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Child Labor Education Scheme: बालश्रम रोकने और उनको पुनर्वासित करने में मददगार बनी बाल श्रमिक विद्या योजना

प्रदेश की योगी सरकार की 'बाल श्रमिक विद्या योजना' बाल मजदूरी करने वालों को मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रही है. योगी सरकार ने 12 जून 2020 को मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना का शुभारंभ किया था. देखे ये स्पेशल रिपोर्ट...

Child Labor Education Scheme
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Published : Feb 11, 2023, 2:20 PM IST

योजना की सफलता के बारे में जानकारी देते गोरखपुर मंडल के उप श्रम आयुक्त अमित मिश्रा

गोरखपुरः मासूम और छोटे बच्चे अपने पढ़ने-लिखने की उम्र में मजदूरी करने को विवश न हो, अगर कहीं ऐसा हो रहा हो तो उन्हें इससे मुक्ति दिलाते हुए पुनर्वासित किया जाए. इसके बाद उनके पालन, पोषण और शिक्षा की व्यवस्था परिवार का मुखिया कर सके, इसके लिए सरकार की 'बाल श्रमिक विद्या योजना' काफी मददगार साबित हो रही है.

श्रम विभाग के आंकड़ों की मानें तो इस वित्तीय वर्ष में अब तक 150 से ज्यादा बच्चों को बाल श्रम से मुक्ति दिलाई गई. इसके साथ ही उन्हें पुनर्वासित करने का काम किया गया. शिक्षा के लिए उन्हें स्कूलों से जोड़ा गया है और ऐसे बच्चों की देखभाल और पढ़ाई के लिए बालश्रम से प्रत्येक बच्चे के परिवार में लड़कों को 1000 और लड़कियों को 1200 रुपये प्रति माह की आर्थिक मदद पहुंचाई जा रही है.

गोरखपुर मंडल के उप श्रम आयुक्त अमित मिश्रा का कहना है कि सरकार की योजना से अधिकतम बच्चों को लाभान्वित किया जा सके, इसके लिए विभिन्न विभागों का समन्वय बनाकर बालश्रम मुक्ति का अभियान चलाया जा रहा है. इस वित्तिय वर्ष में भले ही अभी डेढ़ माह बचा है, लेकिन इस अभियान को और गति देकर बाल मजदूरों को मुक्त कराया जायेगा.

लक्ष्य से अधिक मिली सफलताः उप श्रामायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष रुचि पर इस योजना को सफल बनाने के लिए श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास, बेसिक शिक्षा, ग्राम पंचायत एवं विकास विभाग के अलावा जिले में अनाथ आश्रम की निगरानी करने वाली सरकारी संस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर काम किया जा रहा है. यही वजह है कि सफलता लक्ष्य से अधिक हासिल हुई है.

उन्होंने कहा कि सड़कों के किनारे ठेले खोमचे पर जो बच्चे काम करते हैं, उन्हें और उनके अभिभावक को इस योजना के बारे में जानकारी देकर बाल श्रम से मुक्त करने का प्रयास होता है. लेकिन, सबसे ज्यादा स्थाई दुकानों पर नजर डाली जाती है. जहां बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को न तो स्वस्थ वातावरण मिलता है और न ही खानपान. श्रम उपायुक्त ने कहा कि 14 साल से नीचे के सभी बच्चों को मुक्त करा कर उन्हें पुनर्वासित करना, शिक्षा से जोड़ना इस योजना के तहत किया जा रहा है.

सालाना 6000 की मददः उन्होंने सरकार द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक मदद के लिए स्कूलों में बच्चों के 70% की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है. जिसकी रिपोर्ट स्कूल से मिलने पर पंजीकृत बच्चे के परिवार को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाती है. बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 12 जून 2020 को मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना का शुभारंभ किया गया था. इसके माध्यम से बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ा जाता है. इसमें आठवीं से दसवीं कक्षा में अध्यनरत छात्रों को सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 6000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

विभागों के तालमेंल से होता है सर्वेक्षणः इस योजना का लाभ प्रदान करने के लिए बच्चों की पहचान श्रम विभाग के अधिकारियों की ओर से सर्वेक्षण, निरीक्षण में ग्राम पंचायतें, स्थानीय निकाय, चाइल्ड लाइन या विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा की जाती है. सभी बच्चों के चयन के पश्चात बच्चों का डाटा पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. गोरखपुर में इस योजना में चाइल्ड लाइन भी बड़ी मददगार साबित होती है. कुछ बच्चों को रेलवे स्टेशन से भी बालश्रम से यह मुक्त कराती है. यह संस्था उन्हें विभागीय तालमेल के साथ मुख्यधारा में शामिल कराती है.

ये भी पढ़ेंः G20 Summit 2023 : आगरा में मेहमानों का शाही स्वागत, इटेलियन बग्गियों में बिठाकर ड्रोन से की पुष्प वर्षा

योजना की सफलता के बारे में जानकारी देते गोरखपुर मंडल के उप श्रम आयुक्त अमित मिश्रा

गोरखपुरः मासूम और छोटे बच्चे अपने पढ़ने-लिखने की उम्र में मजदूरी करने को विवश न हो, अगर कहीं ऐसा हो रहा हो तो उन्हें इससे मुक्ति दिलाते हुए पुनर्वासित किया जाए. इसके बाद उनके पालन, पोषण और शिक्षा की व्यवस्था परिवार का मुखिया कर सके, इसके लिए सरकार की 'बाल श्रमिक विद्या योजना' काफी मददगार साबित हो रही है.

श्रम विभाग के आंकड़ों की मानें तो इस वित्तीय वर्ष में अब तक 150 से ज्यादा बच्चों को बाल श्रम से मुक्ति दिलाई गई. इसके साथ ही उन्हें पुनर्वासित करने का काम किया गया. शिक्षा के लिए उन्हें स्कूलों से जोड़ा गया है और ऐसे बच्चों की देखभाल और पढ़ाई के लिए बालश्रम से प्रत्येक बच्चे के परिवार में लड़कों को 1000 और लड़कियों को 1200 रुपये प्रति माह की आर्थिक मदद पहुंचाई जा रही है.

गोरखपुर मंडल के उप श्रम आयुक्त अमित मिश्रा का कहना है कि सरकार की योजना से अधिकतम बच्चों को लाभान्वित किया जा सके, इसके लिए विभिन्न विभागों का समन्वय बनाकर बालश्रम मुक्ति का अभियान चलाया जा रहा है. इस वित्तिय वर्ष में भले ही अभी डेढ़ माह बचा है, लेकिन इस अभियान को और गति देकर बाल मजदूरों को मुक्त कराया जायेगा.

लक्ष्य से अधिक मिली सफलताः उप श्रामायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष रुचि पर इस योजना को सफल बनाने के लिए श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास, बेसिक शिक्षा, ग्राम पंचायत एवं विकास विभाग के अलावा जिले में अनाथ आश्रम की निगरानी करने वाली सरकारी संस्थाओं के साथ तालमेल बनाकर काम किया जा रहा है. यही वजह है कि सफलता लक्ष्य से अधिक हासिल हुई है.

उन्होंने कहा कि सड़कों के किनारे ठेले खोमचे पर जो बच्चे काम करते हैं, उन्हें और उनके अभिभावक को इस योजना के बारे में जानकारी देकर बाल श्रम से मुक्त करने का प्रयास होता है. लेकिन, सबसे ज्यादा स्थाई दुकानों पर नजर डाली जाती है. जहां बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को न तो स्वस्थ वातावरण मिलता है और न ही खानपान. श्रम उपायुक्त ने कहा कि 14 साल से नीचे के सभी बच्चों को मुक्त करा कर उन्हें पुनर्वासित करना, शिक्षा से जोड़ना इस योजना के तहत किया जा रहा है.

सालाना 6000 की मददः उन्होंने सरकार द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक मदद के लिए स्कूलों में बच्चों के 70% की उपस्थिति को अनिवार्य किया गया है. जिसकी रिपोर्ट स्कूल से मिलने पर पंजीकृत बच्चे के परिवार को आर्थिक मदद उपलब्ध कराई जाती है. बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 12 जून 2020 को मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना का शुभारंभ किया गया था. इसके माध्यम से बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ा जाता है. इसमें आठवीं से दसवीं कक्षा में अध्यनरत छात्रों को सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 6000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

विभागों के तालमेंल से होता है सर्वेक्षणः इस योजना का लाभ प्रदान करने के लिए बच्चों की पहचान श्रम विभाग के अधिकारियों की ओर से सर्वेक्षण, निरीक्षण में ग्राम पंचायतें, स्थानीय निकाय, चाइल्ड लाइन या विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा की जाती है. सभी बच्चों के चयन के पश्चात बच्चों का डाटा पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. गोरखपुर में इस योजना में चाइल्ड लाइन भी बड़ी मददगार साबित होती है. कुछ बच्चों को रेलवे स्टेशन से भी बालश्रम से यह मुक्त कराती है. यह संस्था उन्हें विभागीय तालमेल के साथ मुख्यधारा में शामिल कराती है.

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