गोरखपुर: शहर को जलभराव से मुक्ति देने के लिए राप्ती नदी के बांध पर साल 1978 में स्थापित हुआ ड्रेनेज पंप (रेग्यूलेटर) बदहाल और बीमार हालत में है. बारिश के दिनों में शहर के 14 नालों से होता हुआ पानी जब यहां पहुंचता है तो उसकी निकासी इसी पंप के द्वारा होती है. इसके माध्यम से पानी राप्ती नदी में छोड़ा जाता है. लेकिन, अब इसकी इसकी हालत खराब है. मानसून सत्र और पिछले जलभराव की स्थिति को देखते हुए, नगर निगम के अधिकारी और महापौर इसकी हालत को ठीक करने में जुटे हैं. नट- बोल्ट टाइट करने से लेकर मोटर की रिपेयरिंग तो हो रही है. लेकिन, माथे पर बल पड़ा हुआ है.
60 मोहल्लों में होता है जलभरावः अभी तक गोरखपुर से लेकर पूर्वांचल में घनघोर बारिश नहीं हुई है. अगर हुई तो करीब 60 मोहल्लों को जलभराव से मुक्त करना बड़ी चुनौती होगी. वहीं, विरोधी दल खासकर कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पिछली सरकारों ने बाढ़ सुरक्षा से लेकर जलभराव से मुक्ति पर कोई ठोस प्रयास नहीं किया. पुराने समय के संसाधन ही मददगार साबित हो रहे हैं. कांग्रेस के समय बने बांध और रेगुलेटर लोगों के लिए आज भी मददगार है. सरकार उसकी मरम्मत और क्षमता वृद्धि तक नहीं करा पाती.
जलभराव के 68 स्थान चिह्नितः नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल कहते हैं कि महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव के साथ उन्होंने खुद इस रेगुलेटर पंप का निरीक्षण किया है. साथ ही यह भी देखा गया कि समय-समय पर किन अधिकारियों कर्मचारियों के निरीक्षण हुए और उनमें किन कमियों को दुरुस्त कराया. फिलहाल मौजूदा समय में मोटर की सर्विसिंग से लेकर पंप की मरम्मत की जो भी आवश्यकता थी उसकी पूर्ति की गई है. ताकि जलभराव की स्थिति से शहर को उबरा जा सके. जलकल कुल 3 रेगुलेटर इलाहीबाग, मिर्जापुर और डोमिनगढ़ को ऑपरेट करता है. इसमें 156 हॉर्स पावर से लेकर 19 हॉर्स पावर तक के पंप लगे हैं. गौरव सिंह ने कहा कि शहर के विभिन्न लोकेशन पर 224 पंप लगे हुए हैं. अस्थाई जलभराव के भी 68 स्थान चिन्हित किए गए हैं. डेडीकेटेड कंट्रोल रूम अपर नगर आयुक्त की देखरेख में चल रहा है. जहां जनता से जलभराव के संबंध में फीडबैक लेकर त्वरित कार्यवाही की जाती है. भविष्य में जलभराव की स्थिति में भी की जाएगी.
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1998 में बाढ़ से बेकार हो गए थे सभी पंपः राप्ती नदी के तट पर बनाए गए इस रेगुलेटर से शहर के निचले हिस्से में बसे हुए लोगों को जलभराव से राहत मिलती है. बाढ़ की संभावना को देखते हुए इसकी निगरानी बराबर की जाती है. यहां से गुजरने वाले बड़े नालों की साफ-सफाई भी होती रहती है. जोनल अधिकारी और सुपरवाइजर को निर्देश दिया गया है कि बांध और रेगुलेटर के आसपास किसी भी तरह का अतिक्रमण और गंदगी न फैलने पाये. जलजमाव को देखते हुए सभी 80 वार्डों में नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं. वर्ष 1998 में राप्ती नदी ने भारी तबाही मचाई थी. यह सभी पंप बेकार हो गए थे. वहीं, तरकुलानी रेगुलेटर का भी निर्माण पचासी करोड़ की लागत से योगी सरकार ने दो वर्ष पूर्व कराया है. जिससे कृषि योग्य भूमि और शहर को जलभराव से मुक्त कराया जा सके. यह रेगुलेटर करीब 30 किलोमीटर की शहर दूरी से बना है.
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