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महामारी में हुए अनाथ बच्चों के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने की तैयारी - गोण्डा की ख़बर

कोरोना संक्रमण से माता-पिता की मौत के बाद अनाथ बच्चों का शिक्षा, सुरक्षा, प्यार और अधिकार के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने मसौदा तैयार कर लिया है. इस योजना के तहत बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाएगा.

महिला एवं बाल विकास विभाग ने की तैयारी
महिला एवं बाल विकास विभाग ने की तैयारी
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Published : Jun 6, 2021, 9:35 AM IST

गोण्डाः कोविड काल में अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के जीवन को संवारने के लिए तैयार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. इसे धरातल पर उतारने में महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी मुस्तैदी से जुट गया है. इसके तहत चिन्हित बच्चों की लिस्टिंग समेत पात्रता की शर्तों और जिलों में योजना को अमलीजामा पहनाने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय कर दी गयी है. इस तत्परता का मूल उद्देश्य परेशान बच्चों को फौरन मदद पहुंचाना है. इसके साथ ही उन्हें गलत हाथों में जाने से बचाना है. इस योजना के तहत अनाथ बच्चों के भरण, पोषण, शिक्षा और चिकित्सा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

जिला प्रोबेसन अधिकारी ने दी जानकारी

जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह का कहना है कि योजना से जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है, उनकी श्रेणी तय कर दी गयी है. योजना में शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे शामिल किये जायेंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मौत कोविड काल में हुई हो, या दोनों में से किसी एक की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मौत कोविड काल में हो गयी. इसमें उन बच्चों को भी शामिल किया गया है जिनके माता-पिता की मौत 1 मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मौत कोविड काल में हो गयी हो. इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वो परिवार का पालन-पोषणकर्ता हो, वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो, को भी इस योजना में शामिल किया गया है. लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो. उन्होने बताया कि एक परिवार के सभी (जैविक तथा कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा. जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि कि कोविड से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटीपीसीआर की पाजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन में कोविड-19 का इन्फेक्शन होना माना जा सकता है. इसके अलावा कोविड मरीज की विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड जटिलताओं के चलते मृत्यु हो सकती है. ये मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जायेगी.

इसे भी पढ़ें- अतीक के भाई अशरफ की अवैध संपत्तियां कुर्क

जाने किस योजना से कितना मिलेगा लाभ

जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि योजना की श्रेणी में आने वाले शून्य से 10 साल के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे. इसके साथ शर्त ये होगी कि औपचारिक शिक्षा के लिए बच्चे का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो, समय से टीकाकरण कराया गया हो और बच्चे के स्वास्थ्य व पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा हो. इसके अलावा जो बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए हों और बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गए हों, उनको कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेशित कराया जाएगा. 11 से 18 साल के बच्चों की कक्षा-12 तक की मुफ्त शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी प्रवेश कराया जा सकेगा. ऐसे वैध संरक्षक को विद्यालयों की तीन माह की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल हेतु प्रतिमाह 4000 की दर से 12000 रुपये प्रतिवर्ष खाते में दिए जायेंगे. ये राशि कक्षा-12 तक या 18 साल की उम्र जो भी पहले पूर्ण होने तक दी जायेगी. अगर बच्चे के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिलाना चाहते हों तो बच्चों की देखरेख और पढ़ाई के लिए उनको 18 साल का होने तक या कक्षा-12 की शिक्षा पूरी होने तक 4000 रुपये की धनराशि दी जायेगी. बशर्ते बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो. योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी के योग्य होने पर शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये दिए जायेंगे. श्रेणी में आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा दी जाएगी. ऐसे बच्चों की चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षा के प्रबंध होंगे. वैध संरक्षक का चिन्हांकन जिला स्तरीय टास्क फोर्स करेगी और जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति भी इन बच्चों के समुचित विकास पर नजर रखेगी.

गोण्डाः कोविड काल में अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वाले बच्चों के जीवन को संवारने के लिए तैयार उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. इसे धरातल पर उतारने में महिला एवं बाल विकास विभाग पूरी मुस्तैदी से जुट गया है. इसके तहत चिन्हित बच्चों की लिस्टिंग समेत पात्रता की शर्तों और जिलों में योजना को अमलीजामा पहनाने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय कर दी गयी है. इस तत्परता का मूल उद्देश्य परेशान बच्चों को फौरन मदद पहुंचाना है. इसके साथ ही उन्हें गलत हाथों में जाने से बचाना है. इस योजना के तहत अनाथ बच्चों के भरण, पोषण, शिक्षा और चिकित्सा का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

जिला प्रोबेसन अधिकारी ने दी जानकारी

जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह का कहना है कि योजना से जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है, उनकी श्रेणी तय कर दी गयी है. योजना में शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे शामिल किये जायेंगे, जिनके माता-पिता दोनों की मौत कोविड काल में हुई हो, या दोनों में से किसी एक की मौत एक मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मौत कोविड काल में हो गयी. इसमें उन बच्चों को भी शामिल किया गया है जिनके माता-पिता की मौत 1 मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और वैध संरक्षक की मौत कोविड काल में हो गयी हो. इसके अलावा शून्य से 18 साल के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु कोविड काल में हो गयी हो और वो परिवार का पालन-पोषणकर्ता हो, वर्तमान में जीवित माता या पिता सहित परिवार की आय दो लाख रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो, को भी इस योजना में शामिल किया गया है. लाभार्थी अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हो. उन्होने बताया कि एक परिवार के सभी (जैविक तथा कानूनी रूप से गोद लिए गए) बच्चों को योजना का लाभ मिल सकेगा. जिला प्रोबेशन अधिकारी ने बताया कि कि कोविड से मृत्यु के साक्ष्य के लिए एंटीजन या आरटीपीसीआर की पाजिटिव टेस्ट रिपोर्ट, ब्लड रिपोर्ट या सीटी स्कैन में कोविड-19 का इन्फेक्शन होना माना जा सकता है. इसके अलावा कोविड मरीज की विभिन्न परिस्थितियों में टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी पोस्ट कोविड जटिलताओं के चलते मृत्यु हो सकती है. ये मृत्यु भी कोविड की वजह से ही मानी जायेगी.

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जाने किस योजना से कितना मिलेगा लाभ

जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह ने बताया कि योजना की श्रेणी में आने वाले शून्य से 10 साल के बच्चों के वैध संरक्षक के बैंक खाते में 4000 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे. इसके साथ शर्त ये होगी कि औपचारिक शिक्षा के लिए बच्चे का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो, समय से टीकाकरण कराया गया हो और बच्चे के स्वास्थ्य व पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा हो. इसके अलावा जो बच्चे पूरी तरह अनाथ हो गए हों और बाल कल्याण समिति के आदेश से विभाग के तहत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गए हों, उनको कक्षा छह से 12 तक की शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेशित कराया जाएगा. 11 से 18 साल के बच्चों की कक्षा-12 तक की मुफ्त शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में भी प्रवेश कराया जा सकेगा. ऐसे वैध संरक्षक को विद्यालयों की तीन माह की अवकाश अवधि के लिए बच्चे की देखभाल हेतु प्रतिमाह 4000 की दर से 12000 रुपये प्रतिवर्ष खाते में दिए जायेंगे. ये राशि कक्षा-12 तक या 18 साल की उम्र जो भी पहले पूर्ण होने तक दी जायेगी. अगर बच्चे के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिलाना चाहते हों तो बच्चों की देखरेख और पढ़ाई के लिए उनको 18 साल का होने तक या कक्षा-12 की शिक्षा पूरी होने तक 4000 रुपये की धनराशि दी जायेगी. बशर्ते बच्चे का किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया हो. योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी के योग्य होने पर शादी के लिए एक लाख एक हजार रुपये दिए जायेंगे. श्रेणी में आने वाले कक्षा-9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 साल तक के बच्चों को टैबलेट/लैपटॉप की सुविधा दी जाएगी. ऐसे बच्चों की चल-अचल संपत्तियों की सुरक्षा के प्रबंध होंगे. वैध संरक्षक का चिन्हांकन जिला स्तरीय टास्क फोर्स करेगी और जिला बाल संरक्षण इकाई व बाल कल्याण समिति भी इन बच्चों के समुचित विकास पर नजर रखेगी.

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