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गाजीपुर: महाराजगंज से काशी नरेश का जुड़ाव, जाने अयोध्या के अलावा और कहां है हनुमानगढ़ी - हनुमानगढ़ी

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के पास बसे गांव महाराजगंज का काशी नरेश से बहुत जुड़ाव है. वहां के लोगों का कहना है कि काशी नरेश ने ही महाराजगंज को बसाया है. साथ ही अयोध्या के अलावा जिले में हनुमानगढ़ी होने की भी बात हुई.

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गांव महाराजगंज का काशी नरेश से बहुत जुड़ाव.
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Published : Feb 11, 2020, 2:55 PM IST

Updated : Feb 11, 2020, 3:10 PM IST

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के कमोबेश सभी गांव की कुछ न कुछ कहानी होती ही है. गंगा के पावन तट पर बसा गाजीपुर शहर भी पुरातन शहरों में से एक है. जो अपने अंदर ऐतिहासिकता और पौराणिकता समेटे हुए है. वहीं गाजीपुर मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर बसा गांव महाराजगंज है. जहां से काशी नरेश के जुड़ाव की बहुत सी कहानियां है. साथ ही अयोध्या के अलावा महाराजगंज में भी एक हनुमानगढ़ी होने की बात होती है.

गांव महाराजगंज का काशी नरेश से बहुत जुड़ाव.
काशी नरेश ने ही बसाया महाराजगंजजनपद के महाराजगंज के पास ही गांव में रहने वाले 60 वर्षीय मोहम्मद मुस्तफा ने बताया की महाराजगंज की जमीन काशी नरेश की है. उन्हीं के नाम पर गांव का नाम महाराजगंज पड़ा. जो तब से अब तक चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि काशी नरेश अक्सर गाजीपुर आते थे. बिना एक पैसा लिए उन्होंने अपनी प्रजा को महाराजगंज में बसाया. उन्होंने बताया कि काशी नरेश कि सरहदों का विस्तार काफी दूर तक था. पहले गाजीपुर में राजा साहब की छावनी थी, लेकिन शहर फैलने लगा और लोग इस जगह से बस गए. अपने बचपन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि असली राजा अब नहीं हैं, तब राजघराने के लोगों छावनी पर आते थे. विंदेश्वरी नाम का उनका एक कारिंदा अक्सर हमारे यहां आया करता था. गांव के ही एक शख्स थे जो महाराजगंज में राजा का काम देखते थे. उस वक्त आम के काफी पुराने पेड़ थे, जिसे फल लगने के बाद इन पेड़ों को बेचा जाता था. जो पेड़ों को बेचने के बाद मिले धन को राजा को सुपुर्द करते थे.

क्या गाजीपुर में भी है हनुमानगढ़ी
मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि जिस जमीन पर पहले पेड़ हुआ करते थे वह जमीन महाराजा के नाम से कागजात में है. गाजीपुर में हनुमानगढ़ी का जिक्र करने पर उन्होंने बताया कि गांव के एक छोर पर सड़क किनारे हनुमानगढ़ी मंदिर है. जो हनुमान जी का काफी पुराना मंदिर है.

इसे भी पढ़ें-मानवता की मिसाल बना ये दंपती, वृद्धाश्रम बनाने में लगा दी जीवनभर की पूंजी

प्रजा की रक्षा करते थे काशी नरेश
मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के जमाने में हम पैदा नहीं थे, लेकिन दादा परदादा बताते थे कि अंग्रेजों ने काफी अत्याचार किया था. काशी नरेश की वजह से महाराजगंज में बसी काशी नरेश की जनता को अंग्रेजों से किसी भी तरीके की समस्या पेश नहीं आती थी. इसकी बड़ी वजह महाराजा काशी नरेश का होना था. राजा साहब की जितनी जमीन थी उसमें अंग्रेज कोई हस्तक्षेप नहीं करते थे. साथ ही वह अपनी प्रजा की रक्षा भी करते थे.

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के कमोबेश सभी गांव की कुछ न कुछ कहानी होती ही है. गंगा के पावन तट पर बसा गाजीपुर शहर भी पुरातन शहरों में से एक है. जो अपने अंदर ऐतिहासिकता और पौराणिकता समेटे हुए है. वहीं गाजीपुर मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर बसा गांव महाराजगंज है. जहां से काशी नरेश के जुड़ाव की बहुत सी कहानियां है. साथ ही अयोध्या के अलावा महाराजगंज में भी एक हनुमानगढ़ी होने की बात होती है.

गांव महाराजगंज का काशी नरेश से बहुत जुड़ाव.
काशी नरेश ने ही बसाया महाराजगंजजनपद के महाराजगंज के पास ही गांव में रहने वाले 60 वर्षीय मोहम्मद मुस्तफा ने बताया की महाराजगंज की जमीन काशी नरेश की है. उन्हीं के नाम पर गांव का नाम महाराजगंज पड़ा. जो तब से अब तक चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि काशी नरेश अक्सर गाजीपुर आते थे. बिना एक पैसा लिए उन्होंने अपनी प्रजा को महाराजगंज में बसाया. उन्होंने बताया कि काशी नरेश कि सरहदों का विस्तार काफी दूर तक था. पहले गाजीपुर में राजा साहब की छावनी थी, लेकिन शहर फैलने लगा और लोग इस जगह से बस गए. अपने बचपन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि असली राजा अब नहीं हैं, तब राजघराने के लोगों छावनी पर आते थे. विंदेश्वरी नाम का उनका एक कारिंदा अक्सर हमारे यहां आया करता था. गांव के ही एक शख्स थे जो महाराजगंज में राजा का काम देखते थे. उस वक्त आम के काफी पुराने पेड़ थे, जिसे फल लगने के बाद इन पेड़ों को बेचा जाता था. जो पेड़ों को बेचने के बाद मिले धन को राजा को सुपुर्द करते थे.

क्या गाजीपुर में भी है हनुमानगढ़ी
मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि जिस जमीन पर पहले पेड़ हुआ करते थे वह जमीन महाराजा के नाम से कागजात में है. गाजीपुर में हनुमानगढ़ी का जिक्र करने पर उन्होंने बताया कि गांव के एक छोर पर सड़क किनारे हनुमानगढ़ी मंदिर है. जो हनुमान जी का काफी पुराना मंदिर है.

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प्रजा की रक्षा करते थे काशी नरेश
मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के जमाने में हम पैदा नहीं थे, लेकिन दादा परदादा बताते थे कि अंग्रेजों ने काफी अत्याचार किया था. काशी नरेश की वजह से महाराजगंज में बसी काशी नरेश की जनता को अंग्रेजों से किसी भी तरीके की समस्या पेश नहीं आती थी. इसकी बड़ी वजह महाराजा काशी नरेश का होना था. राजा साहब की जितनी जमीन थी उसमें अंग्रेज कोई हस्तक्षेप नहीं करते थे. साथ ही वह अपनी प्रजा की रक्षा भी करते थे.

Intro:गाजीपुर के महाराजगंज से काशी नरेश का जुड़ाव, जाने अयोध्या के अलावा और कहां है हनुमानगढ़ी गाजीपुर। उत्तर प्रदेश के कमोबेश सभी गांव कि कुछ ना कुछ कहानी है। गंगा के पावन तट पर बसा  शहर गाजीपुर भी पुरातन शहरों में एक है। जो अपने अंदर ऐतिहासिकता और पौराणिकता समेटे हुए है। वहीं गाजीपुर मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर बसा गांव महाराजगंज। महाराजगंज गांव की कहानी जाने हम महाराजगंज पहुंचे। महाराजगंज के काशी नरेश से जुड़ाव की पूरी कहानी जानी। कैसे काशी नरेश प्रजा को अंग्रेजों के आतंक से बचाते थे।


Body:पूरी कहानी को जानने के लिए ईटीवी की टीम गाजीपुर के महाराजगंज पहुंची। जहां गांव में हमारी मुलाकात मोहम्मद मुस्तफा से हुई। 60 वर्षीय मोहम्मद मुस्तफा बताते हैं की महाराजगंज की जमीन काशी नरेश की है। उन्हीं के नाम पर गांव का नाम महाराजगंज पड़ा। जो तब से अब तक चला आ रहा है। उन्होंने बताया कि काशी नरेश अक्सर गाजीपुर आते थे। हमने सवाल किया कि क्या काशी नरेश ने उपहार स्वरूप महाराजगंज की जमीन दी थी तब उन्होंने बताया कि तब जमीदारी थी तब राजा अपनी प्रजा को बताते थे। बिना एक पैसा लिए उन्होंने अपनी प्रजा को महाराजगंज में बसाया। उन्होंने बताया कि काशी नरेश कि सरहदों का विस्तार काफी दूर तक था। उन्होंने बताया कि पहले गाजीपुर में राजा साहब की छावनी थी। लेकिन शहर फैलने लगा और लोग इस जगह से बस गए। अपने बचपन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि असली राजा अब नहीं हैं, तब राजघराने के लोगों छावनी पर आते थे। अभी भी लोग आते हैं। विंदेश्वरी नाम का उनका एक कारिंदा अक्सर हमारे यहां आया करता था।  गांव के ही एक शख्स थे जो महाराजगंज में राजा का काम देखते थे। उस वक्त आम के काफी पुराने पेड़ थे। जिसे फल लगने के बाद इन पेड़ों को बेचा जाता था। जो पेड़ों को बेचने के बाद मिले धन को राजा को सुपुर्द करते थे। उन्होंने बताया कि जिस जमीन पर पहले पेड़ हुआ करते थे वह जमीन महाराजा के नाम से कागजात में है। बातों बातों में उन्होंने गाजीपुर में हनुमानगढ़ी का जिक्र किया। कौतूहल बस हमने भी अयोध्या की हनुमानगढ़ी का जिक्र करते हुए उनसे पूछा डाला कि क्या गाजीपुर में भी हनुमानगढ़ी है। तब उन्होंने बताया कि गांव के एक छोर पर सड़क किनारे हनुमानगढ़ी मंदिर है जो हनुमान जी का काफी पुराना मंदिर है।


Conclusion:हमने अंग्रेजों के वक्त में गांव के हालात जाना चाहा। तब उन्होंने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के जमाने में हम पैदा नहीं थे। लेकिन दादा परदादा बताते थे कि अंग्रेजों ने काफी अत्याचार किया था लेकिन काशी नरेश की वजह से महाराजगंज गंज में बसी काशी नरेश की जनता को अंग्रेजों से किसी भी तरीके की समस्या पेश नहीं आती थी। इसकी बड़ी वजह महाराजा काशी नरेश का होना था। राजा साहब की जितनी जमीन थी उसमें अंग्रेज कोई हस्तक्षेप नहीं करते थे। साथ ही वह अपनी प्रजा की रक्षा भी करते थे। बाइट - मोहम्मद मुस्तफा ( स्थानीय ग्रामीण ), विजुअल उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960
Last Updated : Feb 11, 2020, 3:10 PM IST
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