गाजीपुर : जिले के नगसर स्थित नूरपुर गांव में शुक्रवार को पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. आरोप है कि नगसर पुलिस अपराधी के घर में छिपे होने की बात कहकर पूछताछ के लिए कुछ लोगों को थाने लाई, जहां पुलिस ने उनकी जमकर पिटाई की. इस मामले में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि मामले से जुड़ा फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
नगसर क्षेत्र स्थित नुरपुर गांव निवासी दिपेश पांडेय ने पुलिस अधीक्षक सहित अन्य उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर मामले की उचित करवाई की मांग की है. पीड़ित के मुताबिक, 15 जुलाई को उसकी बड़ी माता माया देवी का निधन हुआ था. 27 जुलाई को उनका ब्रह्मभोज होना तय था. कोरोना एडवाइजरी का ध्यान रखते हुए कुछ रिश्तेदार तेरही में शामिल होने आए थे.
इसी दौरान देर शाम थाना प्रभारी नगसर हाल्ट रमेश कुमार पुलिस कर्मियों और सादे वेश में कुछ अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे. परिजनों का आरोप है कि अपशब्द का प्रयोग करते हुए उन्होंने कहा कि तुम्हारे घर में अपराधी झनकू पांडेय छीपा है. परिजन इस पर बोलने वाले ही थे कि थानाध्यक्ष के निर्देश पर पुलिस कर्मियों ने पीड़ित के रिश्तेदार सुशील पांडेय, कमल कुमार पांडेय और साथियों की जमकर पिटाई कर दी. मारपीट से बचने के लिए जब वह जान बचाकर घर के अंदर गए, तब पुलिस ने घर के अंदर घुसकर पिटाई की.
वहीं घर में तलाशी के दौरान पुलिस को कुछ नहीं मिला. घर में तोड़-फोड़ और तांडव दिखाने के बाद पुलिस सुशील पांडेय कमल कुमार पांडेय, अविनाश पांडेय, निर्भय पांडेय, इंद्रजीत पांडेय, भूपेंद्र पांडेय, विशाल पांडेय, विक्की पांडेय को गाड़ी में बिठाकर थाने ले गई. जहां पर जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग करते हुए उनकी वहां भी जमकर पिटाई की गई. पुलिस द्वारा मारपीट में पीड़ितों को गंभीर चोटें आई हैं. पीड़ितों के मुताबिक, मारपीट से जब पुलिस का पेट नहीं भरा, तो उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा भी लिख दिया.
न्यायालय द्वारा जमानत पर छूटने के बाद जब पीड़ित घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने थाना पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने फटकार लगाते हुए उसे वहां से भगा दिया. इस मामले में पीड़ित पक्ष ने जांच कराकर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इस संबंध में नगरस थाना प्रभारी निरीक्षक रमेश कुमार ने बताया कि आरोपी को छुड़ाने के आरोप में सभी को गिरफ्तार कर कार्रवाई की गई थी. उन्होंने कहा कि मारने-पीटने का आरोप पूरी तरह से गलत है.
गाजीपुर पुलिस का अमानवीय चेहरा आया सामने, मीरपीट का फोटो वायरल - यूपी पुलिस का अमानवीय चेहरा
गाजीपुर के नगसर में पुलिस पूछताछ के लिए कुछ लोगों को अपने साथ थाने ले आई, जहां पुलिस ने उनकी जमकर पिटाई की. घटना का फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पीड़ित पक्ष ने पुलिस अधीक्षक सहित अन्य उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर मामले में उचित करवाई की मांग की है.
गाजीपुर : जिले के नगसर स्थित नूरपुर गांव में शुक्रवार को पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. आरोप है कि नगसर पुलिस अपराधी के घर में छिपे होने की बात कहकर पूछताछ के लिए कुछ लोगों को थाने लाई, जहां पुलिस ने उनकी जमकर पिटाई की. इस मामले में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि मामले से जुड़ा फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
नगसर क्षेत्र स्थित नुरपुर गांव निवासी दिपेश पांडेय ने पुलिस अधीक्षक सहित अन्य उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर मामले की उचित करवाई की मांग की है. पीड़ित के मुताबिक, 15 जुलाई को उसकी बड़ी माता माया देवी का निधन हुआ था. 27 जुलाई को उनका ब्रह्मभोज होना तय था. कोरोना एडवाइजरी का ध्यान रखते हुए कुछ रिश्तेदार तेरही में शामिल होने आए थे.
इसी दौरान देर शाम थाना प्रभारी नगसर हाल्ट रमेश कुमार पुलिस कर्मियों और सादे वेश में कुछ अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचे. परिजनों का आरोप है कि अपशब्द का प्रयोग करते हुए उन्होंने कहा कि तुम्हारे घर में अपराधी झनकू पांडेय छीपा है. परिजन इस पर बोलने वाले ही थे कि थानाध्यक्ष के निर्देश पर पुलिस कर्मियों ने पीड़ित के रिश्तेदार सुशील पांडेय, कमल कुमार पांडेय और साथियों की जमकर पिटाई कर दी. मारपीट से बचने के लिए जब वह जान बचाकर घर के अंदर गए, तब पुलिस ने घर के अंदर घुसकर पिटाई की.
वहीं घर में तलाशी के दौरान पुलिस को कुछ नहीं मिला. घर में तोड़-फोड़ और तांडव दिखाने के बाद पुलिस सुशील पांडेय कमल कुमार पांडेय, अविनाश पांडेय, निर्भय पांडेय, इंद्रजीत पांडेय, भूपेंद्र पांडेय, विशाल पांडेय, विक्की पांडेय को गाड़ी में बिठाकर थाने ले गई. जहां पर जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग करते हुए उनकी वहां भी जमकर पिटाई की गई. पुलिस द्वारा मारपीट में पीड़ितों को गंभीर चोटें आई हैं. पीड़ितों के मुताबिक, मारपीट से जब पुलिस का पेट नहीं भरा, तो उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा भी लिख दिया.
न्यायालय द्वारा जमानत पर छूटने के बाद जब पीड़ित घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने थाना पहुंचे, तो थाना प्रभारी ने फटकार लगाते हुए उसे वहां से भगा दिया. इस मामले में पीड़ित पक्ष ने जांच कराकर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. इस संबंध में नगरस थाना प्रभारी निरीक्षक रमेश कुमार ने बताया कि आरोपी को छुड़ाने के आरोप में सभी को गिरफ्तार कर कार्रवाई की गई थी. उन्होंने कहा कि मारने-पीटने का आरोप पूरी तरह से गलत है.