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आंकड़े बता रहे इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों को थामने में कामयाब हुई योगी सरकार

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Published : Sep 3, 2021, 7:09 PM IST

गोरखपुर जनपद में इंसेफलाइटिस(Encephalitis) बीमारी पर डॉक्टरों और सरकार के प्रयासों से प्रभावी नियंत्रण पा लिया गया है. अगस्त और सितंबर माह इंसेफलाइटिस बीमारी का पीक महीना कहा जाता है, लेकिन मौजूदा समय में इस बीमारी के मरीज नहीं आ रहे हैं.

इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों को थामने में कामयाब हुई योगी सरकार
इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों को थामने में कामयाब हुई योगी सरकार

गोरखपुर : जनपद में मासूमों के लिए काल रही इंसेफलाइटिस(Encephalitis) की बीमारी पर काफी नियंत्रण है. इसकी वजह से पिछले 4 दशकों में 20 हजार से ज्यादा मासूमों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन यूपी सरकार के उचित प्रबंधन के कारण इस महामारी पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित होता नजर आ रहा है. इंसेफलाइटिस की बीमारी पर नियंत्रण की गवाही स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े दे रहे हैं.

अगस्त और सितंबर का महीना इंसेफलाइटिस का पीक महीना बताया जाता है, लेकिन मौजूदा समय तक इस वर्ष में जापानी इंसेफेलाइटिस की वजह से मौत का आंकड़ा शून्य है. इसके अलावा जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) की वजह से कुल 4 मौतें हुईं हैं. जबकि साल 2017 से पहले मौतों का सिलसिला प्रति वर्ष 400 से 500 का था. सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय की माने तो जेई(जापानी इंसेफेलाइटिस) और एईएस पर नियंत्रण कर लिया गया है. गांव स्तर पर आशा और एएनएम के सहयोग से बुखार के मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लाकर इलाज दिया जा रहा है. जिससे इंसेफेलाइटिस की चपेट में आने की संभावना खत्म हो जाती है.

इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों को थामने में कामयाब हुई योगी सरकार

सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि, जल जनित बीमारी जिसे एईएस कहते हैं उसके रोकथाम में भी सफलता मिली है. यही वजह है कि मौत के आंकड़े कम हैं. सीएमओ का कहना है कि मौजूदा समय में जिले में मलेरिया और डेंगू का एक भी मरीज नहीं है. यह स्वास्थ्य विभाग के साथ कुछ अन्य विभागों के बीच बने समन्वय का परिणाम है. उन्होंने कहा कि विभागों के समन्वय की सोच सीएम योगी की सरकार रही है. योगी सरकार में इंसेफलाइटिस को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वच्छता, सफाई, शुद्ध पानी और टीकाकरण पर जोर दिया है.

इसके लिए ग्राम विकास, पंचायती राज, स्वास्थ्य, बाल विकास, जल निगम से विभागों को एक साथ लाकर बचाव के जरूरी उपायों पर काम करने का अभियान चलाया गया. प्रभावी प्रयास के बाद इंसेफेलाइटिस अब खत्म होने की स्थिति में है. बता दें, कि संचारी रोग नियंत्रण पखवाड़ा, दस्तक अभियान, पीकू और आईसीयू की सुविधाओं में प्रगति होने के कारण ही गोरखपुर जिले में अभी तक इंसेफलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियों पर नियंत्रण हो सका है.

आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2017 में एईएस(Acute Encephalitis Syndrome) के कुल मामले 817 थे, जिनमें 114 मौत हुई. जबकि जेई के 52 मामलों में 10 की मौत हुई. वर्ष 2018 में एईएस के 435 मामले थे, जिसमें 41 की मौत हुई थी. वहीं जेई के 35 मामलों में 02 की मौत हुई थी. इसी क्रम में वर्ष 2019 में एईएस के 225 मामले आए थे, जिनमें 13 की मौत हुई थी. जबकि जेई के 35 मामलों में 05 की मौत हुई थी. इसी प्रकार वर्ष 2020 में 227 मामले एईएस के आए थे, जिनमें 13 की मौत हुई जबकि जेई के 13 मामलों में 02 की मौत हुई. वर्ष 2021 में अभी तक एईएस के कुल 20 मामलों में 04 की मौत हुई है, जबकि जेई से मृत लोगों का आंकड़ा शून्य है.

इसे पढ़ें- दिल्ली हिंसा का आरोपी खालिद बोला - चार्जशीट है या 'फैमिली मैन' की स्क्रिप्ट

गोरखपुर : जनपद में मासूमों के लिए काल रही इंसेफलाइटिस(Encephalitis) की बीमारी पर काफी नियंत्रण है. इसकी वजह से पिछले 4 दशकों में 20 हजार से ज्यादा मासूमों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन यूपी सरकार के उचित प्रबंधन के कारण इस महामारी पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित होता नजर आ रहा है. इंसेफलाइटिस की बीमारी पर नियंत्रण की गवाही स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े दे रहे हैं.

अगस्त और सितंबर का महीना इंसेफलाइटिस का पीक महीना बताया जाता है, लेकिन मौजूदा समय तक इस वर्ष में जापानी इंसेफेलाइटिस की वजह से मौत का आंकड़ा शून्य है. इसके अलावा जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम(एईएस) की वजह से कुल 4 मौतें हुईं हैं. जबकि साल 2017 से पहले मौतों का सिलसिला प्रति वर्ष 400 से 500 का था. सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय की माने तो जेई(जापानी इंसेफेलाइटिस) और एईएस पर नियंत्रण कर लिया गया है. गांव स्तर पर आशा और एएनएम के सहयोग से बुखार के मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर लाकर इलाज दिया जा रहा है. जिससे इंसेफेलाइटिस की चपेट में आने की संभावना खत्म हो जाती है.

इंसेफेलाइटिस से हो रही मौतों को थामने में कामयाब हुई योगी सरकार

सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि, जल जनित बीमारी जिसे एईएस कहते हैं उसके रोकथाम में भी सफलता मिली है. यही वजह है कि मौत के आंकड़े कम हैं. सीएमओ का कहना है कि मौजूदा समय में जिले में मलेरिया और डेंगू का एक भी मरीज नहीं है. यह स्वास्थ्य विभाग के साथ कुछ अन्य विभागों के बीच बने समन्वय का परिणाम है. उन्होंने कहा कि विभागों के समन्वय की सोच सीएम योगी की सरकार रही है. योगी सरकार में इंसेफलाइटिस को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वच्छता, सफाई, शुद्ध पानी और टीकाकरण पर जोर दिया है.

इसके लिए ग्राम विकास, पंचायती राज, स्वास्थ्य, बाल विकास, जल निगम से विभागों को एक साथ लाकर बचाव के जरूरी उपायों पर काम करने का अभियान चलाया गया. प्रभावी प्रयास के बाद इंसेफेलाइटिस अब खत्म होने की स्थिति में है. बता दें, कि संचारी रोग नियंत्रण पखवाड़ा, दस्तक अभियान, पीकू और आईसीयू की सुविधाओं में प्रगति होने के कारण ही गोरखपुर जिले में अभी तक इंसेफलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियों पर नियंत्रण हो सका है.

आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2017 में एईएस(Acute Encephalitis Syndrome) के कुल मामले 817 थे, जिनमें 114 मौत हुई. जबकि जेई के 52 मामलों में 10 की मौत हुई. वर्ष 2018 में एईएस के 435 मामले थे, जिसमें 41 की मौत हुई थी. वहीं जेई के 35 मामलों में 02 की मौत हुई थी. इसी क्रम में वर्ष 2019 में एईएस के 225 मामले आए थे, जिनमें 13 की मौत हुई थी. जबकि जेई के 35 मामलों में 05 की मौत हुई थी. इसी प्रकार वर्ष 2020 में 227 मामले एईएस के आए थे, जिनमें 13 की मौत हुई जबकि जेई के 13 मामलों में 02 की मौत हुई. वर्ष 2021 में अभी तक एईएस के कुल 20 मामलों में 04 की मौत हुई है, जबकि जेई से मृत लोगों का आंकड़ा शून्य है.

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