गोरखपुर: लोकतंत्र के इस महापर्व पर प्रत्याशी और राजनीतिक पार्टियां सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं, वहींं कुछ ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो जनता और राजनीतिक पार्टियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाकर चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं.
इस लोकसभा चुनाव में अजब-गजब रंग और उम्मीदवार भी देखने को मिल रहे हैं, ऐसे में शहर के श्मशान घाट पर जब एमबीए पास राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा ने महिलाओं की आवाज बनकर सेनेटरी पैड का माला पहनकर अपने चुनाव कार्यालय की स्थापना श्मशान घाट पर की.
राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा ने शमशान घाट यानी राप्ती नदी के किनारे स्थित राजघाट में चुनाव कार्यालय की नींव रखी है, उन्होंने गले में सेनेटरी पैड की माला पहन कर अपना प्रचार श्मशान घाट से ही शुरू कर दिया है.
उनका कहना है कि वह आजमगढ़ से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे और जीत भी हासिल करेंगे. उन्होंने कहा कि वह सरकार से सुरक्षा की मांग भी करते हैं, उनका कहना है कि वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस बार भी लोकसभा चुनाव के मैदान में कूदेंगे और महिलाओं की सबसे बड़ी जरूरत सेनेटरी पैड को चुनावी मुद्दा बनाकर वह चुनाव में विजय परचम लहराएंगे.
ताबूत के ऊपर टीट्ठी पर बैठकर पोस्टर के माध्यम से संदेश लिखकर महिलाओं को जागरूकता का पाठ पढ़ा रहे हैं, वहीं दर्जनों सेनेटरी पैड रखकर वह महिलाओं से यह भी अपील कर रहे हैं कि यूटरस कैंसर एक गंभीर बीमारी है और महिलाएं सेनेटरी पैड का इस्तेमाल नहीं कर पाने से इस गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाती हैं.
वहीं सरकार ने लाख दावे कर लोगों को मुफ्त में कई चीजें देने की घोषणा की है, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल और नेता ने इस मुद्दे को नहीं छुआ है. देश में इस गंभीर विषय पर कोई बात भी नहीं करना चाहता, ऐसे में मैं इस मुद्दे को राजनीतिक मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में आया हूं, मैं चुनाव जीतकर अपनी सारी तनख्वाह सेनेटरी पैड के लिए दान दे दूंगा.
बता दें कि साल 2007 में अर्थी बाबा ने विधानसभा चुनाव में अर्थी पर बैठकर निर्दल प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया था, हालांकि उन्हें चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई लेकिन वह चर्चा में जरूर आ गए. इसके बाद उन्होंने इस साल 2009 में फिर से चुनावी मैदान में कूदे और नामांकन अर्थी पर बैठकर दाखिल किया. ऐसे ही साल 2012 में विधानसभा और 2014 में लोकसभा चुनाव में भी वे चुनाव मैदान में उतरे थे. साल 2017 में भी वे अर्थी पर बैठकर चुनाव मैदान में कूदे लेकिन अभी तक उन्हें जीत का स्वाद नहीं मिल सका है.
राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा ने साल 2001 में एमबीए की डिग्री हासिल की थी, उसके बाद से ही वह लगातार चुनाव में अजब-गजब प्रत्याशी के रूप में उभरते रहते हैं. वह प्रधानी से लेकर लोकसभा तक का चुनाव कई बार लड़ चुके हैं. लेकिन हर बार जीत का दावा करने वाले अर्थी बाबा को अब तक हार का ही सामना करना पड़ा है, उनका चुनाव कार्यालय हर बार श्मशान घाट पर ही होता है.