गोरखपुर: भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर नगर निगम के महापौर पद के लिए डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव को रविवार की रात अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की तरफ से बधाई देने का तांता लग गया. प्रत्याशी बनने के बाद मंगलेश श्रीवास्तव ने लेकर कहा कि असली चुनाव तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही लड़ रहे हैं. सीएम योगी के किए गए कार्यों की बदौलत ही जनता का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त होगा. जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में विकास के लिए सड़कों से लेकर जल निकासी समेत तमाम समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया है. वह पार्टी को बड़े स्तर पर जीत दिलाएगा.
उन्होंने कहा कि पार्टी ने उनके ऊपर जो भरोसा जताया है, उसके लिए वह पार्टी का आभार प्रकट करते हैं. जनता अगर उन्हें अपना महापौर चुनती है तो वह निश्चित रूप से योगी के मार्गदर्शन में विकास कार्यों को आगे बढ़ाएंगे. इसके साथ ही शहर में वाटर लॉगिंग जैसी समस्याओं को भी दूर करने का प्रयास किया जाएगा.
बता दें कि डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव के महापौर पद का प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा बीजेपी में महीनों से चल रही थी. हालांकि दावेदारों की संख्या यहां कम नहीं थी. लेकिन जातीय समीकरण को साधते हुए भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अनारक्षित हुई सीट पर कायस्थ बिरादरी के चिकित्सक को मैदान में उतारा है. यह पार्टी के बड़े और आंदोलन के कार्यक्रमों में तो सक्रिय नहीं दिखाई देते थे. लेकिन संघ की पृष्ठभूमि के लिए काम कर रहे हैं. मौजूदा समय में भी वह संघ की इकाई संस्कार भारती के गोरखपुर क्षेत्र के महामंत्री हैं.
डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव चिकित्सकों के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की गोरखपुर इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. शहर में उनकी पैथोलॉजी चर्चित पैथोलॉजी में मानी जाती है. वह पैथोलॉजिस्ट डॉक्टरों के संगठन के संस्थापक सचिव भी रहे हैं. डॉक्टर मंगलेश की शिक्षा-दीक्षा गोरखपुर के ही सरस्वती शिशु मंदिर से हुई है. वह मूल रूप से महाराजगंज जिले के रहने वाले हैं. पिता डॉ. आद्या प्रसाद गोरक्ष पीठ की तरफ से संचालित दिग्विजय नाथ डिग्री कॉलेज में बतौर शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष के रूप में सेवा दे चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी पर निकाय चुनाव में जातीय संतुलन को ठीक करने का दबाव था. क्योंकि विधानसभा से लेकर लोकसभा के सभी चुनावी पदों पर इस क्षेत्र में ब्राह्मण और क्षत्रीय बिरादरी के नेता चुने जाते रहे हैं. गोरखपुर शहर में कायस्थ बिरादरी का मत बड़े पैमाने पर है. इस बिरादरी को भाजपा का बेहद समर्थित मतदाता माना जाता है. लेकिन 40 वर्षों बाद भी कोई प्रतिनिधित्व इस बिरादरी को पार्टी की तरफ से नहीं मिल पाया था. जनसंघ के 1977 और 1980 के जमाने में बाबू अवधेश श्रीवास्तव यहां से 2 बार विधायक हुए थे.
हालांकि डॉ. मंगला श्रीवास्तव के साथ-साथ बीजेपी के कई संघर्षशील कायस्थ बिरादरी के नेता इस पद की दावेदारी में लगे हुए थे. लेकिन संघ से नजदीकी और गोरक्षपीठ से 40 वर्षों का लगाव था. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका निभा चुके डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव अंततः महापौर पद पर पार्टी के प्रत्याशी बनाए जाने में कामयाब हुए. यह माना जा रहा है कि सीएम की मंशा के अनुकूल यह निर्णय लिया गया है. क्योंकि इस नाम पर महीनों पहले ही मुहर लग चुकी थी. उसी समय से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में डॉक्टर मंगलेश का ही ही मैदान में आना माना जा रहा था.