गाजीपुरः सर संघ चालक मोहन भागवत बुधवार को भुडकुड़ा क्षेत्र के हथिया राम मठ पहुंचे. वहां उन्होंने अति प्राचीन बुढ़िया माई की विधिवत पूजा अर्चना की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सन्तों की एक विशेषता है वे दूसरो के गुणों को पहाड़ बना देते हैं, वे दूसरे की अच्छाई को magnify ग्लास से देखते हैं. उनके प्रत्येक शब्दों मे आत्मीयता होती है.
वह बोले कि सम्पूर्ण विश्व आत्मीयता का भूखा है. सबमें वही आत्मा है जो परमात्मा में हैं. लड़का और माता अलग हैं पर लड़के का भोजन होता है तो मां का भी हो जाता है. दुनिया की दृष्टि भौतिक है. प्राचीन समय में सुख की खोज की और चरम सुख पर पहुंच गए. कुछ लोग देव प्रवृत्ति के हैं, दूसरी तरफ असुर प्रवृत्ति के हैं. कभी न सूखा पड़ने वाला सुख आत्मा को जानने से मिलता है. हमारे पूर्वजों ने अपनी आत्मा में झांककर देखा. उन्होंने अंतःस्फूर्ति से अपने को जाना, सत्य को पाया. भौतिक दुनिया से आध्यात्मिक दुनिया में चले. विज्ञान के बिना अध्यात्म नहीं और अध्यात्म के बिना विज्ञान नहीं है. जितनी सुविधा बढ़ रही उतना असंतोष बढ़ रहा. इसे समझना होगा कि मेरी उन्नति और पर्यावरण की उन्नति एक ही है.
वह बोले कि सिकन्दर के पहले तक बाहर से कोई हमलावर आया है ये हमको पता नहीं था. 3 हजार वर्ष पहले तक हम विश्व गुरु थे. हम सारी दुनिया को ज्ञान देने वाले शिव थे. हम पूरी समृद्धि रहते हुए भी शिव बने रहे. हमारे पास सबकुछ था. हम हमारे देवी देवताओं की पूजा मन की शांति के लिये करते हैं पर मंदिर जाने पर आपके बच्चों को पता चलता है कि उनको कोई देखने वाला है. हम जो करते हैं वो भरना पड़ता है इसलिए अच्छा करो, एकांत में साधना और लोकांत में परोपकार होना चहिए. आजकल कई जगह सरकार आकर मंदिर ले लेती है, भक्तों को चिंता करनी चाहिये कि अपने मंदिर ठीक रहें और चलते रहें. पूरा भारत भारत माता का मंदिर है. सबकों संकल्प लेना चाहिए कि भारत को आदर्श बनाना चाहिए. अच्छी बातें सोचकर मन को ठीक रखना शिव आराधना है.
इस मौके पर मठ के 26 वें पीठाधीश्वर व महामंडलेश्वर भवानी नंदन यति जी महाराज ने अंगवस्त्रम और स्मृति चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया. इस अवसर पर मोहन भागवत ने भी महामंडलेशर को अंग वस्त्रम भेंट कर आशीर्वाद लिया. इस अवसर पर संघ प्रमुख ने परमवीर चक्र स्व.अब्दुल हमीद के पुत्र और महावीर चक्र स्व. राम उग्रह पांडे की अंधी बेटी को भी सम्मानित किया.
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