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गोण्डा: बिना किताबों के कोर्स की कराई गई पढ़ाई, अब परीक्षा की तैयारी - पूर्व माध्यमिक विद्यालय पकवान गांव

यूपी के गोण्डा जिले में स्कूली बच्चे बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें बेसिक शिक्षा विभाग पूरी किताबें नहीं दे पाया है. विद्यार्थियों का कहना है कि अभी तक यहां पर किसी को तीन या चार किताबें मिली हैं. अप्रैल माह से हम लोग बिना किताब के पढ़ाई कर रहे हैं.

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गोण्डा में बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे छात्र .
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Published : Jan 18, 2020, 9:47 PM IST

गोण्डा: प्रदेश सरकार गुणवत्तापरक शिक्षा देने के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों का सत्र 1 अप्रैल से शुरू होकर 30 मार्च को खत्म होता है. सत्र खत्म होने के कुछ महीने ही बचे हैं, लेकिन अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालयों और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पुस्तकों का वितरण नहीं हो पाया है.

विद्यार्थी बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं. अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं को तीन महीने बीत चुके हैं. अब वार्षिक परीक्षाएं नजदीक हैं. ऐसे में पूरे सत्र में बच्चों ने बिना किताबों के ही पढ़ाई की है.

अप्रैल माह से बिना किताब के पढ़ रहे छात्र
जिले के शिक्षा क्षेत्र बेलसर का पूर्व माध्यमिक विद्यालय पकवान में कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों की पढ़ाई बिना किताबों के हो रही है. विद्यार्थियों का कहना है कि अभी तक यहां पर किसी को तीन या चार किताबें मिली हैं. अप्रैल माह से हम लोग बिना किताब के पढ़ाई कर रहे हैं. सर कहते हैं कि जब किताब आएगी, तब मिलेगी.

एक अध्यापक के सहारे विद्यालय
वहीं यहां पर तैनात अध्यापक जनेश्वर तिवारी का कहना है कि किताबें तो मिली नहीं, अध्यापक भी नहीं हैं. केवल एक अध्यापक के सहारे कक्षा 6, कक्षा 7 और कक्षा 8 चलाई जा रही है. कुल 3 किताबें मिली हैं, जिनका वितरण बच्चों में कराया जा चुका है. ऐसे में न बच्चों का पढ़ना संभव हो सकता है और न हमारा पढ़ाना.

वहीं जब पूर्व प्राथमिक विद्यालय चांदपुर के प्रधानाध्यापक राजेश शुक्ला से बच्चों के सामने बात की गई तो उन्होंने स्कूल बंद होने के बाद बच्चों से बात करने को कहा. वहीं यह हाल एक ही नहीं कई स्कूलों का है.

पांच किताबों के सहारे बच्चों को पढ़ा रहे अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बडनापुर में भी अध्यापक और बच्चों का कहना था कि 12 में केबल 5 किताबें मिल पाई हैं. अध्यापक उन्हीं 5 किताबों के सहारे पढ़ा रहे हैं. अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं बीते हुए महीने हो गए. वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं. सत्र खत्म होने वाला है लेकिन किताबों का कहीं कोई अता-पता नहीं है.

अध्यापन कार्य में हो रही परेशानी
अध्यापक का कहना है कि विभाग केवल कागज पर काम कर रहा है. कागज पर वितरण दिखा रहा है. कागज पर यहां किताबें भी पहुंच गई हैं, लेकिन यहां किताबें नहीं हैं और हमें पढ़ाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विभाग फर्जी रिपोर्टिंग करता है. जिम्मेदार हम लोग होते हैं.

प्रकरण अत्यंत ही गंभीर है, क्योंकि सभी पुस्तकों के पेमेंट किए जा चुके हैं. वितरण सही से नहीं हो पाया है तो यह अत्यंत ही गंभीर मामला है.. इसके लिए हम जांच कराएंगे. इसमें कड़ी कार्रवाई होगी. इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी गोण्डा से रिपोर्ट भी मांगी जाएगी.
-विजय मोहन, सहायक शिक्षा निदेशक, देवीपाटन मंडल

गोण्डा: प्रदेश सरकार गुणवत्तापरक शिक्षा देने के दावे कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों का सत्र 1 अप्रैल से शुरू होकर 30 मार्च को खत्म होता है. सत्र खत्म होने के कुछ महीने ही बचे हैं, लेकिन अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालयों और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पुस्तकों का वितरण नहीं हो पाया है.

विद्यार्थी बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं. अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं को तीन महीने बीत चुके हैं. अब वार्षिक परीक्षाएं नजदीक हैं. ऐसे में पूरे सत्र में बच्चों ने बिना किताबों के ही पढ़ाई की है.

अप्रैल माह से बिना किताब के पढ़ रहे छात्र
जिले के शिक्षा क्षेत्र बेलसर का पूर्व माध्यमिक विद्यालय पकवान में कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों की पढ़ाई बिना किताबों के हो रही है. विद्यार्थियों का कहना है कि अभी तक यहां पर किसी को तीन या चार किताबें मिली हैं. अप्रैल माह से हम लोग बिना किताब के पढ़ाई कर रहे हैं. सर कहते हैं कि जब किताब आएगी, तब मिलेगी.

एक अध्यापक के सहारे विद्यालय
वहीं यहां पर तैनात अध्यापक जनेश्वर तिवारी का कहना है कि किताबें तो मिली नहीं, अध्यापक भी नहीं हैं. केवल एक अध्यापक के सहारे कक्षा 6, कक्षा 7 और कक्षा 8 चलाई जा रही है. कुल 3 किताबें मिली हैं, जिनका वितरण बच्चों में कराया जा चुका है. ऐसे में न बच्चों का पढ़ना संभव हो सकता है और न हमारा पढ़ाना.

वहीं जब पूर्व प्राथमिक विद्यालय चांदपुर के प्रधानाध्यापक राजेश शुक्ला से बच्चों के सामने बात की गई तो उन्होंने स्कूल बंद होने के बाद बच्चों से बात करने को कहा. वहीं यह हाल एक ही नहीं कई स्कूलों का है.

पांच किताबों के सहारे बच्चों को पढ़ा रहे अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बडनापुर में भी अध्यापक और बच्चों का कहना था कि 12 में केबल 5 किताबें मिल पाई हैं. अध्यापक उन्हीं 5 किताबों के सहारे पढ़ा रहे हैं. अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं बीते हुए महीने हो गए. वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं. सत्र खत्म होने वाला है लेकिन किताबों का कहीं कोई अता-पता नहीं है.

अध्यापन कार्य में हो रही परेशानी
अध्यापक का कहना है कि विभाग केवल कागज पर काम कर रहा है. कागज पर वितरण दिखा रहा है. कागज पर यहां किताबें भी पहुंच गई हैं, लेकिन यहां किताबें नहीं हैं और हमें पढ़ाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विभाग फर्जी रिपोर्टिंग करता है. जिम्मेदार हम लोग होते हैं.

प्रकरण अत्यंत ही गंभीर है, क्योंकि सभी पुस्तकों के पेमेंट किए जा चुके हैं. वितरण सही से नहीं हो पाया है तो यह अत्यंत ही गंभीर मामला है.. इसके लिए हम जांच कराएंगे. इसमें कड़ी कार्रवाई होगी. इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी गोण्डा से रिपोर्ट भी मांगी जाएगी.
-विजय मोहन, सहायक शिक्षा निदेशक, देवीपाटन मंडल

Intro:प्रदेश सरकार जहां एक तरफ गुणवत्ता परक शिक्षा देने के दावे कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों का सत्र 1 अप्रैल से शुरू हो जाता है और 30 मार्च को खत्म लेकिन अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालयों और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पुस्तकों का वितरण नहीं हो पाया है विद्यार्थी बिना किताबों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं वही अध्यापक बिना किताबों के पढ़ाने को मजबूर हैं। अर्धवार्षिक परीक्षाएं बीते 3 महीने से ऊपर हो गया अब वार्षिक परीक्षाएं 3 महीने बाद शुरू होंगी। ऐसे में पूरे सत्र में बच्चे बिना किताबो के पढ़ाई करने पर मजबूर हैं।


Body:जिले के शिक्षा क्षेत्र बेलसर का पूर्व माध्यमिक विद्यालय पकवान गांव जहां कक्षा 6 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों की पढ़ाई बिना किताबों के हो रही है बिना किताब के पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी का कहना है कि अभी तक यहां पर किसी को तीन तो किसी को चार किताबें मिली हैं। अप्रैल माह से हम लोग बिना किताब के पढ़ाई कर रहे हैं सर कहते हैं कि जब किताब आएगी तब मिलेगी वही यहां पर तैनात अध्यापक का कहना है कि किताबे तो मिली नहीं, अध्यापक भी नहीं है केवल एक अध्यापक के सहारे कक्षा 6 कक्षा 7 और कक्षा 8 चलाई जा रही हैं कुल 3 किताबें मिली हैं जिनका वितरण बच्चों में कराया जा चुका है। ऐसे में ना बच्चों का पढ़ना संभव हो सकता है और ना हमारा पढ़ाना। वहीं जब पूर्व प्राथमिक विद्यालय चांदपुर के प्रधानाध्यापक राजेश शुक्ला से बच्चो के सामने बात की गई तो उन्होंने स्कूल बंद होने के बाद बच्चो से बात करने को कहा। वहीं यह हाल एक ही नहीं कई स्कूलों का है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय बडनापुर यहां पर भी जब हमने अध्यापक और बच्चों से बात की बच्चों का कहना था कि यहां पर अभी तक केवल 12 में से 5 किताबें मिल पाई हैं। अध्यापक उन्हीं 5 किताबों के सहारे पढ़ा रहे हैं। अर्धवार्षिक परीक्षाएं बीते हुए महीने हो गए वार्षिक परीक्षाएं सिर पर हैं सत्र खत्म होने वाला है लेकिन किताबों का कहीं अता पता नहीं है वही अध्यापक का कहना है कि विभाग केवल कागज पर काम कर रहा है कागज पर वितरण दिखा रहा है कागज पर यहां किताबें भी पहुंच गई हैं लेकिन यहां किताबें नहीं है और हमें पढ़ाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है विभाग फर्जी रिपोर्टिंग करता है जिम्मेदार हम लोग होते हैं
Conclusion:पूरे प्रकरण पर सहायक शिक्षा निदेशक देवीपाटन मंडल का कहना है कि प्रकरण अत्यंत ही गंभीर है क्योंकि सभी पुस्तकों के पेमेंट किए जा चुके हैं और वितरण सही से नहीं हो पाया है तो यह अत्यंत ही गंभीर मामला है इसके लिए हम जांच कराएंगे और जो भी अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी इस पर बेसिक शिक्षा अधिकारी गोंडा से रिपोर्ट भी मांगी जाएगी।

बाईट1- नीतू(छात्रा)
बाईट2- प्रिया(छात्रा)
बाईट3- जनेश्वर तिवारी(टीचर)
बाइट4- विजय मोहन वन, सहायक शिक्षा निदेशक देवीपाटन मंडल गोंडा।
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