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रेलवे रिटायर्ड कर्मी ने एंबुलेंस में तोड़ा दम, किसी अस्पताल ने नहीं किया भर्ती - Ghaziabad news

गाजियाबाद में कई निजी अस्पतालों की ओर से भर्ती नहीं किये जाने के बाद रिटायर्ड रेलवे कर्मी की आखिर मौत हो गई. जिसके बाद मृतक के संबंधी जितेश शर्मा ने इस पूरे मामले की शिकायत पत्र लिखकर गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे को दी. जिस पर जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं.

रिटायर्ड रेलवे कर्मी के परिजनों ने डीएम को लिखा पत्र
रिटायर्ड रेलवे कर्मी के परिजनों ने डीएम को लिखा पत्र
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Published : Jun 17, 2020, 12:07 PM IST

गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक बार फिर निजी अस्पतालों की लापरवाही का मामला सामने आया है. निजी अस्पतालों की लापरवाही के चलते इलाज न मिलने के कारण रिटायर्ड रेलवे कर्मी की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने पत्र लिखकर गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे से शिकायत की है.

निजी अस्पताल ने नहीं किया भर्ती
जिलाधिकारी को जितेश शर्मा की ओर से भेजे गए पत्र के अनुसार, रविवार को उमेश कुमार को सांस लेने में दिक्कत हुई, जो कि कोविड-19 का लक्षण था. परिवार वालों की ओर से उनको विजय नगर स्थित निजी नर्सिंग होम में ले जाया गया. यहां उन्हें देखकर किसी हायर सेंटर से उपचार करने के लिए कहा गया. इसके बाद उनको कौशांबी स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां पर अस्पताल में उनकी कुछ जांच और उपचार करने के उपरांत अस्पताल की ओर से उनको भर्ती करने से इंकार कर दिया गया और कहा गया कि मरीज में कोरोना लक्षण हैं. इसके कारण उनको यहां भर्ती नहीं किया जा सकता है. साथ ही दिल्ली के रेलवे अस्पताल या कहीं और ले जाने का सुझाव देकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया. परिजनों ने मरीज को केवल रात भर के लिए भर्ती करने का अनुरोध किया, लेकिन अस्पताल ने एक नहीं सुनी. जिसके बाद परिजन निराश होकर मरीज को घर ले आए.

इस कारण हुई मरीज की मौत
सोमवार सुबह मरीज के परिजन उनको नंदग्राम के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां उनको भर्ती नहीं किया गया. इसके बाद दूसरे अस्पताल का दरवाजा परिजनों ने खटखटाया, लेकिन वहां भी डॉक्टर उपलब्ध न होने की बात कहकर वापस भेज दिया गया. परिजन निराश होकर मरीज को दूसरे निजी अस्पताल में ले गए, जहां इमरजेंसी में थोड़ी देर रखने के बाद उनको भर्ती करने से इनकार करते हुए जिला चिकित्सालय एमएमजी भेज दिया गया. वहीं अस्पताल पहुंचते ही सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीज की मृत्यु हो गई.

जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश
उमेश कुमार के परिजनों ने कई निजी अस्पतालों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. साथ ही परिजनों का कहना है कि कोविड-19 के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की परंतु वहां पर भी संपर्क नहीं हो पाया. मामला जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे के संज्ञान में आया तो जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए. एडीएम और एसीएमओ की संयुक्त टीम को इस पूरे मामले की जांच सौंपी गई है. जो कि पूरे मामले की जांच कर जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपेगी.

हालांकि यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी निजी अस्पतालों की लापरवाही सामने आ चुकी है. जिसके चलते गाजियाबाद के दो लोगों की उपचार न मिलने के कारण मौत हो गई थी. इसमे एक गर्भवती महिला भी शामिल है.

गाजियाबाद: दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक बार फिर निजी अस्पतालों की लापरवाही का मामला सामने आया है. निजी अस्पतालों की लापरवाही के चलते इलाज न मिलने के कारण रिटायर्ड रेलवे कर्मी की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने पत्र लिखकर गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे से शिकायत की है.

निजी अस्पताल ने नहीं किया भर्ती
जिलाधिकारी को जितेश शर्मा की ओर से भेजे गए पत्र के अनुसार, रविवार को उमेश कुमार को सांस लेने में दिक्कत हुई, जो कि कोविड-19 का लक्षण था. परिवार वालों की ओर से उनको विजय नगर स्थित निजी नर्सिंग होम में ले जाया गया. यहां उन्हें देखकर किसी हायर सेंटर से उपचार करने के लिए कहा गया. इसके बाद उनको कौशांबी स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया. जहां पर अस्पताल में उनकी कुछ जांच और उपचार करने के उपरांत अस्पताल की ओर से उनको भर्ती करने से इंकार कर दिया गया और कहा गया कि मरीज में कोरोना लक्षण हैं. इसके कारण उनको यहां भर्ती नहीं किया जा सकता है. साथ ही दिल्ली के रेलवे अस्पताल या कहीं और ले जाने का सुझाव देकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया. परिजनों ने मरीज को केवल रात भर के लिए भर्ती करने का अनुरोध किया, लेकिन अस्पताल ने एक नहीं सुनी. जिसके बाद परिजन निराश होकर मरीज को घर ले आए.

इस कारण हुई मरीज की मौत
सोमवार सुबह मरीज के परिजन उनको नंदग्राम के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां उनको भर्ती नहीं किया गया. इसके बाद दूसरे अस्पताल का दरवाजा परिजनों ने खटखटाया, लेकिन वहां भी डॉक्टर उपलब्ध न होने की बात कहकर वापस भेज दिया गया. परिजन निराश होकर मरीज को दूसरे निजी अस्पताल में ले गए, जहां इमरजेंसी में थोड़ी देर रखने के बाद उनको भर्ती करने से इनकार करते हुए जिला चिकित्सालय एमएमजी भेज दिया गया. वहीं अस्पताल पहुंचते ही सांस लेने में दिक्कत और ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीज की मृत्यु हो गई.

जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश
उमेश कुमार के परिजनों ने कई निजी अस्पतालों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. साथ ही परिजनों का कहना है कि कोविड-19 के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की परंतु वहां पर भी संपर्क नहीं हो पाया. मामला जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे के संज्ञान में आया तो जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए. एडीएम और एसीएमओ की संयुक्त टीम को इस पूरे मामले की जांच सौंपी गई है. जो कि पूरे मामले की जांच कर जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपेगी.

हालांकि यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी निजी अस्पतालों की लापरवाही सामने आ चुकी है. जिसके चलते गाजियाबाद के दो लोगों की उपचार न मिलने के कारण मौत हो गई थी. इसमे एक गर्भवती महिला भी शामिल है.

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