गाजीपुर: माफिया मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. 22 साल पुराने मामले में मुख्तार अंसारी और अन्य सहयोग के खिलाफ गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में सुनवाई चल रही है. गुरुवार को मुख्तार अंसारी सहित 7 अन्य आरोपियों पर आरोप तय होना था. लेकिन, इसमें से एक आरोपी सरफराज ने मुकदमे से अपने को उन्मोचित करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर अधिशासी अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और अब 8 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होगी.
15 जुलाई 2001 को गाजीपुर के मुहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के उसरी चट्टी पर मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला हुआ था. उस समय मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के बीच चल रहे गैंगवार में हुई इस हत्याकांड से पूरा देश दहल उठा था. इस गैंगवार में दोनों तरफ से स्वचालित हथियारों से जमकर फायरिंग हुई थी.
इस गैंगवार में मुख्तार अंसारी के सरकारी गनर सहित तीन लोगों की मौत हुई थी. उस समय एक मृतक की पहचान नहीं हो सकी थी. उसकी बाद में मनोज राय के रूप में पहचान हुई, जोकि बक्सर का रहने वाला था और मुख्तार अंसारी के साथ ठेके का काम करता था. इस हत्याकांड के बाद मुख्तार अंसारी ने बृजेश सिंह और अन्य के खिलाफ मुहम्मदाबाद कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. मुख्तार अंसारी मामले में वादी बने. लेकिन, 20 जनवरी 2023 को मृतक मनोज राय के पिता शैलेन्द्र राय ने मुहम्मदाबाद कोतवाली में मुख्तार अंसारी के खिलाफ अपने बेटे मनोज राय की हत्या का मुकदमा दर्ज कराया.
इस प्रकार मुख्तार अंसारी जहां इस मामले में वादी थे, वहीं आरोपी बन गए. शैलेन्द्र राय ने दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया था कि उनका बेटा मनोज राय मुहम्मदाबाद में रहकर मुख्तार अंसारी के साथ ठेकेदारी करता था. लेकिन, एक ठेका उसने खुद ले लिया, जिससे मुख्तार अंसारी नाराज हो गए और उनके बेटे को अपने आवास पर बुलाया और अगले दिन उसका शव मिला. गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में मामले में सुनवाई शुरू हुई.
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