशों से ट्रेनिंग लेने का आफर मिला था. इसी वर्ष 2022 में उसने अमेरिका मैराथन में गोल्ड मेडल जीतकर देश और घरवालों का नाम भी रोशन किया है.
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