गोण्डा: शासन के लाख प्रयास के बावजूद माटी कला से जुड़े कारीगरों की सेहत दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है. माटी कला को बढ़ावा देने के लिए माटी कला बोर्ड का गठन किया गया था. जिसमें कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक देने के साथ-साथ बोर्ड को अन्य कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए थे.
इसके साथ ही पैतृक पेशा से जुड़े प्रजापति समाज के 42 लोगों ने खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में इलेक्ट्रिक चाक के लिए आवेदन किया था. इनमें से 24 लोगों को चयनित कर सूची शासन को भेज दी गई है. लेकिन अभी तक जिले में किसी भी लाभार्थी को इलेक्ट्रिक चाक नहीं मिल सका है.
इसे भी पढ़ें- जालौन: किसान मेले का किया गया आयोजन, आय दोगुनी करने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से किसानों ने सीखे खेती के तरीके
मिट्टी के कलाकारों और शिल्पकारों को हाईटेक करने की बनाई गई योजना
शासन ने विलुप्त होती माटी कला को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी के कलाकारों शिल्पकारों को हाईटेक करने की योजना बनाई है. मिट्टी कला को हाईटेक करने के लिए राज्यपाल के द्वारा एक स्वशासी निकाय गठित किया गया है. इस बोर्ड के माध्यम से माटी कला और माटी शिल्पकला के विकास के लिए नीति निर्धारण किया गया था. इस कला के उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए प्रभावी योजना तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
बोर्ड के माध्यम से माटीकला और माटी शिल्पकला के कारीगरों की समस्याओं का निराकरण कर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कारीगरों से सुझाव भी लिए जाएंगे. इसके साथ ही तैयार उत्पादों के विपणन की व्यवस्था भी बोर्ड कराएगा. ऐसे कारीगरों को औद्योगिक क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर शेड आवंटन किए जाएंगे. उद्योग स्थल तक बिजली,पानी, संपर्कमार्ग आदि की व्यवस्था की जाएगी.
कारीगरों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए तकनीकी कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी. परंपरागत और नव प्रशिक्षित शिल्पियों के लिए नवीनतम तकनीक और उपकरण की उपलब्धता कराई जाएगी. इसके साथ ही बैंक ऋण और मार्जिन मनी सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी. भारत सरकार विशेषकर विकास आयुक्त हस्तशिल्प एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाएगा.
कुम्हार बिरादरी के लोगों को इस योजना की नहीं है कोई जानकारी
इस जिले को 8 इलेक्ट्रिक चाक निशुल्क वितरण कराने के लिए मिले थे. आवेदनों के सापेक्ष विभाग ने चाक का वितरण कैसे करें इसके लिए योजना बना रखी थी. इलेक्ट्रिक चाक को मुख्यमंत्री के एक अन्य जनपद में कार्यक्रम के दौरान बांट दिया गया.
खास बात यह है कि इस योजना में सिर्फ कुम्हार बिरादरी के लोगों को शामिल किया गया है, जबकि कसघर बिरादरी के लोग बड़ी संख्या में माटी के बर्तन का निर्माण करते हैं. गांव में बर्तन का कुटीर उद्योग चला रहे कुम्हार बिरादरी के लोगों को इस योजना की जानकारी ही नहीं है.
कुम्हार बिरादरी के लोगों का कहना है कि यह उनका पुश्तैनी धंधा है. यह काम हम बाबा परदादा के जमाने से करते चले आ रहे हैं. खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में इलेक्ट्रिक चाक के लिए आवेदन किया था लेकिन अभी तक नहीं मिला है. इन लोगों का कहना है कि दीपावली पर्व आते ही मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ती है. इसके साथ ही अब कुल्हड़ के ग्राहक भी गांव में आने लगे है.
विभाग को 42 आवेदन मिले थे, जबकि जनपद का लक्ष्य 24 का था. ऐसे में 24 का चयन कर सूची शासन को भेज दी गई है. वहां से दिशा निर्देश मिलने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी.
-डीके मिश्र, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी