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पूर्वोत्तर रेलवे की अजब कारस्तानी: वैकेंसी थी 865, भर्ती हो गए 1681

पूर्वोत्तर रेलवे में सहायक लोको पायलट की भर्ती में चूक सामने आई है. खाली पदों के लिए 865 अभ्यर्थियों को भर्ती करना था, जबकि भर्ती 1681 पदों पर कर ली गई.

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Published : Jun 16, 2020, 12:58 PM IST

recruitment of loco pilot
लोको पायलट की भर्ती में चूक

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे में सहायक लोको पायलट की भर्ती में बड़ी चूक सामने आई है. पदों की भर्ती के लिए कुल रिक्त पद 865 थे, जबकि भर्ती 1,681 पदों पर कर ली गई है. रिजल्ट घोषित होने के बाद इन सभी अभ्यर्थियों की मेडिकल जांच भी हुई और नियुक्ति पत्र भी जारी होने लगा. इसी दौरान मामला पकड़ में आया. फिलहाल चूक बेरोजगारों के हित में हुई है, क्योंकि भर्ती रद्द नहीं होगी. ऐसा फैसला रेलवे बोर्ड ने लिया है. वहीं सफल हुए सभी अभ्यर्थियों को दूसरे जोन में समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. ऐसे में बचे हुए 816 और नौजवानों को रोजगार मिल जाएगा.

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की मानें तो यह भर्ती प्रक्रिया साल 2018 में प्रारंभ हुई थी. 865 पदों के सापेक्ष 1,681 पदों की नियुक्ति निकाली गई, जिसका फाइनल रिजल्ट 2019 के अगस्त में आया. साल 2020 में चयनित अभ्यर्थियों को जब नियुक्ति पत्र दिया जाने लगा फिर यह मामला पकड़ में आया की भर्ती पद से ज्यादा अभ्यर्थियों की हो गई है.

लोको पायलट की भर्ती में चूक

सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि भर्ती में हुई चूक को फिलहाल बड़ी चूक नहीं माना जा रहा है, क्योंकि चयनित अभ्यर्थियों को समायोजित करने का प्लान रेलवे बोर्ड ने तैयार कर लिया है. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन की ओर से रेलवे बोर्ड को भेजे गए पत्र को संज्ञान में लेते हुए बोर्ड ने 2 जून को सभी रेलवे जोन के आरआरबी को पत्र लिखा है कि अपने यहां सहायक लोको पायलट की वैकेंसी पूर्वोत्तर रेलवे को उपलब्ध कराएं, जिससे चयनित हुए अभ्यर्थियों को समायोजित किया जा सके.

अभ्यर्थियों की नियुक्ति का पहला पैनल 30 अगस्त 2019 को जारी हुआ, जिसमें 1,377 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए. इसके बाद 16 सितंबर 2019 को इसमें से 1,099 भर्तियों को डिवीजन भी आवंटित कर दिया गया. इसके बाद पैनल के बाकी बचे 278 अभ्यर्थियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. उनका आरोप था कि कम नंबर वालों का नाम सूची में है और उनका नाम गायब है. इसके बाद 30 सितंबर 2019 को इन 218 अभ्यर्थियों को बी डिवीजन आवंटित किया गया, लेकिन जॉइनिंग नहीं मिली. इसके बाद 202 अभ्यर्थियों का दूसरा पैनल जारी हुआ तो छानबीन में पता चला कि आरआरबी गोरखपुर के पास तो सिर्फ 865 वैकेंसी ही हैं. इसके बाद सब के कान खड़े हुए और जिम्मेदारों ने एक नई पहल करते हुए चयनित अभ्यर्थियों को अन्य बोर्डों में समायोजित करने का फैसला कर लिया.

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे में सहायक लोको पायलट की भर्ती में बड़ी चूक सामने आई है. पदों की भर्ती के लिए कुल रिक्त पद 865 थे, जबकि भर्ती 1,681 पदों पर कर ली गई है. रिजल्ट घोषित होने के बाद इन सभी अभ्यर्थियों की मेडिकल जांच भी हुई और नियुक्ति पत्र भी जारी होने लगा. इसी दौरान मामला पकड़ में आया. फिलहाल चूक बेरोजगारों के हित में हुई है, क्योंकि भर्ती रद्द नहीं होगी. ऐसा फैसला रेलवे बोर्ड ने लिया है. वहीं सफल हुए सभी अभ्यर्थियों को दूसरे जोन में समायोजित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. ऐसे में बचे हुए 816 और नौजवानों को रोजगार मिल जाएगा.

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह की मानें तो यह भर्ती प्रक्रिया साल 2018 में प्रारंभ हुई थी. 865 पदों के सापेक्ष 1,681 पदों की नियुक्ति निकाली गई, जिसका फाइनल रिजल्ट 2019 के अगस्त में आया. साल 2020 में चयनित अभ्यर्थियों को जब नियुक्ति पत्र दिया जाने लगा फिर यह मामला पकड़ में आया की भर्ती पद से ज्यादा अभ्यर्थियों की हो गई है.

लोको पायलट की भर्ती में चूक

सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि भर्ती में हुई चूक को फिलहाल बड़ी चूक नहीं माना जा रहा है, क्योंकि चयनित अभ्यर्थियों को समायोजित करने का प्लान रेलवे बोर्ड ने तैयार कर लिया है. पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन की ओर से रेलवे बोर्ड को भेजे गए पत्र को संज्ञान में लेते हुए बोर्ड ने 2 जून को सभी रेलवे जोन के आरआरबी को पत्र लिखा है कि अपने यहां सहायक लोको पायलट की वैकेंसी पूर्वोत्तर रेलवे को उपलब्ध कराएं, जिससे चयनित हुए अभ्यर्थियों को समायोजित किया जा सके.

अभ्यर्थियों की नियुक्ति का पहला पैनल 30 अगस्त 2019 को जारी हुआ, जिसमें 1,377 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए. इसके बाद 16 सितंबर 2019 को इसमें से 1,099 भर्तियों को डिवीजन भी आवंटित कर दिया गया. इसके बाद पैनल के बाकी बचे 278 अभ्यर्थियों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. उनका आरोप था कि कम नंबर वालों का नाम सूची में है और उनका नाम गायब है. इसके बाद 30 सितंबर 2019 को इन 218 अभ्यर्थियों को बी डिवीजन आवंटित किया गया, लेकिन जॉइनिंग नहीं मिली. इसके बाद 202 अभ्यर्थियों का दूसरा पैनल जारी हुआ तो छानबीन में पता चला कि आरआरबी गोरखपुर के पास तो सिर्फ 865 वैकेंसी ही हैं. इसके बाद सब के कान खड़े हुए और जिम्मेदारों ने एक नई पहल करते हुए चयनित अभ्यर्थियों को अन्य बोर्डों में समायोजित करने का फैसला कर लिया.

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