गोण्डा: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर जिले का दुखहरण नाथ मंदिर हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठा. महापर्व पर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की कतार लग गई. लोगों नेभगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर गोण्डा नगर स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया. भक्तों केगगनभेदी जयकारों से भगवान शिव का नाम चारों तरफ गूंज उठा. इस अवसर पर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला.
ये है मान्यता:
मान्यता है कि जब श्री हरि विष्णु राम के रुप में धरती पर अवतरित हुए. तो भगवान शिव और माता पार्वती श्री राम के बाल रूप के दर्शनाभिलाषी हुए, लेकिन दर्शन के लिए प्रत्यक्ष रूप से न मिल कर भगवान शिव और माता पार्वती ने साधु का भेष धारण किया. फिर भी वो श्री राम के दर्शन नहीं कर पाए.
भगवान शिव की विवशता देखकर श्री राम ने रोना शुरू कर दिया. पिता राजा दशरथ ने काफी वैद्यों को बुलाया, लेकिन कोई भी राम को चुप न करा पाया. फिर किसी नेराजा दशरथ को शिव रूपी साधु के बारेमें बताया. राजा दशरथ ने बिना देर किए भगवान शिव और मां पार्वती को आदर के साथ अपनेदरबार में बुलाया और अपनी व्यथा सुनाते हुएभगवान राम के पास ले गए.
मान्यता है कि जैसे ही भगवान शिव ने श्री राम के पैर छुए उन्होंने रोना बंद कर दिया. अपने पुत्र के चुप हो जाने पर राजा दशरथ बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने गोण्डा स्थित दुखहरण नाथ मंदिर में भगवान शिव व खैरा मंदिर में मां पार्वती के लिए कुटिया का निर्माण करवाया. तब से भगवान शिव व मां पार्वती यहां स्थापित हैं.