गोरखपुर: बसपा के खत्म होते जनाधार के बीच पूर्वांचल के जिलों में उसे खड़ी करने वाले और संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले बसपा नेताओं ने अंबेडकर जनमोर्चा बनाकर बहुजन समाज के हितों की लड़ाई को तेज कर दिया है. इसके चलते दलित हितों की मांग को लेकर नेताओं की एकजुटता बड़े स्तर पर हो रही है. वहीं, मायावती सरकार में बसपा का पूर्वांचल में बड़ा चेहरा और संगठन को गति देने वाले श्रवण निराला के मुताबिक, जिन लोगों के ऊपर दलित हितों और अधिकारों की लड़ाई लड़ने का दायित्व था. उन्होंने दलितों के सम्मान को बंद एसी कमरों में बैठकर बेच दिया. यही वजह है कि उन्हें बसपा की नीतियों से कुछ लेना देना नहीं है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में श्रवण निराला ने बताया कि अंबेडकर जनमोर्चा के बैनर तले दलितों को उनके अधिकार दिलाना है. इसमें सबसे बड़ी मांग भूमिहीन दलितों को सरकार एक एकड़ भूमि उपलब्ध कराएं, जो उनके जीविकोपार्जन का साधन बन सके. तेलंगाना सरकार 15 अगस्त 2014 को प्रदेश के सभी भूमिहीन दलितों को 3 एकड़ जमीन खरीद कर निशुल्क वितरित करने का निर्णय ली थी. जिसके तहत मार्च 2022 तक करीब 17 हजार एकड़ भूमि खरीदी जा चुकी है. इसकी कीमत 750 करोड़ से ज्यादा है. यह जमीन 6874 परिवारों में वितरित की जा चुकी है. ऐसे ही निर्णय उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकार दलितों के हित में ले.
अंबेडकर जनमोर्चा से जुड़कर पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ अयूब ने कहा कि दलित ही नहीं जो भी पिछड़े, वंचित लोग हैं. सब की लड़ाई को मिलकर लड़ा जाएगा. मिलकर नीतियां तैयार की जाएंगी. जब उनसे सवाल हुआ क्या यह मोर्चा आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश में एक नए विकल्प के रूप में दिखाई देगा तो उन्होंने कहा कि, फिलहाल नगरीय निकाय के चुनाव अभी सामने हैं. उस पर काम किया जाएगा. आगे के चुनाव पर बाद में भी रणनीति बनेगी.
विधायक त्रिभुवन दत्त और दूध राम ने कहा कि यूपी में योगी की पिछली सरकार ने जब अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और शिक्षा शुल्क सरकारी खजाने से देना बंद करने का निर्णय लिया तो अंबेडकर जनमोर्चा ने ही शिक्षा छात्रवृति बचाओ विशाल रैली निकालकर आवाज बुलंद की थी. उन्होंने कहा कि प्रतिभाशाली छात्रों को विदेश में शिक्षा लेने के लिए 25 लाख रुपये की धनराशि सरकार अनुदान में दें. ऐसी उनकी मांग है.
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