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गोरखपुर: कोरोना वायरस के खौफ ने पोल्ट्री उद्योग की तोड़ी कमर, होली में चिकन 59 रुपये किलो

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पोल्ट्री उद्योग के कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. चिकन में कोरोना वायरस की बात से लोगों ने उससे किनारा कर लिया है. इसके चलते व्यापारियों को नुकसान हो रहा है.

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पोल्ट्री उद्योग की टूटी कमर
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Published : Mar 9, 2020, 5:31 AM IST

गोरखपुर: होली में जहां रंग-बिरंगे रंगों के साथ पिचकारिओं का महत्व होता है, वहीं होली खेलने के बाद लोग स्वादिष्ट भोजन का भी आनंद बड़े ही चाव के साथ लेते हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान में रखते हुए पोल्ट्री उद्योग होली को लेकर पूरे साल तैयारी में लगा रहता है. लोग भी सस्ता और पौष्टिक होने की वजह से चिकन को बड़े ही चाव के साथ खाते हैं, लेकिन इस होली में पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गया है. चाहे वह एग फार्मिंग हो, चिक्स फार्मिंग हो या फिर चिकन फार्मिंग.

सोशल मीडिया पर चिकन खाने और चिकन में कोरोना वायरस पाए जाने जैसे दुष्प्रचार की वजह से कई करोड़ का उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. होली में चिकन 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिकता था. आज सैकड़ा तो दूर दहाई के अंक के करीब आ गया है. इस समय 59 रुपये प्रति किलो चिकन बाजारों में बिक रहा है. ऐसे में लगातार मुर्गे के दाम में गिरावट आ रही है, जिससे पोल्ट्री व्यवसायियों की कमर टूट गई है.

पोल्ट्री उद्योग की टूटी कमर.

पोल्ट्री उद्योग को हो रहा भारी नुकसान
पूर्वांचल में सैकड़ों करोड़ रुपये का पोल्ट्री उद्योग पिछले एक माह में बुरी तरह प्रभावित हुआ है. गोरखपुर की बात करें तो प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये का व्यापार पोल्ट्री उद्योग के व्यापारी करते थे, लेकिन अभी यह व्यापार सिमटकर लाखों में रह गया है. वहीं इस उद्योग ने हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार भी दिया था. ऐसे में इस उद्योग से जुड़े हुए कामगारों के रोजी-रोटी पर संकट देखने को मिल रहा है. लगातार कोरोना का भय इस व्यापार को अपनी आगोश में लेता जा रहा है.

सरकार ने की अपील मगर नहीं हुआ लोगों पर असर
आम लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापारियों ने फ्री में चिकन खिलाकर उन्हें जागरूक करने का भी काम किया था, लेकिन उनका यह प्रयास विफल साबित हुआ. व्यापारियों को उम्मीद थी कि होली में मुर्गे के मीट का रेट बढ़ेगा, लेकिन लगातार कम होते रेट में व्यापारियों के माथे पर पसीना ला दिया है. वहीं केंद्र सरकार ने इस उद्योग को थोड़ी राहत देने की कोशिश जरूर की है. उसने एडवाइजरी जारी की है कि चिकन में किसी प्रकार का कोई वायरस नहीं है और इसके खाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन की प्राप्ति होती है, लेकिन प्रदेश सरकार की लगातार उदासीनता से व्यापारी काफी चिंतित हैं.

व्यापारियों की सरकार से अपील
व्यापारियों का कहना है कि इस उद्योग को बचाने के लिए प्रदेश सरकार को आगे आना चाहिए, जिससे हम व्यापारियों को बल मिल सके. आज हम लोगों के पास फैक्ट्री चलाने की जो जमा पूंजी थी, वह खत्म हो चुकी है. बैंकों का कर्ज भी सिर पर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कामगारों को पैसा दे पाना, बिजली का बिल दे पाना हम लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

व्यापारियों को खासा नुकसान
पोल्ट्री फार्म के मालिक अनुपम ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि हर साल होली में चिकन 100 से 150 रुपये प्रति किलो बिक जाता था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी है. हरियाणा से आकर पिछले 20 वर्षों से पोल्ट्री उद्योग से जुड़े तेज सिंह ने बताया कि जब से वह इस व्यापार से जुड़े हैं, ऐसा आर्थिक संकट उन्होंने कभी नहीं देखा. हर साल होली को ध्यान में रखकर अपनी सारी जमा पूंजी वह इस व्यापार में डाल देते थे और उससे अच्छी कमाई भी हो जाती थी, लेकिन पिछले एक माह से लगातार इस उद्योग पर कोरोना वायरस का ग्रहण लग गया है.

केंद्र सरकार ने इस संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है कि चिकन में किसी प्रकार का कोई वायरस नहीं है, लेकिन लोगों के अंदर इस प्रकार से खौफ व्याप्त है कि वह चिकन से दूरी बना लिए हैं. पूर्वांचल पोल्ट्री फार्म उद्योग के अध्यक्ष अत्रे सिंह ने बताया कि कोरोना के खौफ ने पोल्ट्री के सभी अंगों को पूरी तरह से प्रभावित किया है. लगातार यह व्यापार जमीनदोज होता जा रहा है. प्रदेश सरकार की उदासीनता हम व्यापारियों के लिए नासूर बनती जा रही है. हमने इस व्यापार के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार दिया है, लेकिन अब हम ही लोगों के ऊपर आर्थिक संकट की वजह से रोजी-रोटी के लाले पड़ते जा रहे हैं. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों को सरकारी मदद दें, जिससे हम लोग इस आर्थिक संकट से उभर पाए और हजारों लोगों का रोजी रोजगार चल सके.

इसे भी पढ़ें- महिला दिवस विशेष : लोकसंगीत की 'मालिनी', जिनके स्वर से लोकगीत महक उठे

गोरखपुर: होली में जहां रंग-बिरंगे रंगों के साथ पिचकारिओं का महत्व होता है, वहीं होली खेलने के बाद लोग स्वादिष्ट भोजन का भी आनंद बड़े ही चाव के साथ लेते हैं. ऐसे में लोगों को ध्यान में रखते हुए पोल्ट्री उद्योग होली को लेकर पूरे साल तैयारी में लगा रहता है. लोग भी सस्ता और पौष्टिक होने की वजह से चिकन को बड़े ही चाव के साथ खाते हैं, लेकिन इस होली में पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गया है. चाहे वह एग फार्मिंग हो, चिक्स फार्मिंग हो या फिर चिकन फार्मिंग.

सोशल मीडिया पर चिकन खाने और चिकन में कोरोना वायरस पाए जाने जैसे दुष्प्रचार की वजह से कई करोड़ का उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. होली में चिकन 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिकता था. आज सैकड़ा तो दूर दहाई के अंक के करीब आ गया है. इस समय 59 रुपये प्रति किलो चिकन बाजारों में बिक रहा है. ऐसे में लगातार मुर्गे के दाम में गिरावट आ रही है, जिससे पोल्ट्री व्यवसायियों की कमर टूट गई है.

पोल्ट्री उद्योग की टूटी कमर.

पोल्ट्री उद्योग को हो रहा भारी नुकसान
पूर्वांचल में सैकड़ों करोड़ रुपये का पोल्ट्री उद्योग पिछले एक माह में बुरी तरह प्रभावित हुआ है. गोरखपुर की बात करें तो प्रतिदिन दो से तीन करोड़ रुपये का व्यापार पोल्ट्री उद्योग के व्यापारी करते थे, लेकिन अभी यह व्यापार सिमटकर लाखों में रह गया है. वहीं इस उद्योग ने हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार भी दिया था. ऐसे में इस उद्योग से जुड़े हुए कामगारों के रोजी-रोटी पर संकट देखने को मिल रहा है. लगातार कोरोना का भय इस व्यापार को अपनी आगोश में लेता जा रहा है.

सरकार ने की अपील मगर नहीं हुआ लोगों पर असर
आम लोगों को जागरूक करने के लिए व्यापारियों ने फ्री में चिकन खिलाकर उन्हें जागरूक करने का भी काम किया था, लेकिन उनका यह प्रयास विफल साबित हुआ. व्यापारियों को उम्मीद थी कि होली में मुर्गे के मीट का रेट बढ़ेगा, लेकिन लगातार कम होते रेट में व्यापारियों के माथे पर पसीना ला दिया है. वहीं केंद्र सरकार ने इस उद्योग को थोड़ी राहत देने की कोशिश जरूर की है. उसने एडवाइजरी जारी की है कि चिकन में किसी प्रकार का कोई वायरस नहीं है और इसके खाने से शरीर को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन की प्राप्ति होती है, लेकिन प्रदेश सरकार की लगातार उदासीनता से व्यापारी काफी चिंतित हैं.

व्यापारियों की सरकार से अपील
व्यापारियों का कहना है कि इस उद्योग को बचाने के लिए प्रदेश सरकार को आगे आना चाहिए, जिससे हम व्यापारियों को बल मिल सके. आज हम लोगों के पास फैक्ट्री चलाने की जो जमा पूंजी थी, वह खत्म हो चुकी है. बैंकों का कर्ज भी सिर पर बढ़ता जा रहा है. ऐसे में कामगारों को पैसा दे पाना, बिजली का बिल दे पाना हम लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.

व्यापारियों को खासा नुकसान
पोल्ट्री फार्म के मालिक अनुपम ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि हर साल होली में चिकन 100 से 150 रुपये प्रति किलो बिक जाता था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी है. हरियाणा से आकर पिछले 20 वर्षों से पोल्ट्री उद्योग से जुड़े तेज सिंह ने बताया कि जब से वह इस व्यापार से जुड़े हैं, ऐसा आर्थिक संकट उन्होंने कभी नहीं देखा. हर साल होली को ध्यान में रखकर अपनी सारी जमा पूंजी वह इस व्यापार में डाल देते थे और उससे अच्छी कमाई भी हो जाती थी, लेकिन पिछले एक माह से लगातार इस उद्योग पर कोरोना वायरस का ग्रहण लग गया है.

केंद्र सरकार ने इस संबंध में एडवाइजरी भी जारी की है कि चिकन में किसी प्रकार का कोई वायरस नहीं है, लेकिन लोगों के अंदर इस प्रकार से खौफ व्याप्त है कि वह चिकन से दूरी बना लिए हैं. पूर्वांचल पोल्ट्री फार्म उद्योग के अध्यक्ष अत्रे सिंह ने बताया कि कोरोना के खौफ ने पोल्ट्री के सभी अंगों को पूरी तरह से प्रभावित किया है. लगातार यह व्यापार जमीनदोज होता जा रहा है. प्रदेश सरकार की उदासीनता हम व्यापारियों के लिए नासूर बनती जा रही है. हमने इस व्यापार के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार दिया है, लेकिन अब हम ही लोगों के ऊपर आर्थिक संकट की वजह से रोजी-रोटी के लाले पड़ते जा रहे हैं. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों को सरकारी मदद दें, जिससे हम लोग इस आर्थिक संकट से उभर पाए और हजारों लोगों का रोजी रोजगार चल सके.

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