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पिछड़ों की आवाज बनेगी ओबीसी आर्मी, जानिए लोकसभा चुनाव 2024 के लिए क्या है रणनीति? - गोरखपुर पाॅलिटिक्स

लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी अभी बजी नहीं है. बावजूद इसके विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन अपने प्रतिनिधित्व को लेकर रणनीति तय करने में जुटे हैं. इसी कड़ी में ओबीसी आर्मी (OBC Army Gorakhpur) के मुखिया काली शंकर यादव ने भी अपनी तैयारी और उद्देश्य के कुछ अंश ईटीवी भारत से साझा किए. देखें विस्तृत खबर.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 9:22 PM IST

लोकसभा चुनाव 2024 में हुंकार भरेगी ओबीसी आर्मी. देखें खबर

गोरखपुर : लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियां ही नहीं, क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा जातीय आधार पर राजनीति में अपना कदम रख चुके संगठन भी दम खम आजमाएंगे. ऐसे ही संगठनों में से एक है ओबीसी आर्मी. यह संगठन भी 2024 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी जातियों को संवैधानिक अधिकार देने के हुंकार के साथ चुनाव अभियान में उतरेगा. ओबीसी आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर यादव ने कहा है कि उनके संगठन का देश के 13 प्रांतों में गठन हो चुका है. 23 जनवरी से नए सिरे से सदस्यता अभियान प्रारंभ होगा.

काली शंकर ने कहा-पिछड़ों की आवाज बनेगी ओबीसी आर्मी.
काली शंकर ने कहा-पिछड़ों की आवाज बनेगी ओबीसी आर्मी.

मंडल आयोग के सिफारिशों को लागू कराना मकसद : काली शंकर का कहना है कि मंडल आयोग के सिफारिशों को पूरी तरह से अब तक नहीं लागू किया गया है. सिर्फ दो संस्तुतियां ही लागू की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्रीय सचिवालय तक ओबीसी वर्ग के लोगों की नौकरियों में स्थिति शून्य के समान है. ऐसे में उनका संगठन ओबीसी समाज में जो भी जातियां आती हैं, सबके हक की लड़ाई के लिए राजनीतिक रूप से भागीदारी करेगा. काली शंकर ने कहा कि सत्ता में जो भी दल रहे ओबीसी को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं. उन्हें उनका हक नहीं मिला. लोकसभा, विधानसभा चुनाव में उनके लिए सीटें नहीं आरक्षित हुईं. ऐसे में उनके मुद्दे और मांग पर जो भी दल उनका सहयोग करेगा या समर्थन लेना चाहेगा, उसे ओबीसी आर्मी का भी खुला सपोर्ट मिलेगा, क्योंकि सत्ता में भागीदारी से ही ओबीसी समाज को उनका हक मिल पाएगा.

काली शंकर यादव का परिचय : काली शंकर यादव पूर्वांचल में एक संघर्षशील युवा और पिछड़े नेता की पहचान रखते हैं. प्रयागराज हाई कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार को जातिगत जनगणना करने को लेकर इन्होंने नोटिस जारी कराया. इसके लिए उन्होंने वाद दाखिल किया था. यूपी सरकार अभी इसका जवाब नहीं दे पाई है और हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. करीब 25 वर्षों तक वह समाजवादी पार्टी के साथ रहकर उसे मजबूत करने का कार्य किए. सपा युवजन सभा में राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता की भूमिका निभाई. मुलायम सिंह की सरकार में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर चुने गए. पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री होल्डर काली शंकर इन वर्षों में ओबीसी लोगों के अधिकारों की बात करते रहे, लेकिन उनकी आवाज दबती जा रही थी. ऐसे में उन्होंने दो वर्ष पहले ओबीसी आर्मी का गठन कर पूरे देश में भ्रमण किया और पिछड़ी जातियों के लिए विभिन्न प्रांतो में संगठन खड़ा कर संघर्ष करने वाले संगठनों को अपने बैनर तले एक किया. 4 मार्च 2023 को दिल्ली में छह संगठनों की बैठक हुई और राजनीतिक भागीदारी के साथ, लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का फैसला किया गया.

23 जनवरी से सदस्यता अभियान : ईटीवी भारत से बातचीत में काली शंकर ने कहा कि लगातार कार्यक्रमों और अभियानों के जरिए ओबीसी आर्मी पिछले एक वर्ष से सक्रियों कार्य कर रही है. चाहे वह यदुकुल शिरोमणि सम्मान देने की बात रही हो या फिर कुशवाहा, निषाद, व्यापारी, मौर्य, कुर्मी या अल्पसंख्यक वर्ग जो भी पिछड़ी जातियों के लोग थे उन्हे सम्मान देकर जगाया गया. काली शंकर कहते हैं कि उड़ीसा, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उनका संगठन तेजी से कम कर रहा है. इन प्रदेशों में 23 जनवरी से सदस्यता अभियान गति पकड़ेगा. उनकी मुख्य मांग जातिगत जनगणना, मंडल आयोग की संस्तुतियों को पूर्ण रूप से लागू करना, लोकसभा विधानसभा में ओबीसी के लिए सीटें रिजर्वेशन करना है.

यह भी पढ़ें : ओबीसी आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले, कौशांबी तिहरा हत्याकांड अंजाम देने वाले एक जाति के ही लोग, कार्रवाई हो

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गोरखपुर : लोकसभा चुनाव 2024 में सिर्फ राष्ट्रीय पार्टियां ही नहीं, क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा जातीय आधार पर राजनीति में अपना कदम रख चुके संगठन भी दम खम आजमाएंगे. ऐसे ही संगठनों में से एक है ओबीसी आर्मी. यह संगठन भी 2024 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी जातियों को संवैधानिक अधिकार देने के हुंकार के साथ चुनाव अभियान में उतरेगा. ओबीसी आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष काली शंकर यादव ने कहा है कि उनके संगठन का देश के 13 प्रांतों में गठन हो चुका है. 23 जनवरी से नए सिरे से सदस्यता अभियान प्रारंभ होगा.

काली शंकर ने कहा-पिछड़ों की आवाज बनेगी ओबीसी आर्मी.
काली शंकर ने कहा-पिछड़ों की आवाज बनेगी ओबीसी आर्मी.

मंडल आयोग के सिफारिशों को लागू कराना मकसद : काली शंकर का कहना है कि मंडल आयोग के सिफारिशों को पूरी तरह से अब तक नहीं लागू किया गया है. सिर्फ दो संस्तुतियां ही लागू की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्रीय सचिवालय तक ओबीसी वर्ग के लोगों की नौकरियों में स्थिति शून्य के समान है. ऐसे में उनका संगठन ओबीसी समाज में जो भी जातियां आती हैं, सबके हक की लड़ाई के लिए राजनीतिक रूप से भागीदारी करेगा. काली शंकर ने कहा कि सत्ता में जो भी दल रहे ओबीसी को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं. उन्हें उनका हक नहीं मिला. लोकसभा, विधानसभा चुनाव में उनके लिए सीटें नहीं आरक्षित हुईं. ऐसे में उनके मुद्दे और मांग पर जो भी दल उनका सहयोग करेगा या समर्थन लेना चाहेगा, उसे ओबीसी आर्मी का भी खुला सपोर्ट मिलेगा, क्योंकि सत्ता में भागीदारी से ही ओबीसी समाज को उनका हक मिल पाएगा.

काली शंकर यादव का परिचय : काली शंकर यादव पूर्वांचल में एक संघर्षशील युवा और पिछड़े नेता की पहचान रखते हैं. प्रयागराज हाई कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार को जातिगत जनगणना करने को लेकर इन्होंने नोटिस जारी कराया. इसके लिए उन्होंने वाद दाखिल किया था. यूपी सरकार अभी इसका जवाब नहीं दे पाई है और हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. करीब 25 वर्षों तक वह समाजवादी पार्टी के साथ रहकर उसे मजबूत करने का कार्य किए. सपा युवजन सभा में राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता की भूमिका निभाई. मुलायम सिंह की सरकार में उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के डायरेक्टर चुने गए. पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री होल्डर काली शंकर इन वर्षों में ओबीसी लोगों के अधिकारों की बात करते रहे, लेकिन उनकी आवाज दबती जा रही थी. ऐसे में उन्होंने दो वर्ष पहले ओबीसी आर्मी का गठन कर पूरे देश में भ्रमण किया और पिछड़ी जातियों के लिए विभिन्न प्रांतो में संगठन खड़ा कर संघर्ष करने वाले संगठनों को अपने बैनर तले एक किया. 4 मार्च 2023 को दिल्ली में छह संगठनों की बैठक हुई और राजनीतिक भागीदारी के साथ, लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने का फैसला किया गया.

23 जनवरी से सदस्यता अभियान : ईटीवी भारत से बातचीत में काली शंकर ने कहा कि लगातार कार्यक्रमों और अभियानों के जरिए ओबीसी आर्मी पिछले एक वर्ष से सक्रियों कार्य कर रही है. चाहे वह यदुकुल शिरोमणि सम्मान देने की बात रही हो या फिर कुशवाहा, निषाद, व्यापारी, मौर्य, कुर्मी या अल्पसंख्यक वर्ग जो भी पिछड़ी जातियों के लोग थे उन्हे सम्मान देकर जगाया गया. काली शंकर कहते हैं कि उड़ीसा, यूपी, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में उनका संगठन तेजी से कम कर रहा है. इन प्रदेशों में 23 जनवरी से सदस्यता अभियान गति पकड़ेगा. उनकी मुख्य मांग जातिगत जनगणना, मंडल आयोग की संस्तुतियों को पूर्ण रूप से लागू करना, लोकसभा विधानसभा में ओबीसी के लिए सीटें रिजर्वेशन करना है.

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