गोरखपुरः पूरी दुनिया में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे को लेकर काफी उत्साह देखा जाता है. इसे प्यार के इजहार के दिन के रूप में लोग मानते हैं, लेकिन गोरखपुर में इस दिन को बच्चे मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन बच्चे माता-पिता को तिलक लगाकर पूजन करते हैं. माता-पिता के पैर धुलने के बाद आरती भी उतारते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. इस तरह का आयोजन शहर का कालिंदी पब्लिक स्कूल कई वर्षों से करता चला आ रहा है.
कालिंदी पब्लिक स्कूल में स्कूल के बच्चों को माता-पिता के साथ स्कूल परिसर में आमंत्रित किया जाता है. सांस्कृतिक आयोजन के बीच भारतीय परंपरा में यह बच्चे अपने जन्म दाता की पूजा अर्चना करते हैं, जो उन्हें सबसे ज्यादा प्यार करते हैं. भारतीय परम्परा में माना जाता है कि बच्चों को सबसे अधिक माता-पिता ही प्यार करते हैं और भगवान के बाद जीवन में बच्चों के लिए सबसे अधिक महत्व माता पिता का ही है.
स्कूल के निदेशक राकेश सिंह पहलवान(अंतरराष्ट्रीय पहलवान) इस आयोजन में पूरी तन्मयता के साथ लगे रहते हैं. वह कहते हैं कि भारतीय संस्कृति को बर्बाद करने के लिए यह दिवस विदेश से चलकर यहां आया है, जिसके प्रभाव में लोग दिखाई दे रहे हैं. उनकी कोशिश रहती है कि वह अपने बच्चों में और इसके माध्यम से समाज को कुछ बेहतर संदेश दे सकें.
बच्चों ने गीत के माध्यम से इस दौरान अपनी भावनाओं को प्रस्तुत किया. इसके बाद अपने माता-पिता की एक साथ बैठकर विधिवत पूजा की. इसके बाद उनके ऊपर पुष्प अर्पित किए. उन्होंने सभी देवी-देवताओं और तीर्थ से ऊपर अपने माता-पिता को बताया. इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में आए बच्चों के माता-पिता भी अपने बच्चों का सम्मान भाव देख भाव-विभोर हुए तो कुछ लोगो आंखें भर आईं.
कालिंदी पब्लिक स्कूल में कक्षा 4 में पढ़ने वाली छात्रा अमृता मिश्रा ने बताया कि उन्होंने आज स्कूल में माता-पिता की पूजा-अर्चना की. उनकी आरती उतारने के साथ फेरे भी लिए. वह कहती हैं कि उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. वे सिर्फ मातृ-पितृ दिवस मनाती हैं और मनाती रहेंगी. वह वैलेंटाइन डे नहीं मनाती हैं. हर साल यहां पर आयोजन होता है. इसके पीछे ये संदेश छिपा है कि माता-पिता के साथ बच्चे जुड़े रहेंगे.
कक्षा 8 में पढ़ने वाली नंदिनी ने बताया कि माता पिता का पूजन-अर्चन और तिलक करने के साथ उनके पैर धोकर परिक्रमा करके बहुत अच्छा लगा है. नंदनी की मां सीमा तिवारी और पिता सुनील तिवारी ने बताया कि यहां पर उनके बच्चे चार साल से पढ़ रहे हैं. वह कहते हैं कि यहां पर बच्चों को बहुत ही अच्छा संस्कार दिया जाता है. वैलेंटाइन जिनका त्योहार है, वे लोग मनाएं. यहां पर बच्चों के लिए माता-पिता ही भगवान का रूप हैं. यहां पर बच्चों ने अपना संस्कार दिखाया और माता-पिता का पूजन-अर्चन कर उनका आशीर्वाद लिया है. माता-पिता जैसा संस्कार देंगे, बच्चे वैसे ही गुण सीखेंगे.
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