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गोरखपुर: 118 साल से विश्वविद्यालय परिसर में खड़ा है ये बरगद का पेड़, जानिए खासियत

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Published : Aug 27, 2019, 7:11 PM IST

गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में एक ऐसा 'बरगद' का पेड़ है, जिसकी उम्र करीब 118 साल है. यही नहीं यह कई पेड़ों का पिता और जन्मदाता भी है.

विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले का है ये बरगद.

गोरखपुर: पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित करने में पेड़-पौधों का बड़ा महत्व है, लेकिन कुछ ऐसे भी पेड़ हैं जो खुद में इतनी महत्ता रखते हैं कि वह इतिहास बन जाते हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में मौजूदा समय में एक ऐसा ही 'बरगद' का पेड़ है जो अपने विशाल छाया के साथ खड़ा है. जिसकी उम्र करीब 118 साल है. यही नहीं यह कई पेड़ों का पिता और जन्मदाता भी है.

गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में मौजूद है बरगद का पेड़.

पर्यावरण की दृष्टि से इस पेड़ का बहुत महत्व है तो हिंदू धर्म में कई मान्यताओं के आधार पर यह लोगों के लिए पूज्यनीय भी है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो बरगद के पेड़ से पॉजिटिव एनर्जी निकलती है, इसलिए लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यही नहीं इसकी पत्तियां काफी मोटी होती हैं और धूल को रोकने में काफी कारगर सिद्ध होती हैं. वनस्पति शास्त्र के वैज्ञानिकों की मानें तो इस पेड़ के नीचे की मिट्टी का घोल अगर खेतों में छिड़का जाय तो फसल की पैदावार बढ़ जाती है.

विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले का है ये बरगद
विश्वविद्यालय में इस तरह के पौधे का होना यहां के वनस्पति शास्त्री गौरव का विषय मानते हैं. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. स्मृति मल की माने तो यह पेड़ उनके पूरे विभाग और बच्चों को प्रोत्साहित करता है. शोधार्थी को छाया मिलता है तो कभी कभी पूरी क्लास इसके नीचे पढ़ा ली जाती है. यह एक अभिभावक की तरह वनस्पति शोध की बगिया में खड़ा है, जिसका इतिहास विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले का है.

118 साल पुराना है यह बरगद का पेड़
आज भी यह पूरी मजबूती और हरियाली के साथ खड़ा है. इसकी लटें जो ऊपर से जमीन की तरफ आती हैं खुद एक पेड़ के समान हो गई हैं. यह लटें बच्चों के लिए रस्से का भी काम करती हैं. यही नहीं, यह लटें ही इस विशाल पेड़ की मजबूती का कारण भी मानी जाती हैं, जो इसके भार को बांधकर रखती हैं. इस पेड़ की जड़ जितनी एरिया में फैलती हैं, वह पूरी मिट्टी को अपने में बांधकर रखती है. यही वजह है कि यह इतने वर्षों से आज भी खड़ा है.

गोरखपुर: पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित करने में पेड़-पौधों का बड़ा महत्व है, लेकिन कुछ ऐसे भी पेड़ हैं जो खुद में इतनी महत्ता रखते हैं कि वह इतिहास बन जाते हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में मौजूदा समय में एक ऐसा ही 'बरगद' का पेड़ है जो अपने विशाल छाया के साथ खड़ा है. जिसकी उम्र करीब 118 साल है. यही नहीं यह कई पेड़ों का पिता और जन्मदाता भी है.

गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में मौजूद है बरगद का पेड़.

पर्यावरण की दृष्टि से इस पेड़ का बहुत महत्व है तो हिंदू धर्म में कई मान्यताओं के आधार पर यह लोगों के लिए पूज्यनीय भी है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो बरगद के पेड़ से पॉजिटिव एनर्जी निकलती है, इसलिए लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यही नहीं इसकी पत्तियां काफी मोटी होती हैं और धूल को रोकने में काफी कारगर सिद्ध होती हैं. वनस्पति शास्त्र के वैज्ञानिकों की मानें तो इस पेड़ के नीचे की मिट्टी का घोल अगर खेतों में छिड़का जाय तो फसल की पैदावार बढ़ जाती है.

विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले का है ये बरगद
विश्वविद्यालय में इस तरह के पौधे का होना यहां के वनस्पति शास्त्री गौरव का विषय मानते हैं. एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. स्मृति मल की माने तो यह पेड़ उनके पूरे विभाग और बच्चों को प्रोत्साहित करता है. शोधार्थी को छाया मिलता है तो कभी कभी पूरी क्लास इसके नीचे पढ़ा ली जाती है. यह एक अभिभावक की तरह वनस्पति शोध की बगिया में खड़ा है, जिसका इतिहास विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले का है.

118 साल पुराना है यह बरगद का पेड़
आज भी यह पूरी मजबूती और हरियाली के साथ खड़ा है. इसकी लटें जो ऊपर से जमीन की तरफ आती हैं खुद एक पेड़ के समान हो गई हैं. यह लटें बच्चों के लिए रस्से का भी काम करती हैं. यही नहीं, यह लटें ही इस विशाल पेड़ की मजबूती का कारण भी मानी जाती हैं, जो इसके भार को बांधकर रखती हैं. इस पेड़ की जड़ जितनी एरिया में फैलती हैं, वह पूरी मिट्टी को अपने में बांधकर रखती है. यही वजह है कि यह इतने वर्षों से आज भी खड़ा है.

Intro:गोरखपुर। पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित करने में पेड़ पौधों का बड़ा महत्व है। लेकिन कुछ ऐसे भी पेड़ हैं जो खुद में इतनी महत्ता रखते हैं कि वह इतिहास बन जाते हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में मौजूदा समय में एक ऐसा ही 'बरगद' का पेड़ है जो अपने विशाल छाया के साथ खड़ा है। जिसकी उम्र करीब 118 साल है। यही नहीं यह कई पेड़ों का पिता और जन्मदाता भी है। पर्यावरण की दृष्टि से इस पेड़ का बहुत महत्व है तो हिंदू धर्म में कई मान्यताओं के आधार पर यह लोगों के लिए पूज्यनीय भी है।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो बरगद के पेड़ से पॉजिटिव एनर्जी निकलती है इसलिए लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होता है यही नहीं इसकी पत्तियों काफी मोटी होती है धूल को रोकने में काफी कारगर सिद्ध होती हैं। वनस्पति शास्त्र के वैज्ञानिकों की मानें तो इस पेड़ के नीचे की मिट्टी का घोल अगर खेती में छिड़काव किया जाय तो फसल की पैदावार बढ़ जाती है। विश्वविद्यालय में इस तरह के पौधे का होना यहाँ के वनस्पति शास्त्री गौरव का विषय मानते हैं। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ स्मृति मल की माने तो यह पेड़ उनके पूरे विभाग और बच्चों को प्रोत्साहित करता है। शोधार्थी को छाया मिलता है तो कभी कभी पूरी क्लास इसके नीचे पढ़ा ली जाती है। यह एक अभिभावक की तरह वनस्पति शोध की बगिया में खड़ा है जिसका इतिहास विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले का है।

बाइट --डॉ स्मृति मल्ल, एसोशिएट प्रोफेसर, वनस्पति विभाग, डीडीयू


Conclusion:आज भी यह पूरी मजबूती और हरियाली के साथ खड़ा है। इसकी लटें जो ऊपर से जमीन की तरफ आती हैं खुद एक पेड़ के समान हो गई हैं। यह लटें बच्चों के लिए रस्से का भी काम करती हैं जिसको पकड़कर वह चढ़ने के भी काम करते हैं। यही नहीं यह लटें ही इस विशाल पेड़ के मजबूती का कारण भी मानी जाती हैं जो इसके भार को बांधकर रखती हैं। इस पेड़ की जड़ जितनी एरिया में फैलती है वह पूरी मिट्टी को अपने में बांधकर रखती है यही वजह है कि यह इतने वर्षों से आज भी अडिग है। यह हर किसी के आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इसका स्वरूप बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।

बाइट--डॉ स्मृति मल्ल

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
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