गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर जंक्शन की स्थापना 139 वर्ष पहले 15 जनवरी 1885 को हुई थी. इसकी स्थापना बिहार के सोनपुर से यूपी के मनकापुर तक बिछाई जाने वाली, छोटी रेलवे लाइन के दौरान की गई थी. तब से लेकर आज तक इस स्टेशन के स्वरूप में काफी परिवर्तन हुआ. इसने कुल तीन रंगों को धारण किया. वर्ष 2024 से यह नए स्वरूप में 500 करोड़ की लागत से निर्मित होने जा रहा है.
जो आगामी 3 वर्षों में वास्तु कला, डिजाइन और सुविधाओं की दृष्टि से देश के जाने-माने स्टेशनों में शुमार हो जाएगा. स्टेशन के स्थापना दिवस समारोह को पूर्वोत्तर रेलवे ने बड़े ही उत्साह के साथ मनाया. स्टेशन के स्वरूप और बदलते समय की झलकियों के साथ केक तैयार किया गया था. जिसे सांसद रवि किशन के हाथों कटवाकर रेलवे ने अपनी विकास गाथा को प्रदर्शित किया.
इस दौरान रेलवे स्टेशन पर आने वाले अतिथियों का फूल देकर स्वागत किया गया और स्कूली बच्चों को रेलवे की विकास गाथा से जुड़ी फिल्म भी दिखाई गई. सांसद रवि किशन ने कहा कि यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफार्म रखने वाला स्टेशन है. जहां यात्रियों की सुविधा दिन ब दिन बढ़ रही हैं. यह रेलवे स्टेशन नहीं होता तो पूर्वांचल के तमाम लोग दूसरे शहरों तक पहुंच कर, रोजगार और विकास के बड़े पायदान को नहीं छू पाते.
उन्होंने अपनी चर्चा करते हुए कहा कि रेलवे का उन्होंने पुराना दौर भी देखा है. उसमें संघर्ष करते हुए मुंबई तक यात्रा की है. मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रेलवे का चतुर्दिक विकास हो रहा है. ₹390 में गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर होटल के कमरे जैसी व्यवस्था उपलब्ध है वह भी 6 घंटे के लिए, जिसमें यात्री ट्रेनों के विलंबित होने पर या विपरीत परिस्थितियों में इसका लाभ उठा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह रेलवे स्टेशन और भी अद्भुत दिखाई पड़ेगा. क्योंकि इसके विकास की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. यह एकदम एयरपोर्ट की तरह दिखाई देगा. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि गोरखपुर जंक्शन के अलावा, पूर्वोत्तर रेलवे के कई और स्टेशन अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत आने वाले समय में खूबसूरत और बेहतरीन सुविधाओं से सुसज्जित दिखाई देंगे, जिसका यात्री को बड़ा लाभ मिलेगा.
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि समय के साथ गोरखपुर रेलवे स्टेशन का इतिहास और समृद्ध होता चला गया. वर्ष 1943 तक यह स्टेशन अवध तिरहुत स्टेशन के अधीन था. यह स्टेशन देश की आजादी का गवाह बना. 1952 में क्षेत्रीय रेलों के गठन के दौरान गोरखपुर पूर्वोत्तर रेलवे का हिस्सा बना. 1955 में इसके फर्स्ट क्लास गेट पर रेलवे ने पहली बड़ी घड़ी लगाई जो आज भी दिखती है.
छोटी लाइन से यह स्टेशन वर्ष 1981 में बड़ी लाइन में तब्दील हुआ. लखनऊ के मल्हार से लेकर छपरा तक बड़ी लाइन बिछाई गई. 1990 में यहां पूर्वोत्तर रेलवे का पहला कंप्यूटरीकृत आरक्षण केंद्र स्थापित हुआ. मौजूदा समय में इस स्टेशन से वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेन भी चलाई जा रही है. भविष्य में राजधानी एक्सप्रेस के भी चलने की संभावना है. पूरी तरह से विद्युतीकरण से युक्त हो चुका है यह रेलवे स्टेशन. महात्मा गांधी से लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू, देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद इस रूट पर रेल यात्रा कर चुके हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे भारत को यहां से हरी झंडी दिखाई थी.