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वनटांगिया गांव में बह रही है विकास की बयार, आवास-शौचालय पाकर खुश हुए ग्रामीण

गोंडा जिले के तरबगंज तहसील का महेशपुर वनटांगिया गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों, शौचालयों और सौभाग्य योजना के तहत बिजली की व्यवस्था का कार्य जोरों पर चल रहा है, जिससे ग्रामीण काफी खुश हैं.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वनटांगिया गांव में बनाया जा रहा आवास.
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Published : Feb 19, 2019, 8:57 PM IST

गोंडा : आजादी के बाद से अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद करने वाला वनटांगिया गांव आज सरकारी योजनाओं का लाभ पाकर गदगद है. गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास, शौचालय और सौभाग्य योजना के तहत बिजली की व्यवस्था कर दी गई है. इन सुविधाओं का लाभ पाकर ग्रामीण खुश हैं.

दरअसल, गोंडा जिले के तरबगंज तहसील का महेशपुर वनटांगिया गांव में 60 की संख्या में वनटंगिया निवासी रहते हैं. यह गांव आजादी के बाद से विकास की मुख्यधारा में आने की जद्दोजहद करता रहा, लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण कामयाब नहीं हो पाया.

सीएम योगी का प्रयास हो रहा सफल
प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद वनटांगिया निवासियों पर योजनाओं की बाढ़ आ गई. छह माह पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी वनटांगिया निवासियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास तेज कर दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप आज यहां आवास, शौचालय और बिजली इत्यादि जैसी तमाम मूलभूत सेवाएं उपलब्ध हैं.

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सरकारी योजनाओं के बारे जानकारी देते ग्रामीण.

सपने के सच होने जैसा है
वनटांगिया निवासियों का कहना है कि यह सपने के सच होने जैसा है. आज हमें बिजली, आवास, शौचालय जैसी तमाम सुविधाएं मिली. गांव में हमें पक्के घर बने बनाए मिल रह रहे हैं. बिजली मिल रही है. इससे पहले हमारे पास कुछ भी नहीं था. दरअसल, वनटांगिया निवासी जंगलों में रहते हैं. इसलिए वहां बिजली तो नहीं पहुंच पाई है, लेकिन सौभाग्य योजना के अंतर्गत वहां सभी ग्रामीणों को सोलर पैनल मिला है, जिससे वह बिजली के मोहताज नहीं रहे.

कृषि हेतु प्रदान की गई भूमि
वनटांगिया गांव में रह रहे 50 पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास भी मिल गया है, जिसमें कुछ के आवास बन चुके हैं और कुछ आवासों का काम चल रहा है. सरकार द्वारा इन्हें कृषि हेतु भूमि भी प्रदान की गई है, जिससे वह खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

जानिए कौन हैं वनटांगिया
स्वतंत्रता के पूर्व वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अंग्रेजों ने वनटांगिया गांव बसाए थे. गांव के लोगों का काम वनों को काटना फिर वहां पौधरोपण करना एवं उसका संवर्धन करना होता था. ये लोग जहां वन काटते थे, वहीं खाली पड़ी भूमि पर कृषि भी करते थे.

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उस समय ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें कुछ जमीन भी दी गई थी, लेकिन आजादी के बाद इनकी स्थिति बद से बदतर हो गई. अब तक की सरकारों द्वारा इनके उत्थान के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था. देश में इनकी स्थिति शरणार्थियों वाली रही, लेकिन योगी सरकार में इनके लिए विकास के कार्य कराए जा रहे हैं.

गोंडा : आजादी के बाद से अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद करने वाला वनटांगिया गांव आज सरकारी योजनाओं का लाभ पाकर गदगद है. गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास, शौचालय और सौभाग्य योजना के तहत बिजली की व्यवस्था कर दी गई है. इन सुविधाओं का लाभ पाकर ग्रामीण खुश हैं.

दरअसल, गोंडा जिले के तरबगंज तहसील का महेशपुर वनटांगिया गांव में 60 की संख्या में वनटंगिया निवासी रहते हैं. यह गांव आजादी के बाद से विकास की मुख्यधारा में आने की जद्दोजहद करता रहा, लेकिन सरकारों की उदासीनता के कारण कामयाब नहीं हो पाया.

सीएम योगी का प्रयास हो रहा सफल
प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद वनटांगिया निवासियों पर योजनाओं की बाढ़ आ गई. छह माह पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी वनटांगिया निवासियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास तेज कर दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप आज यहां आवास, शौचालय और बिजली इत्यादि जैसी तमाम मूलभूत सेवाएं उपलब्ध हैं.

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सरकारी योजनाओं के बारे जानकारी देते ग्रामीण.

सपने के सच होने जैसा है
वनटांगिया निवासियों का कहना है कि यह सपने के सच होने जैसा है. आज हमें बिजली, आवास, शौचालय जैसी तमाम सुविधाएं मिली. गांव में हमें पक्के घर बने बनाए मिल रह रहे हैं. बिजली मिल रही है. इससे पहले हमारे पास कुछ भी नहीं था. दरअसल, वनटांगिया निवासी जंगलों में रहते हैं. इसलिए वहां बिजली तो नहीं पहुंच पाई है, लेकिन सौभाग्य योजना के अंतर्गत वहां सभी ग्रामीणों को सोलर पैनल मिला है, जिससे वह बिजली के मोहताज नहीं रहे.

कृषि हेतु प्रदान की गई भूमि
वनटांगिया गांव में रह रहे 50 पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास भी मिल गया है, जिसमें कुछ के आवास बन चुके हैं और कुछ आवासों का काम चल रहा है. सरकार द्वारा इन्हें कृषि हेतु भूमि भी प्रदान की गई है, जिससे वह खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

जानिए कौन हैं वनटांगिया
स्वतंत्रता के पूर्व वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अंग्रेजों ने वनटांगिया गांव बसाए थे. गांव के लोगों का काम वनों को काटना फिर वहां पौधरोपण करना एवं उसका संवर्धन करना होता था. ये लोग जहां वन काटते थे, वहीं खाली पड़ी भूमि पर कृषि भी करते थे.

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उस समय ब्रिटिश सरकार द्वारा इन्हें कुछ जमीन भी दी गई थी, लेकिन आजादी के बाद इनकी स्थिति बद से बदतर हो गई. अब तक की सरकारों द्वारा इनके उत्थान के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था. देश में इनकी स्थिति शरणार्थियों वाली रही, लेकिन योगी सरकार में इनके लिए विकास के कार्य कराए जा रहे हैं.

Intro:आजादी से अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद करते वन टांगिया को आज सरकार द्वारा काफी योजनाओं से लाभान्वित किया गया है इन गांव को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास शौचालय सौभाग्य योजना के तहत बिजली की भी व्यवस्था कर दी गई इन सुविधाओं को पाकर वन टांगिया ग्रामीण गदगद है


Body:यह है गोंडा जिले के तरबगंज तहसील का महेशपुर वन टांगिया गांव जहां इस गाँव में 60 की संख्या में वनटंगिया निवासी रहते हैं। यह गांव आजादी के बाद से मुख्यधारा में आने की जद्दोजहद करता रहा लेकिन योगी आदित्यनाथ के यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन वनटांगियाओ पर योजनाओं की बाढ़ सी आ गई। 6 माह पहले योगी आदित्यनाथ ने सभी वनतंगियाओ को मुख्यधारा में लाने के प्रयास तेज कर दिए जिसके परिणाम स्वरूप आज यहां आवास, शौचालय बिजली आदि तमाम मूलभूत सेवाएं उपलब्ध हैं। गांव वालों का भी कहना है कि यह सपने के सच होने जैसा हमें बिजली आवास शौचालय जैसी तमाम सुविधा मिली जहां हमारे पास कुछ नहीं था वहां हमें हम पक्के घर में रह रहे हैं बिजली मिल रही है हम लोगों को अन्य कई सुविधाएं भी मिली है। चूंकि वन टांगिया जंगलों में रहते हैं इसलिए वहां बिजली तो नहीं पहुंच पाई है लेकिन सौभाग्य योजना के अंतर्गत वहां सभी ग्रामीणों को सोलर पैनल मिला है जिससे वह बिजली के मोहताज नहीं रहे। गांव में रह रहे 50 पात्रों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास भी मिल गया है जिसमें कुछ के आवास बन चुके हैं और कुछ आवासों का काम चल रहा है सरकार द्वारा इन्हें कृषि हेतु भूमि भी प्रदान की गई है जिससे वह कृषि कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं।

कौन हैं वनटांगिया

स्वतंत्रता के पूर्व वनों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अंग्रेजों ने वन टांगिया गांव बसाये थे। गांव के लोगों का काम वनों को काटना फिर वहां पौधरोपण करना एवं उसका संवर्धन करना होता था। यह जहाँ वन काटते थे वही खाली पड़ी भूमि पर कृषि भी करते थे। उस समय ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें कुछ जमीन तो दी गई थी लेकिन आजादी के बाद इनकी स्थिति बद से बदतर हो गई अब तक की सरकारों द्वारा इनके उत्थान के लिए कोई प्रयास नहीं हुए। हुए भी तो सफल नहीं हुए। देश में इनकी स्थिति शरणार्थियों वाली रही।


Conclusion:बाईट1- रामदुलारी(महिला वनटांगिया
बाईट2- जामवंती(महिला वनटांगिया
बाईट3- परशुराम(ग्रामीण वनटांगिया)
बाईट4- श्याम बाबू( ग्राम पंचायत अधिकारी)
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