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पांच युवाओं ने मिलकर बनाया टिकटॉक को टक्कर देने वाला ऐप, जानें खासियत - टिक टॉक ऐप

गाजीपुर के प्रखर ने अपने पांच मित्रों संग मिलकर चाइनीज ऐप टिकटॉक को टक्कर देने वाला एक ऐप डेवलप किया है. प्रखर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया अभियान से प्रभावित होकर दोस्तों संग मिलकर रिवाइंड ऐप बनाया है.

टिक टॉक को टक्कर देने वाला ऐप
टिक टॉक को टक्कर देने वाला ऐप
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Published : Oct 27, 2020, 3:27 PM IST

गाजीपुर: चाइनीज ऐप टिकटॉक की प्रसिद्धि किसी से छिपी नहीं है. देश भर के लोगों ने टिकटॉक को लेकर जो दिलचस्पी दिखाई वह शायद ही किसी चाइनीज एप में दिखाई देगी, लेकिन इस ऐप पर प्रतिबंध लगने के कारण युवाओं में थोड़ी मायूसी भी रही. यही वजह है कि काशी के हरहुआ के रहने वाले युवा प्रखर सिंह सार्थक ने टिकटॉक को टक्कर देने वाला एक ऐप बनाया है. प्रखर की मानें तो उन्होंने लॉकडाउन के दौरान पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया अभियान से प्रभावित होकर दोस्तों संग मिलकर रिवाइंड ऐप बनाया है.

स्पेशल रिपोर्ट
चीनी ऐप बैन होने के बाद आया ऐप डेवलपमेंट का विचारभारत सरकार ने पहले चीन के 59 ऐप बैन किए थे. इसके बाद भारत ने चीन से जुड़ी कंपनियों पर दोबारा चीन के 47 ऐप बैन कर दिए हैं. इन ऐप पर यूजर्स के डेटा चोरी के भी कई आरोप लगते रहे हैं. इसका संज्ञान लेते हुए भारत सरकार ने चीनी ऐप्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की. चीनी ऐप बैन होने के बाद इन युवाओं में नए ऐप को डेवलप करने का विचार आया. टिकटॉक बैन होने के बाद काशीवासी प्रखर ने अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर टिकटॉक की खूबियों वाल एक रिवाइंड ऐप बनाया है. इसमें शॉर्ट वीडियो क्लिप्स अपलोड की जा सकती है. प्रखर की मानें तो विदेशी कंपनियां अपने ऐप के माध्यम से भारत से मोटी कमाई कर अपने देश ले जाती थी, जिसका भारत को कोई लाभ नहीं होता था. वहीं उन्होंने चीनी ऐप को बैन किए जाने के सरकार के कदम का समर्थन किया है. उन्होंने बताया कि चाइना ऐप के माध्यम से रिवेन्यू जनरेट कर अपने देश ले जाता था. इसलिए हमने सोचा कि क्यों न हम खुद एक ऐप बनाएं जो स्वदेशी हो और हमारे लिए हो.पांच दोस्तों ने मिलकर बनाया ऐपप्रखर केवल अकेले नहीं हैं. उनके साथ पढ़ने वाले 5 दोस्तों की टीम है. जिसने यह कमाल करके दिखाया है. प्रखर ने बताया कि उनकी 5 लोगों की टीम में उनके अलावा उनकी बहन स्वर्णिमा सिंह, उनका दोस्त रजनीश गुप्ता और झांसी से वैष्णवी और आशिता विजय सेठ शामिल हैं.

दो माह की मेहनत से बनाया ऐप
रिवाइंड ऐप के बारे में जानकारी देते हुए प्रखर ने बताया कि यह एक शॉर्ट वीडियो अपलोडिंग प्लेटफॉर्म है. ऐप पर 15 से 30 सेकंड के वीडियो अपलोड किए जा सकते हैं. तकनीकी भाषा में इसे डपसमैश बोलते हैं. दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद हमने यह ऐप डेवलप किया. प्रखर ने बताया कि ऐप की साइज महज 10 एमबी है. डेटा आपका बिल्कुल सेफ है. सिक्योरिटी एनालिस्ट से ऐप का सिक्योरिटी टेस्ट भी कराया गया है, जिसमें डाटा चोरी का कोई डर नहीं है.

टीम बढ़ाकर युवाओं को रोजगार देने की सोच
प्रखर चाहते हैं कि चीनी ऐप की तरह वह भी रेवेन्यू जेनरेट करें. इस ऐप के जरिए जो भी रेवेन्यू जेनरेट हो वह पैसा विदेश जाने के बजाए देश के विकास में खर्च हो. उन्होंने कहा कि अगर उनका रिवाइंड ऐप बेहतर परफॉर्म करता है, तो वह अन्य युवाओं को भी इस प्लेटफार्म से जोड़कर रोजगार दे सकते हैं.

सरकारी मदद की है दरकार
प्रखर का कहना है कि यदि सरकार मदद करती है तो वह इस ऐप को और आगे लेकर जा सकते हैं. सरकार की स्टैंड अप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के फंड के लिए उन्होंने आवेदन किया है. प्रक्रिया चल रही है जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, उन्हें फंडिंग मिल जाएगी. प्रखर की मानें तो यह भारत के युवाओं के लिए एक अच्छा अवसर है. कोरोना के चलते एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है, लेकिन प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के तहत हम आगे बढ़ रहे हैं. ताकि हम खुद आत्मनिर्भर होने के साथ ही अन्य युवाओं को भी रोजगार दे सकें.

गाजीपुर: चाइनीज ऐप टिकटॉक की प्रसिद्धि किसी से छिपी नहीं है. देश भर के लोगों ने टिकटॉक को लेकर जो दिलचस्पी दिखाई वह शायद ही किसी चाइनीज एप में दिखाई देगी, लेकिन इस ऐप पर प्रतिबंध लगने के कारण युवाओं में थोड़ी मायूसी भी रही. यही वजह है कि काशी के हरहुआ के रहने वाले युवा प्रखर सिंह सार्थक ने टिकटॉक को टक्कर देने वाला एक ऐप बनाया है. प्रखर की मानें तो उन्होंने लॉकडाउन के दौरान पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया अभियान से प्रभावित होकर दोस्तों संग मिलकर रिवाइंड ऐप बनाया है.

स्पेशल रिपोर्ट
चीनी ऐप बैन होने के बाद आया ऐप डेवलपमेंट का विचारभारत सरकार ने पहले चीन के 59 ऐप बैन किए थे. इसके बाद भारत ने चीन से जुड़ी कंपनियों पर दोबारा चीन के 47 ऐप बैन कर दिए हैं. इन ऐप पर यूजर्स के डेटा चोरी के भी कई आरोप लगते रहे हैं. इसका संज्ञान लेते हुए भारत सरकार ने चीनी ऐप्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की. चीनी ऐप बैन होने के बाद इन युवाओं में नए ऐप को डेवलप करने का विचार आया. टिकटॉक बैन होने के बाद काशीवासी प्रखर ने अपने पांच दोस्तों के साथ मिलकर टिकटॉक की खूबियों वाल एक रिवाइंड ऐप बनाया है. इसमें शॉर्ट वीडियो क्लिप्स अपलोड की जा सकती है. प्रखर की मानें तो विदेशी कंपनियां अपने ऐप के माध्यम से भारत से मोटी कमाई कर अपने देश ले जाती थी, जिसका भारत को कोई लाभ नहीं होता था. वहीं उन्होंने चीनी ऐप को बैन किए जाने के सरकार के कदम का समर्थन किया है. उन्होंने बताया कि चाइना ऐप के माध्यम से रिवेन्यू जनरेट कर अपने देश ले जाता था. इसलिए हमने सोचा कि क्यों न हम खुद एक ऐप बनाएं जो स्वदेशी हो और हमारे लिए हो.पांच दोस्तों ने मिलकर बनाया ऐपप्रखर केवल अकेले नहीं हैं. उनके साथ पढ़ने वाले 5 दोस्तों की टीम है. जिसने यह कमाल करके दिखाया है. प्रखर ने बताया कि उनकी 5 लोगों की टीम में उनके अलावा उनकी बहन स्वर्णिमा सिंह, उनका दोस्त रजनीश गुप्ता और झांसी से वैष्णवी और आशिता विजय सेठ शामिल हैं.

दो माह की मेहनत से बनाया ऐप
रिवाइंड ऐप के बारे में जानकारी देते हुए प्रखर ने बताया कि यह एक शॉर्ट वीडियो अपलोडिंग प्लेटफॉर्म है. ऐप पर 15 से 30 सेकंड के वीडियो अपलोड किए जा सकते हैं. तकनीकी भाषा में इसे डपसमैश बोलते हैं. दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद हमने यह ऐप डेवलप किया. प्रखर ने बताया कि ऐप की साइज महज 10 एमबी है. डेटा आपका बिल्कुल सेफ है. सिक्योरिटी एनालिस्ट से ऐप का सिक्योरिटी टेस्ट भी कराया गया है, जिसमें डाटा चोरी का कोई डर नहीं है.

टीम बढ़ाकर युवाओं को रोजगार देने की सोच
प्रखर चाहते हैं कि चीनी ऐप की तरह वह भी रेवेन्यू जेनरेट करें. इस ऐप के जरिए जो भी रेवेन्यू जेनरेट हो वह पैसा विदेश जाने के बजाए देश के विकास में खर्च हो. उन्होंने कहा कि अगर उनका रिवाइंड ऐप बेहतर परफॉर्म करता है, तो वह अन्य युवाओं को भी इस प्लेटफार्म से जोड़कर रोजगार दे सकते हैं.

सरकारी मदद की है दरकार
प्रखर का कहना है कि यदि सरकार मदद करती है तो वह इस ऐप को और आगे लेकर जा सकते हैं. सरकार की स्टैंड अप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के फंड के लिए उन्होंने आवेदन किया है. प्रक्रिया चल रही है जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, उन्हें फंडिंग मिल जाएगी. प्रखर की मानें तो यह भारत के युवाओं के लिए एक अच्छा अवसर है. कोरोना के चलते एक तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है, लेकिन प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के तहत हम आगे बढ़ रहे हैं. ताकि हम खुद आत्मनिर्भर होने के साथ ही अन्य युवाओं को भी रोजगार दे सकें.

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