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गोण्डा: जिले में हर्षोल्लास से मनाया गया भाई दूज का पर्व

भाई दूज के पर्व पर भाई-बहन का एक साथ यमुना में स्नान करना शुभ माना जाता है. इस पर्व में रक्षाबंधन की भांति बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी पूजा करती हैं और भाई अपने बहन को उसके इच्छानुसार वचन देता है.

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई दूज का पर्व.
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Published : Oct 29, 2019, 2:29 PM IST

गोण्डा: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की यम द्वितीया को मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व हिन्दू धर्म में भाई-बहनों के आस्था का प्रतीक है. आज गोण्डा जिले में भाई दूज का पर्व धूम-धाम से संम्पन्न हुआ.

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई दूज का पर्व.
इसे भी पढ़ें-गोण्डा: जमीन को लेकर राजघराने व जिला पंचायत में रार, कोर्ट में पहुंचा मामलाभाई दूज के लिए पूजा अर्चना आज महिलाएं सुबह से ही भाई दूज के लिए पूजा अर्चना कर रही थीं. जिले में बहनों ने यमराज को बनाकर फिर उन्हीं के सामने ईंट को फोड़कर पूजा की समाप्ति की. आज के दिन भाई-बहन का एक साथ यमुना में स्नान करना शुभ माना जाता है. इस पर्व में रक्षाबंधन की भांति बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी पूजा करती हैं और भाई अपने बहन को उसके इच्छानुसार वचन देता है.जानें क्यों मनाया जाता है भैया दूज का पर्वहिन्दू पुराणों के अनुसार इसी दिन सूर्य पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज की सेवा भाव और पूजा कर उनसे इच्छानुसार वरदान प्राप्त किया था. भैया दूज पर्व के पीछे प्रचलित कहानी इस प्रकार हैं. पुराणों के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा देवी है, जिनकी दो संताने पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थीं. पुराणों के अनुसार संज्ञा से सूर्य के गुण-अवगुण सहन न हो सके तो वह सूर्य को छोड़कर उत्तरी ध्रुव पर चली गयी. वहां छाया बनकर रहने लगीं. धर्म कथाओं के अनुसार वहां उसने बिना पति के त्राप्ती व शनिश्चर को जन्म दिया, इसी छाया से ही अश्वनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है, जिनसे नियोग करके माद्री ने नकुल व सहदेव को जन्म दिया था.

यमराज ने बहन को दिया वरदान
आगे चलकर यही अश्वनी कुमार देवताओं के वैद्य माने जाने लगे. ज्ञातत्व हो कि माता के इस आचरण को देख यमुना और यमराज भी रुष्ट हो गए. यमराज उन्हें छोड़कर जहां यमलोक बसाकर पापियों को दंड देने लगे. वहीं यमुना भी गोलोक चली गईं, जहां वह यमुना नदी के नाम से प्रचलित हुईं. कुछ दिनों के बाद जब यमराज को यमुना बहन की याद आई तो वह उनसे मिलने गोलोक पहुंचे. भाई को पाकर यमुना बहुत प्रसन्न हुईं. यमुना ने अपने भाई का खूब स्वागत सत्कार किया, जिससे खुश होकर यमराज ने बहन को वरदान मांगने को कहा. तब यमुना ने कहा कि भैया मुझे ऐसा वरदान दो कि मेरे जल में स्नान करने वाला कभी आपके यमलोक न जाए. यमुना ने ऐसा वर मांगा कि जिससे यमलोक का वजूद ही समाप्त हो जाता, इस पर यमराज चिंता में पड़ गए.

भैया दूज के नाम से प्रसिद्ध
भाई की ये दशा देख यमुना ने केवल एक दिन के लिए ही ऐसा वर मांगा कि आज के दिन यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति यमलोक को नहीं जाएगा. यमराज ने स्वीकार किया और ये दिन भैया दूज के नाम से प्रसिद्ध हुआ. जिसे हिन्दू धर्म के लोग आस्था पूर्वक मनाते हैं.

गोण्डा: कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की यम द्वितीया को मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व हिन्दू धर्म में भाई-बहनों के आस्था का प्रतीक है. आज गोण्डा जिले में भाई दूज का पर्व धूम-धाम से संम्पन्न हुआ.

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई दूज का पर्व.
इसे भी पढ़ें-गोण्डा: जमीन को लेकर राजघराने व जिला पंचायत में रार, कोर्ट में पहुंचा मामलाभाई दूज के लिए पूजा अर्चना आज महिलाएं सुबह से ही भाई दूज के लिए पूजा अर्चना कर रही थीं. जिले में बहनों ने यमराज को बनाकर फिर उन्हीं के सामने ईंट को फोड़कर पूजा की समाप्ति की. आज के दिन भाई-बहन का एक साथ यमुना में स्नान करना शुभ माना जाता है. इस पर्व में रक्षाबंधन की भांति बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी पूजा करती हैं और भाई अपने बहन को उसके इच्छानुसार वचन देता है.जानें क्यों मनाया जाता है भैया दूज का पर्वहिन्दू पुराणों के अनुसार इसी दिन सूर्य पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज की सेवा भाव और पूजा कर उनसे इच्छानुसार वरदान प्राप्त किया था. भैया दूज पर्व के पीछे प्रचलित कहानी इस प्रकार हैं. पुराणों के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा देवी है, जिनकी दो संताने पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थीं. पुराणों के अनुसार संज्ञा से सूर्य के गुण-अवगुण सहन न हो सके तो वह सूर्य को छोड़कर उत्तरी ध्रुव पर चली गयी. वहां छाया बनकर रहने लगीं. धर्म कथाओं के अनुसार वहां उसने बिना पति के त्राप्ती व शनिश्चर को जन्म दिया, इसी छाया से ही अश्वनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है, जिनसे नियोग करके माद्री ने नकुल व सहदेव को जन्म दिया था.

यमराज ने बहन को दिया वरदान
आगे चलकर यही अश्वनी कुमार देवताओं के वैद्य माने जाने लगे. ज्ञातत्व हो कि माता के इस आचरण को देख यमुना और यमराज भी रुष्ट हो गए. यमराज उन्हें छोड़कर जहां यमलोक बसाकर पापियों को दंड देने लगे. वहीं यमुना भी गोलोक चली गईं, जहां वह यमुना नदी के नाम से प्रचलित हुईं. कुछ दिनों के बाद जब यमराज को यमुना बहन की याद आई तो वह उनसे मिलने गोलोक पहुंचे. भाई को पाकर यमुना बहुत प्रसन्न हुईं. यमुना ने अपने भाई का खूब स्वागत सत्कार किया, जिससे खुश होकर यमराज ने बहन को वरदान मांगने को कहा. तब यमुना ने कहा कि भैया मुझे ऐसा वरदान दो कि मेरे जल में स्नान करने वाला कभी आपके यमलोक न जाए. यमुना ने ऐसा वर मांगा कि जिससे यमलोक का वजूद ही समाप्त हो जाता, इस पर यमराज चिंता में पड़ गए.

भैया दूज के नाम से प्रसिद्ध
भाई की ये दशा देख यमुना ने केवल एक दिन के लिए ही ऐसा वर मांगा कि आज के दिन यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति यमलोक को नहीं जाएगा. यमराज ने स्वीकार किया और ये दिन भैया दूज के नाम से प्रसिद्ध हुआ. जिसे हिन्दू धर्म के लोग आस्था पूर्वक मनाते हैं.

Intro:कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की द्वितीय को मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व हिन्दू धर्म मे भाई बहनो के आस्था का प्रतीक है। आज गोण्डा जिले में भाई दूज का पर्व धूम धाम से संम्पन्न हुआ। आज महिलाएं सुबह से ही भाई दूज के लिए पूजा अर्चना कर रही थीं। बता दें कि जिले में बहनों ने यमराज को बनाकर फिर उन्ही के सामने इन्ट को फोड़कर पूजा की समाप्ति की। आज के दिन भाई बहन को एक साथ यमुना में स्नान करना शुभ माना जाता है। इस पर्व मे रक्षा बंधन की भाँति बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उनकी पूजा करती है और भाई अपने बहन को उसके इच्छानुसार वचन होता है।


Body:हिन्दू पुराणों के अनुसार इसी दिन सूर्य पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज की सेवा भाव व पूजा कर उनसे इच्छानुसार वरदान प्राप्त किया था। भैया दूज पर्व के पीछे प्रचलित कहानी इस प्रकार है। पुराणों के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी का नाम संज्ञा देवी है जिनकी दो संताने पुत्र यमराज व पुत्री यमुना थी। पुराणों के अनुसार संज्ञा से सूर्य के गुण अवगुण सहन न हो सके तो वह सूर्य को छोड़कर उत्तरी ध्रुव पर भाग चली गयी और वहां छाया बनकर रहने लगी धर्म कथाओं के अनुसार वहां उसने बिना पति के त्राप्ती व शनिश्चर को जन्म दिया, इसी छाया से ही अश्वनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है जिनसे नियोग करके माद्री ने नकुल व सहदेव को जन्म दिया था। बताते चलें कि आगे चलकर यही अश्वनी कुमार देवताओं के वैद्य माने जाने लगे। ज्ञातत्व हो कि माता के इस आचरण को देख यमुना व यमराज भी रुष्ट हो गए, यमराज ने उन्हें छोड़कर जहाँ यमलोक बसाकर पापियों को दंड देने लगे वहीँ यमुना भी गोलोक चली गयी जहाँ वह यमुना नदी के नाम से प्रचलित हुई। कुछ दिनों के बाद जब यमराज को यमुना बहन की याद आयी तो वह उसे मिलने गोलोक पहुंचे। भाई को पाकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई उसने अपने भाई का खूब स्वागत सत्कार किया जिससे खुश होकर यमराज ने बहन को वरदान मांगने को कहा तब यमुना ने कहा की भैया मुझे ऐसा वरदान दो कि मेरे जल मे स्नान करने वाला कभी आपके यमलोक न जाए। यमुना ने ऐसा वर माँगा कि जिससे यमलोक का वजूद ही समाप्त हो जाता, इस पर यमराज चिंता में पड़ गए। Conclusion:भाई की ये दशा देख यमुना ने केवल एक दिन के लिए ही ऐसा वर माँगा कि आज के दिन यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति यमलोक को नही जाएगा। यमराज ने स्वीकार किया और ये दिन भैया दूज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जिसे हिन्दू धर्म के लोग आस्था पूर्वक मनाते हैं।

बाईट1- रूबी
बाईट2 - अलखनिरंजन मिश्र(पुजारी)
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