गोरखपुर. 'चौरी-चौरा', एक ऐसा नाम जो देश के आजादी के इतिहास में अपना अहम स्थान रखता है. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इस स्थान से अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की ज्वाला फूट पड़ी. यहां के क्रांतिकारियों ने चौरी-चौरा थाने को आग के हवाले कर दिया. इस दौरान उसमें जलकर 23 पुलिसकर्मी मारे गए.
इस मामले में चले मुकदमे की वजह से 19 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा हुई. सैकड़ों को जेल की सजा काटनी पड़ी. यही वजह है कि यह स्थान और यहां की क्रांतिकारी धरती, राजनीतिक और ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. चुनाव के दृष्टिकोण से बात करें तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र के रूप में पहले यह मुंडेरा बाजार के नाम से जानी जाती थी.
वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद इसका नाम चौरी-चौरा पड़ गया. वर्तमान में इस क्षेत्र से बीजेपी की संगीता यादव विधायक हैं. इस क्षेत्र को कई मामलों में विकास और इसकी पहचान के संरक्षण की जरूरत है. पर दुर्भाग्य है कि पिछली सरकारों ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया. हां, एक शहीद स्मारक बनाने का काम कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार में जरूर हुआ था. इसे लेकर वर्तमान की बीजेपी सरकार भी थोड़ी गंभीर नजर आयी है. 4 फरवरी 1922 को हुई चौरी-चौरा की घटना के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश की योगी सरकार इसके शताब्दी वर्ष को बड़े ही धूमधाम से मना रही है.
पुरानी समस्याएं ज्यों की त्यों, बाढ़ बन जाती है विभीषिका
इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या बाढ़ की है. हर साल यहां के लोग बाढ़ के चलते परेशान होते हैं. 2017 में यहां के 52 गांव डूब गए थे. वहीं, फ्लाई ओवरों का निर्माण न होने से जाम जैसी समस्याओं से भी लोगों को परेशान होना पड़ता है. निबियहवा ढाला और करमहा ढाले पर फ्लाईओवर का निर्माण बेहद जरूरी है. इसकी मांग काफी दिनों से हो रही है.
इसके अलावा क्षेत्र के सरदारनगर में एक चीनी मिल और डिस्टलरी प्लांट भी है जो लाख प्रयास के बाद भी शुरू नहीं हो पाई. यह गन्ना किसानों के लिए वरदान तो आम लोगों के लिए रोजगार का बड़ा साधन थी.
तरकुलहा देवी मंदिर पर्यटन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. इसका भी कायाकल्प योगी सरकार में हो रहा है. इसकी स्थापना के पीछे भी क्रांतिकारी बंधु सिंह की शहादत मूल वजह रही. विधायक संगीता यादव की बात करें तो उन्हें निधि के तौर पर अब तक 7.5 करोड़ रुपये मिले हैं. इससे उन्होंने सड़कों के निर्माण, मरम्मत, जीर्णोद्धार, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च किया है.
इसके तहत मोतीराम अड्डा से बोहाबार, मोतीराम से कुसम्ही बाजार, फुटहवा इनार से सरदारनगर ब्लॉक, चौरीचौरा से ब्रम्हपुर और नई बाजार मार्ग का चौड़ीकरण भी हुआ है. आधा दर्जन ऐसे टूटे मार्ग हैं जिसकी मरम्मत और निर्माण बेहद जरूरी है. विधायक कहती हैं कि उन्होंने अपने क्षेत्र में 8 रोजगार मेले लगवाकर युवाओं को रोजगार देने का प्रयास किया.
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तरकुलहा मंदिर का सुंदरीकरण कराया. मिनी स्टेडियम बनवाया. दो विद्युत सब स्टेशन समेत कई महत्वपूर्ण कार्य हुए. सरैया मिल चलाने के लिए उन्होंने प्रयास किया लेकिन बकाया रकम की भुगतान बड़ी समस्या बनी हुई है. हालांकि 57 किलोमीटर नदियों के बांध को पक्का बनवाने और होटल मैनेजमेंट स्कूल खोलने का उन्होंने जो वादा किया था व धरातल पर नहीं उतर पाया. इसके लिए विधायक दो साल से कोरोना की आ रही महामारी को मूल वजह बताती हैं.
पहली बार चुनाव मैदान में उतरीं और जीत ली सीट
2017 में पहली बार संगीता यादव चुनाव मैदान में उतरीं और जीतकर विधानसभा पहुंचने में सफल रहीं. इन्होंने समाजवादी पार्टी के मनुरोजन यादव को चुनाव में शिकस्त दी.
उधर मनुरोजन का आरोप है कि विधायक ने बांध की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया. नहीं तो इस बार जो गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं, वह नहीं आते. फ्लाईओवर का निर्माण हो या फिर चीनी मिल को चलाने की बात, इन मुद्दों पर विधायक गंभीर नजर नहीं आईं. कहा कि इससे क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हुआ.
दलित समाज तय करता है जीत, 2012 में सुरक्षित से सामान्य हुई यह सीट
चौरी-चौरा विधानसभा (325 ) क्षेत्र में कुल 346093 मतदाता हैं. इनमें 189248 पुरुष और 156845 महिला मतदाता हैं. यह विधानसभा एससी/एसटी वोटर बाहुल है. इसके मूल में पासवान, निषाद समाज के लोग शामिल हैं. यही वजह है कि 2012 से पहले यह विधानसभा सुरक्षित सीट हुआ करती थी. हालांकि परिसीमन में कुछ क्षेत्रों को जोड़ने के साथ इसका स्वरूप सामान्य हो गया.
बैकवर्ड बिरादरी में यादव महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. क्षत्रिय और ब्राह्मण समाज के लोगों के बराबर ही मुस्लिम वोटर भी हर-जीत में अपनी भूमिका निभाते हैं. संगीता यादव परिसीमन के बाद दूसरे चुनाव में क्षेत्र से पहली महिला विधायक चुनी गईं जबकि सुरक्षित सीट के दौरान क्षेत्र से पहली महिला विधायक होने का गौरव शारदा देवी को जाता है.