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गोरखपुर: फोन से होगा कंटेनमेंट जोन में फॉलो-अप, नवजात बच्चों पर खास निगरानी - uttar pradesh news

गोरखपुर में कंटेनमेंट जोन में निवास करने वाले नवजात शिशुओं का गृह आधारित देखभाल फोन के माध्यम से किया जाएगा. परिवार कल्याण महानिदेशक ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर इस बारे में निर्देश दिया है.

follow up by phone in containment zone
परिवार कल्याण महानिदेशक ने यह निर्देश दिया है.
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Published : Aug 7, 2020, 8:09 AM IST

गोरखपुर: कोरोना के चलते जिले में कई कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. इन कंटेनमेंट जोन में रहने वाले नवजात शिशुओं का (एचबीएनसी) फॉलोअप आशा कार्यकर्ताओं द्वारा फोन के माध्यम से किया जाएगा. मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने इसकी पुष्टी की है.

सीएमओ ने बताया कि प्राप्त निर्देश के क्रम में कहा गया है कि फोन के माध्यम से आशा कार्यकर्ता फॉलोअप में कम वजन वाले बच्चों, समय से पहले जन्में बच्चों, सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) से डिस्चार्ज हुए बच्चों या घरेलू प्रसव को प्राथमिकता देते हुए सभी नवजात शिशुओं के परिवारों को परामर्श देंगी. वही शिशु के स्वास्थ्य (खतरे के लक्षण) जैसे- सुस्ती, बेहोशी, छूने पर ठंडा-गर्म, स्तनपान आदि के बारे में पूछेंगी.

आशा कार्यकर्ता इस दौरान मां और परिवार को प्रसव के बाद महिला व शिशु में होने वाले खतरे के लक्षणों के बारे में बताएंगी, उनसे पूछेंगी और इस बात का आंकलन करेंगी कि नवजात को चिकित्सीय जांच की जरूरत तो नहीं है. वह मां और परिवार को केवल स्तनपान, कपड़े में लपेट कर कंगारू मदर केयर के बारे में सलाह देंगी.

आशा कार्यकर्ता यह भी सलाह देंगी कि यदि नवजात में किसी तरह के खतरे के लक्षण दिखें तो वह आशा और ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनजर (बीसीपीएम) को सूचित करें. जरूरत के हिसाब से 102 एम्बुलेंस की भी मदद लें. यह सब निर्णय कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उठाया गया है, जिससे मासूमों के साथ बच्चे की मां और परिवार को भी संक्रमण से बचाया जा सके.

गोरखपुर: कोरोना के चलते जिले में कई कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. इन कंटेनमेंट जोन में रहने वाले नवजात शिशुओं का (एचबीएनसी) फॉलोअप आशा कार्यकर्ताओं द्वारा फोन के माध्यम से किया जाएगा. मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने इसकी पुष्टी की है.

सीएमओ ने बताया कि प्राप्त निर्देश के क्रम में कहा गया है कि फोन के माध्यम से आशा कार्यकर्ता फॉलोअप में कम वजन वाले बच्चों, समय से पहले जन्में बच्चों, सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) से डिस्चार्ज हुए बच्चों या घरेलू प्रसव को प्राथमिकता देते हुए सभी नवजात शिशुओं के परिवारों को परामर्श देंगी. वही शिशु के स्वास्थ्य (खतरे के लक्षण) जैसे- सुस्ती, बेहोशी, छूने पर ठंडा-गर्म, स्तनपान आदि के बारे में पूछेंगी.

आशा कार्यकर्ता इस दौरान मां और परिवार को प्रसव के बाद महिला व शिशु में होने वाले खतरे के लक्षणों के बारे में बताएंगी, उनसे पूछेंगी और इस बात का आंकलन करेंगी कि नवजात को चिकित्सीय जांच की जरूरत तो नहीं है. वह मां और परिवार को केवल स्तनपान, कपड़े में लपेट कर कंगारू मदर केयर के बारे में सलाह देंगी.

आशा कार्यकर्ता यह भी सलाह देंगी कि यदि नवजात में किसी तरह के खतरे के लक्षण दिखें तो वह आशा और ब्लॉक कम्युनिटी प्रोसेस मैनजर (बीसीपीएम) को सूचित करें. जरूरत के हिसाब से 102 एम्बुलेंस की भी मदद लें. यह सब निर्णय कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उठाया गया है, जिससे मासूमों के साथ बच्चे की मां और परिवार को भी संक्रमण से बचाया जा सके.

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