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गोण्डा: हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा दुखहरण नाथ मंदिर

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गोण्डा नगर स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया. इस अवसर पर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला. लोगों ने भगवान शिव की पूजा­-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.

दुखहरण नाथ मंदिर पर उमड़ा भक्तो का हुजूम
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Published : Mar 4, 2019, 11:21 PM IST

गोण्डा: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जिले का दुखहरण नाथ मंदिर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा. महापर्व पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की कतार लग गई. लोगों नेभगवान शिव की पूजा­-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.

दुखहरण नाथ मंदिर पर उमड़ा भक्तो का हुजूम

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गोण्डा नगर स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया. भक्तों केगगनभेदी जयकारों से भगवान शिव का नाम चारों तरफ गूंज उठा. इस अवसर पर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला.

ये है मान्यता:
मान्यता है कि जब श्री हरि विष्णु राम के रुप में धरती पर अवतरित हुए. तो भगवान शिव और माता पार्वती श्री राम के बाल रूप के दर्शनाभिलाषी हुए, लेकिन दर्शन के लिए प्रत्यक्ष रूप से न मिल कर भगवान शिव और माता पार्वती ने साधु का भेष धारण किया. फिर भी वो श्री राम के दर्शन नहीं कर पाए.

भगवान शिव की विवशता देखकर श्री राम ने रोना शुरू कर दिया. पिता राजा दशरथ ने काफी वैद्यों को बुलाया, लेकिन कोई भी राम को चुप न करा पाया. फिर किसी नेराजा दशरथ को शिव रूपी साधु के बारेमें बताया. राजा दशरथ ने बिना देर किए भगवान शिव और मां पार्वती को आदर के साथ अपनेदरबार में बुलाया और अपनी व्यथा सुनाते हुएभगवान राम के पास ले गए.

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मान्यता है कि जैसे ही भगवान शिव ने श्री राम के पैर छुए उन्होंने रोना बंद कर दिया. अपने पुत्र के चुप हो जाने पर राजा दशरथ बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गोण्डा स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में भगवान शिव व खैरा मंदिर में मां पार्वती के लिए कुटिया का निर्माण करवाया. तब से भगवान शिव व मां पार्वती यहां स्थापित हैं.

गोण्डा: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जिले का दुखहरण नाथ मंदिर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा. महापर्व पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की कतार लग गई. लोगों नेभगवान शिव की पूजा­-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.

दुखहरण नाथ मंदिर पर उमड़ा भक्तो का हुजूम

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गोण्डा नगर स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया. भक्तों केगगनभेदी जयकारों से भगवान शिव का नाम चारों तरफ गूंज उठा. इस अवसर पर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला.

ये है मान्यता:
मान्यता है कि जब श्री हरि विष्णु राम के रुप में धरती पर अवतरित हुए. तो भगवान शिव और माता पार्वती श्री राम के बाल रूप के दर्शनाभिलाषी हुए, लेकिन दर्शन के लिए प्रत्यक्ष रूप से न मिल कर भगवान शिव और माता पार्वती ने साधु का भेष धारण किया. फिर भी वो श्री राम के दर्शन नहीं कर पाए.

भगवान शिव की विवशता देखकर श्री राम ने रोना शुरू कर दिया. पिता राजा दशरथ ने काफी वैद्यों को बुलाया, लेकिन कोई भी राम को चुप न करा पाया. फिर किसी नेराजा दशरथ को शिव रूपी साधु के बारेमें बताया. राजा दशरथ ने बिना देर किए भगवान शिव और मां पार्वती को आदर के साथ अपनेदरबार में बुलाया और अपनी व्यथा सुनाते हुएभगवान राम के पास ले गए.

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मान्यता है कि जैसे ही भगवान शिव ने श्री राम के पैर छुए उन्होंने रोना बंद कर दिया. अपने पुत्र के चुप हो जाने पर राजा दशरथ बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गोण्डा स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में भगवान शिव व खैरा मंदिर में मां पार्वती के लिए कुटिया का निर्माण करवाया. तब से भगवान शिव व मां पार्वती यहां स्थापित हैं.

Intro:महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आज जिला मुख्यालय के दु:खहरणनाथ मंदिर  पर लाखों की संख्या में शिवभक्तों ने जलाभिषेक किया और पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की। शिवरात्रि के महापर्व पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गयी है ।जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की कतार लग गई। लोगों ने हर हर महादेव के जयकारों से साथ जलाभिषेक किया।जलाभिषेक के लम्बी लम्बी कतारे लगी रही



Body:आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गोण्डा नगर स्थित दुःख हरण नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में लोग लाइनों में लग कर भगवान शिव को जलाभिषेक किया। भक्तों ने गगनभेदी जयकारों से भगवान शिव का नाम गुंजायमान कर दिया। इस पावन पर्व पर श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बना।


क्या है मान्यता?

मान्यता है कि भगवान शिव व माता पार्वती श्री राम के बाल रूप के दर्शनाभिलाषी हुए, लेकिन दर्शन के लिए प्रत्यक्ष रूप से न मिल कर भगवान शिव व माता पार्वती ने साधु का भेष धारण किया लेकिन फिर भी वह श्री राम के दर्शन नहीं कर पाए। इसके लिए भगवान श्री राम ने रोना शुरू कर दिया। श्री राम के पिता राजा दशरथ ने काफी वैद्य व लोगों को बुलाया लेकिन वह सभी श्री राम को चुप न करा पाए। फिर किसी ने भगवान शिव रूपी साधु के विषय मे राजा दसरथ को बताया। राजा दशरथ ने तत्काल भगवान शिव व मा पार्वती को सत्कारपूर्वक बुलावाया और अपनी व्यथा सुनाते हुए रोते हुए भगवान राम के पास ले गए। फिर जैसे ही भगवान शिव ने श्री राम के पैर छुए उन्होंने रोना बंद कर दिया। अपने पुत्र  के चुप हो जाने पर राजा दसरथ बहुत प्रसन्न हुए फिर उन्होंने गोण्डा स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में भगवान शिव व खैरा मंदिर में माँ पार्वती के लिए कुटिया का निर्माण करवाया। तब से भगवान शिव व माँ पार्वती यहाँ स्थापित हैं।



Conclusion:बाईट- श्रद्धालु
बाईट- श्रद्धालु
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