गोरखपुर : मकर संक्रांति पर्व पर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाई जाती है. मान्यता है कि यह परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है. गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्ष भर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है. मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी कोई जरूरतमंद पहुंचा तो खाली हाथ नहीं लौटता है. मंदिर में खिचड़ी का यह पर्व 15 जनवरी, सोमवार को मनेगा और सुबह चार बजे सीएम योगी बतौर गोरक्ष पीठाधीश्वर खिचड़ी चढ़ाएंगे. इसके बाद दूरदराज और नेपाल से आए हुए श्रद्धालु अपनी खिचड़ी चढ़ाना शुरू करेंगे. हालांकि काफी संख्या में श्रद्धालु 14 जनवरी को ही पहुंच गए और खिचड़ी चढ़ाई.
गोरखनाथ मंदिर संस्कृत विद्यापीठ के शिक्षक और और सीएम योगी के विभिन्न अनुष्ठान में शामिल रहने वाले पंडित डॉक्टर रोहित मिश्रा के अनुसार, खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेतायुगीन मानी जाती है. मान्यता है कि उस समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के दरबार में पहुंचे. मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया. कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं. उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए. भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और राप्ती और रोहिन के तट पर जंगलों में बसे इस स्थान पर धूनी रमाकर साधनालीन हो गए. उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे. इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई. तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है. कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार में बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है.
उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ, पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं. मकर संक्रांति के दिन भोर में सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित करते हैं. इसके बाद नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी बाबा को चढ़ाई जाती है. फिर मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में निवेदित होनी शुरू हो जाती है.
सामाजिक समरसता का केंद्र है गोरखनाथ मंदिर
गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं. इसके परिसर में हिंदू-मुसलमान, सबकी दुकानें हैं. यही नहीं, मंदिर परिसर में डेढ़-दो माह तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है. मंदिर परिसर में नियमित रोजगार करने वालों से लेकर मेला में दुकान लगाने वालों तक, बड़ी भागीदारी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की होती है.