गोरखपुर: हिंदू युवा वाहिनी संगठन की प्रदेश कार्यकारिणी समेत सभी जिला इकाइयों को भंग कर दिया गया है. इस बात की जानकारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश राय ने ईटीवी भारत से बातचीत में दी है. उन्होंने बताया कि संगठन के संरक्षक, गोरक्ष पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नई कार्यकारिणी गठन करने के उद्देश्य से मौजूदा प्रदेश कार्यकारिणी समेत समस्त जिला इकाइयों को भंग करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि संरक्षक के निर्णय पर कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं है.
दरअसल, हिंदू युवा वाहिनी योगी आदित्यनाथ का निजी संगठन है, जिसके वह संरक्षक हैं. इसका गठन 2002 के दौरान पूर्वांचल में हिंदू स्वाभिमान को जगाने और अपनी भी अलग से एक पहचान बनाने उद्देश्य से किया गया था. यह संगठन जिला से लेकर प्रदेश और ग्राम इकाइयों तक भी इतना मजबूत हुआ कि योगी आदित्यनाथ अपने हिंदुत्व के मिशन को इसके माध्यम से घर-घर तक पहुंचाने में कामयाब हुए. इस संगठन में कुछ कार्यकर्ता बीजेपी को छोड़कर शामिल हुए तो वहीं योगी आदित्यनाथ में विश्वास रखने वाले तमाम समर्थकों की फौज संगठन के मजबूती का कारण बनती चली गई.
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2002 यूपी विधानसभा का चुनाव हो या फिर इसके बाद प्रदेश में हुए विधानसभा और लोकसभा के चुनाव, योगी आदित्यनाथ के इस संगठन ने भारतीय जनता पार्टी के समानांतर सभी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. कार्यकर्ता निरंतर योगी को मजबूत करने में जुटे रहे. इस संगठन से जुड़े हुए कई ऐसे पदाधिकारी थे, जिन्हें योगी आदित्यनाथ ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़वाया और वह विधानसभा के सदस्य भी निर्वाचित हुए. इसमें डुमरियागंज के पूर्व विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह, हिंदू युवा वाहिनी संगठन में बतौर प्रदेश प्रभारी की भूमिका निभाते हैं.
वहीं, रामकोला के पूर्व विधायक अतुल सिंह को उन्होंने वर्तमान में गोरक्षा आयोग का उपाध्यक्ष बना रखा है. नेबुआ नौरंगिया विधानसभा सीट से भी उनका एक कार्यकर्ता शंभू चौधरी विधायक होने में कामयाब हुआ था. इस संगठन ने ही योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर बड़ा मुहिम चलाया था. तब इसके अध्यक्ष की भूमिका सुनील सिंह के नेतृत्व में थी, जो मौजूदा समय में योगी आदित्यनाथ से अलग हो चुके हैं और अब समाजवादी पार्टी के साथ हैं. फिलहाल इस संगठन की अपनी एक अलग पहचान है. माना जा रहा है कि नई कार्यकारिणी को गठन करने के उद्देश्य से अगर संगठन को भंग किया गया है तो निश्चित रूप से इसमें भी संरक्षक योगी आदित्यनाथ ने कोई बड़ी वजह और भविष्य की सफलता देख रहे होंगे.
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