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गोंडा: खुशहाली केंद्र हो गए बदहाली का शिकार, मायूस होकर लौट रहे किसान

यूपी के गोंडा जिले में बनाए गए किसान खुशहाली केंद्र बदहाली का शिकार हो गए हैं. इन केंद्रों द्वारा किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि उपकरण से लेकर कृषि बीज रसायन, कीटनाशक, उर्वरक, पशु चारा और तकनीकी जानकारी दी जाती थी.

किसान खुशहाली केंद्र.
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Published : Aug 8, 2019, 12:45 PM IST

गोंडा: किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि से संबंधित सारी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक निजी संस्था द्वारा खुशहाली केंद्र खोले गए थे. शुरुआती दौर में यह केंद्र किसानों के आकर्षण का केंद्र बन गए. अधिकतर किसान यहीं से छोटे-बड़े कृषि यंत्र से लेकर खाद, बीज, कीटनाशक और अन्य जैव रसायन की खरीद करते थे.

बदहाली का शिकार हो रहे खुशहाली केंद्र.

किसान परेशान-

  • साधन सहकारी समितियों की तरह खुशहाली केंद्रों पर भी किसानों को सब्सिडी युक्त खाद, बीज और रसायन दिए जाते थे.
  • किसानों की एक ही केंद्र पर सभी आवश्यकताएं पूर्ण हो जाती थी.
  • आज खुशहाली केंद्र अपनी बदहाली का शिकार है, जिससे किसान भी परेशान हैं.
  • हैडरीक कृषि उपकरण लिमिटेड कंपनी द्वारा वर्ष 2011 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में इसे शामिल किया गया.
  • कंपनी ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अपने केंद्र खोले और इसे खुशहाली केंद्र नाम दिया.

यहां खाद बीज इत्यादि की कमी है, पर कंपनी इसे जल्दी फिर से अच्छा चलाने का भरोसा देते हैं, लेकिन रोज यहां से 10 से ऊपर किसान मायूस हो वापस लौट जाते हैं. यहां हमें हर वस्तु आसानी से सुलभ हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

-रुद्र प्रताप सिंह, किसान

यह एक प्राइवेट संस्था है. जैसा कि मेरे संज्ञान में आया है कि यहां खाद, बीज व कीटनाशक की कमी है, जबकि जिले में खाद, बीज व कीटनाशक की कोई कमी नहीं है. जब कंपनी के कर्मचारियों इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऊपर से व्यवस्था नहीं हो रही है. उनको निर्देशित किया गया है कि केंद्र पर खाद, बीज और कीटनाशक की उपलब्धता कराकर उसे ठीक से चलाइए. कंपनी द्वारा भी आश्वस्त किया गया है कि जल्द ही व्यवस्था में सुधार किया जाएगा.
-जेपी यादव, जिला कृषि अधिकारी

गोंडा: किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि से संबंधित सारी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक निजी संस्था द्वारा खुशहाली केंद्र खोले गए थे. शुरुआती दौर में यह केंद्र किसानों के आकर्षण का केंद्र बन गए. अधिकतर किसान यहीं से छोटे-बड़े कृषि यंत्र से लेकर खाद, बीज, कीटनाशक और अन्य जैव रसायन की खरीद करते थे.

बदहाली का शिकार हो रहे खुशहाली केंद्र.

किसान परेशान-

  • साधन सहकारी समितियों की तरह खुशहाली केंद्रों पर भी किसानों को सब्सिडी युक्त खाद, बीज और रसायन दिए जाते थे.
  • किसानों की एक ही केंद्र पर सभी आवश्यकताएं पूर्ण हो जाती थी.
  • आज खुशहाली केंद्र अपनी बदहाली का शिकार है, जिससे किसान भी परेशान हैं.
  • हैडरीक कृषि उपकरण लिमिटेड कंपनी द्वारा वर्ष 2011 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में इसे शामिल किया गया.
  • कंपनी ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा में अपने केंद्र खोले और इसे खुशहाली केंद्र नाम दिया.

यहां खाद बीज इत्यादि की कमी है, पर कंपनी इसे जल्दी फिर से अच्छा चलाने का भरोसा देते हैं, लेकिन रोज यहां से 10 से ऊपर किसान मायूस हो वापस लौट जाते हैं. यहां हमें हर वस्तु आसानी से सुलभ हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है.

-रुद्र प्रताप सिंह, किसान

यह एक प्राइवेट संस्था है. जैसा कि मेरे संज्ञान में आया है कि यहां खाद, बीज व कीटनाशक की कमी है, जबकि जिले में खाद, बीज व कीटनाशक की कोई कमी नहीं है. जब कंपनी के कर्मचारियों इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऊपर से व्यवस्था नहीं हो रही है. उनको निर्देशित किया गया है कि केंद्र पर खाद, बीज और कीटनाशक की उपलब्धता कराकर उसे ठीक से चलाइए. कंपनी द्वारा भी आश्वस्त किया गया है कि जल्द ही व्यवस्था में सुधार किया जाएगा.
-जेपी यादव, जिला कृषि अधिकारी

Intro:किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि से संबंधित सारी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक निजी संस्था द्वारा खुशहाली केंद्र खोले गए थे। शुरुआती दौर में यह केंद्र किसानों के आकर्षण का केंद्र बन गए। अधिकतर किसान यहीं से छोटे मोटे कृषि यंत्र से लेकर खाद, बीज कीटनाशक एवं अन्य जैव रसायन की खरीद करते थे। साधन सहकारी समतियो की तरह यहाँ पर भी किसानों को सब्सिडी युक्त खाद बीज व रसायन दिए जाते थे। जिससे किसानो की एक ही केंद्र पर उनकी सभी आवश्यकताएं पूर्ण हो जाती थी। परंतु आज यह केंद्र अपनी बदहाली का शिकार है जिससे किसान भी परेशान हैं।

Body:हैडरीक कृषि उपकरण लिमिटेड कंपनी द्वारा वर्ष 2011 में एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में इसे शामिल किया गया। कंपनी ने उत्तर प्रदेश व हरियाणा में अपने केंद्र खोले। कंपनी का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को मूल्य सुविधा और विश्वास के पेशकश के मूल प्रस्ताव के साथ खुशहाली केंद्र के नाम से अपने गोदाम बनाये गए। यहाँ पर किसानों को एक ही छत के नीचे कृषि उपकरण से लेकर कृषि बीज रसायन, कीटनाशक, उर्वरक, पशु चारा, और तकनीकी जानकारी इन केंद्रों द्वारा दी जाती थी। खुशहाली केंद्र सूबे में एक लाख से अधिक किसानों को सुविधा मुहैया कराने के साथ साथ कृषि पद्धतियों के बारे में जानकारी प्रदान कर कृषि को सशक्त बनाने के साथ साथ किसानों को आईटी सक्षम बाजार की जानकारी भी उपलब्ध कराता था। लेकिन अब यह केंद्र खुद ही खुशहाली के बजाय बदहाली का शिकार बन गया है। जनपद में इस संस्था द्वारा तीन केंद्र खोले गए हैं। केंद्र पर मिले किसान रुद्र प्रताप सिंह ने बताया कि यहाँ खाद बीज इत्यादि कि कमी है पर कंपनी इसे जल्दी फिर से अच्छा चलाने का भरोसा देते हैं लेकिन रोज यहाँ से 10 से ऊपर किसान मायूस हो वापस लौट जाते हैं। यहाँ हमे हर वस्तु आसानी से सुलभ हो जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। Conclusion:इस बाबत जिला कृषि अधिकारी जगदीश प्रसाद यादव ने बताया यह एक प्राइवेट संस्था है यहाँ पर जैसा कि मेरे संज्ञान में आया है कि यहाँ खाद बीज व कीटनाशक की कमी है जबकि जिले में खाद बीज व कीटनाशक की कोई कमी नहीं है। जब कंपनी के कर्मचारियों इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ऊपर से व्यवस्था नहीं हो रही है। उनको निर्देशित किया गया है कि केंद्र पर खाद बीज कीटनाशक की उपलब्ध्ता कराकर उसे ठीक से चलाइये। कंपनी द्वारा भी आश्वस्त किया गया है जल्द ही व्यवस्था में सुधार किया जाएगा।

बाईट- रुद्र प्रताप सिंह(किसान)
बाईट- जेपी यादव (जिला कृषि अधिकारी)
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