गोरखपुर: गोरखनाथ मन्दिर में गुरु शिष्य के परम्परागत पर्व 'गुरु पूर्णिमा' का आयोजन 05 जुलाई दिन रविवार को होगा. लेकिन इस आयोजन में अबकी बार कोविड-19 की महामारी को देखते हुए गुरु-शिष्य आमने सामने नहीं होंगे. गोरक्ष पीठाधीश्वर और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात का साफ संकेत दिया है. उन्होंने एक पत्र जारी कर घर में ही रहकर 'गुरु पूर्णिमा' पर्व मनाने को कहा है. यह जानकारी गोरखनाथ मन्दिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ और मंदिर प्रबंधन के सचिव द्वारिका तिवारी ने दिया है. उन्होंने कहा है कि इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुजनों को हार्दिक शुभकामना देते हुए महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी से उनके सुखमय जीवन की कामना की है.
सीएम योगी के इस लिखित और ऑनलाइन संदेश से यह साफ हो गया है कि गोरखनाथ मंदिर में होने वाला परंपरागत गुरु पूजन का कार्यक्रम इस बार नहीं होगा. योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद उनके शिष्यों को जरूर मिलेगा, लेकिन लिखित और ऑनलाइन माध्यम से. जिन लोगों तक सीएम योगी के संदेश का कार्ड पहुंचेगा, उनकी सूची तैयार की जा रही है. इसमें साधु, संत, पुजारी, गृहस्थ और शहर के गणमान्य लोग शामिल हैं.
गुरु पूर्णिमा' के दिन करेंगे संबोधित
आशीर्वाद कार्ड के माध्यम से सीएम योगी लोगों से कोरोना संक्रमण से बचने की अपील भी करेंगे. इसके अलावा वह 'गुरु पूर्णिमा' के दिन शिष्यों को ऑनलाइन संबोधित भी करेंगे. मंदिर प्रबंधन सचिव द्वारका तिवारी ने बताया कि मंदिर में गुरु पूजा का अनुष्ठान कार्यक्रम परंपरागत तरीके से ही होगा. सभी नाथ योगियों को परंपरा से भोग लगाया जाएगा. इस पूजा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की पूरी संभावना जताई जा रही है.
सुबह से शुरू होता है पूजन का सिलसिला
'गुरु पूर्णिमा' के दिन गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूजन का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो जाता है. गोरक्ष पीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ सबसे पहले गुरु गोरक्षनाथ और अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ का विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं. अंत में सामूहिक आरती का आयोजन होता है.
गुरु दक्षिणा की परंपरा नहीं होगी आयोजित
गुरु की पूजा के बाद पीठाधीश्वर अपने शिष्यों के बीच होते हैं. शिष्य बारी-बारी से उन तक पहुंचते हैं और तिलक लगाकर आशीर्वाद लेते हैं. इस दौरान गुरु दक्षिणा देने की भी परंपरा है, जो इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से आयोजित नहीं किया जाएगा. परंपरा के निर्वहन के लिए इसका सूक्ष्म आयोजन होगा, जिसमें मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग शामिल होंगे.