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गाजीपुर: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही 'कुपोषण मुक्ति योजना' - ghazipur

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कुपोषित बच्चों और उनकी मां को पोषित करने के लिए कई योजना चलाई जा रही हैं. इसके लिए करोड़ों रुपये का बजट हर साल लाया जाता है, इसके बावजूद ये सारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती जा रही हैं.

कुपोषण मुक्त भारत.
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Published : Aug 27, 2019, 9:05 AM IST

गाजीपुर: योगी सरकार यूपी को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए कई योजना चला रही है, लेकिन ये योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही हैं. मामला दो कुपोषित बच्चों का है, जब उनके मां-बाप उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए. इसके बाद उनसे सुविधा शुल्क की मांग की गई. सुविधा शुल्क न मिलने पर आशा कार्यकर्ता ने उनकी कोई मदद नहीं की. इसके बाद भी बच्चों का पिता उन्हें लेकर इमरजेंसी और एनआरसी के घंटों तक चक्कर काटता रहा.

इलाज के लिए आशा कार्यकर्ता ने मांगे रुपये.

जानें क्या है मामला
'कुपोषण मुक्ति योजना' के तहत प्रति माह आईसीडीएस विभाग की ओर से गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कई योजनाएं चलाई जाती हैं. इन योजनाओं के माध्यम से कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को चिंहित कर उन्हें स्वस्थ बनने के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है, लेकिन ये सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चलती दिख रही हैं.

कुपोषित बच्चों को गांवों से एनआरसी केंद्र लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की है. वहीं गाजीपुर में कुपोषित बच्चों को लेकर अस्पताल जाने के बाद भी वहां इलाज नहीं हो पा रहा है. जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाए गए बच्चों के परिजनों से आशा कार्यकर्ता 300 रुपये की मांग कर रही हैं.

इसे भी पढ़ें:- अब KGMU में मुफ्त होगी हेपेटाइटिस की जांच और इलाज

वहीं आशा कार्यकर्ताओं की ओर से पैसे की मांग किए जाने को लेकर सीएमओ ने बताया कि शिकायत के आधार पर आशा कार्यकर्ता की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी. अगर आशा कार्यकर्ता दोषी पाई जाती हैं तो उनको नौकरी से निकालने की करवाई की जाएगी.

गाजीपुर: योगी सरकार यूपी को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए कई योजना चला रही है, लेकिन ये योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही हैं. मामला दो कुपोषित बच्चों का है, जब उनके मां-बाप उन्हें इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आए. इसके बाद उनसे सुविधा शुल्क की मांग की गई. सुविधा शुल्क न मिलने पर आशा कार्यकर्ता ने उनकी कोई मदद नहीं की. इसके बाद भी बच्चों का पिता उन्हें लेकर इमरजेंसी और एनआरसी के घंटों तक चक्कर काटता रहा.

इलाज के लिए आशा कार्यकर्ता ने मांगे रुपये.

जानें क्या है मामला
'कुपोषण मुक्ति योजना' के तहत प्रति माह आईसीडीएस विभाग की ओर से गांवों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा कई योजनाएं चलाई जाती हैं. इन योजनाओं के माध्यम से कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को चिंहित कर उन्हें स्वस्थ बनने के लिए पोषाहार वितरित किया जाता है, लेकिन ये सभी योजनाएं सिर्फ कागजों में ही चलती दिख रही हैं.

कुपोषित बच्चों को गांवों से एनआरसी केंद्र लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की है. वहीं गाजीपुर में कुपोषित बच्चों को लेकर अस्पताल जाने के बाद भी वहां इलाज नहीं हो पा रहा है. जिला अस्पताल में इलाज के लिए लाए गए बच्चों के परिजनों से आशा कार्यकर्ता 300 रुपये की मांग कर रही हैं.

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वहीं आशा कार्यकर्ताओं की ओर से पैसे की मांग किए जाने को लेकर सीएमओ ने बताया कि शिकायत के आधार पर आशा कार्यकर्ता की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी. अगर आशा कार्यकर्ता दोषी पाई जाती हैं तो उनको नौकरी से निकालने की करवाई की जाएगी.

Intro:कैसे बनेगा हेल्दी इंडिया, कुपोषण मुक्ति की योजना चढ़ रही भ्रष्टाचार की भेंट

गाजीपुर। योगी सरकार यूपी को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए कई योजना चला रही है लेकिन वह योजना प्रभावी नहीं हो पा रही हैं। जिसकी बड़ी वजह भ्रष्टाचार है। मामला 2 कुपोषित बच्चों का है जब उनके मां बाप उन्हें इलाज के लिए खुद जिला अस्पताल लेकर आए। सुविधा शुल्क न देने पर आशा ने उनकी कोई मदद नही की। आँख से देख न सकने के बावजूद श्यामनारायण बच्चों को लेकर इमरजेंसी और एनआरसी घंटो चक्कर काटता रहा। मीडिया में मामला आने के बाद बच्चों को एनआरसी में एडमिट कराया गया।

Body:आपको बतादें पोषण मिशन के तहत प्रति माह आईसीडीएस विभाग द्वारा गाँवो में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा कई योजनाएं चलाई जाता है। जिसमें कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को चिनहित कर उन्हें स्वस्थ बनने के लिए करना पोषाहार का वितरण किया जाता है। लेकिन सभी योजनाएं कागजों में चलती दिख रही है। सरकार द्वारा दी जा रही इन योजनाओं के बदले ग़रीब अभिभावकों से पैसे ऐंठे जा रहे हैं। न देने पर कोई जानकारी देना तो दूर सुविधा भी नही दी जा रही।

गाँवो से कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र लाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ती ,एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की है। ताकि बच्चों को जिला अस्पताल लाकर डॉक्टर की सलाह से चेकअप करा उचित उपचार उपलब्ध कराया जा सके। वही अस्पताल लाए गए दोनों कुपोषित बच्चों के पिता ने बताया कि आशा द्वारा 300रुपये की मांग की गई है। 

Conclusion:इस मामले सीएमओ ने बताया कि शिकायत के आधार पर आशा कार्यकर्ता की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। अगर आशा दोषी पाई जाती हैं तो उनको नौकरी से निकलने की करवाई की जययगी।आपको बतादें की कुपोषित बच्चों और माँ को पोषित करने के लिए सरकार के द्वारा कई योजना चलाई जा रही है। करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाये जा रहा है लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात देखने को मिल रहा है।

बाइट- कुसुम ( परिजन )
बाइट - श्यामनारायण ( पिता )
बाइट - डॉ तनवीर अफ़रोज़ ( एनआरसी प्रभारी )
बाइट- डॉ जी सी मौर्य ( मुख्य चिकित्सा अधिकारी )

उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960


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