गोण्डा: कोविड-19 के चलते हुए लॉकडाउन में दूसरे राज्यों से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था सरकार कर रही है. सभी को रोजगार मिल सके इसके लिए मनरेगा योजना की शुरुआत की गई है, जिससे श्रमिकों को उनके गांव में ही रोजगार दिया जा रहा है. वहीं कुछ भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों की मिलीभगत से इस योजना को पलीता लगता नजर आ रहा है..
पूरा मामला यूपी के गोंडा जिले के नवाबगंज ब्लॉक का है. आरोप है कि मनरेगा में काम देखने वाले एपीओ ने सामग्री खरीद के नाम पर 2.52 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए फर्जी बिल वाउचर कंप्यूटर में फीड कर दिया. भुगतान के लिए फाइल भी सीडीओ शशांक त्रिपाठी के मेज पर पहुंच गई. सामग्री खरीद के नाम पर इतनी बड़ी धनराशि देखकर सीडीओ ने भुगतान से पहले बिल वाउचर की जांच के निर्देश दिए तो गड़बड़ी में शामिल एपीओ, बीडीओ और अन्य कर्मचारियों में हड़कंप मच गया.
आनन-फानन में पूरे बिल वाउचर को कंप्यूटर से डिलीट कर दिया गया. फर्जी बिल भुगतान की इस पूरी साजिश में ब्लाक के अलावा मुख्यालय पर मनरेगा कार्यालय में कार्यरत एक लिपिक की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है. फिलहाल इस मामले में सीडीओ शशांक त्रिपाठी ने कार्रवाई करते हुए नवाबगंज की एपीओ को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है. साथ ही एपीओ बीडीओ समेत चार कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है. इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है.
बिल मामले में जांच कराई जा रही है. जांच रिपोर्ट मिलने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.
-शशांक त्रिपाठी,सीडीओ