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लॉकडाउन: पुलिस ने पेश की मिसाल, बंदरों को खिलाया चना-अंगूर - kotwal rajiv singh

लॉकडाउन दौरान गाजीपुर जिले के जमानिया कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बेजुबान बंदरों का दर्द समझा. उन्हें चना-गुड़ और अंगूर खिलाया. वहां मौजूद लोगों ने कहा कि पुलिस ने इंसानियत की मिसाल पेश की है.

कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बंदरों खिलाया चना और अंगूर.
कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बंदरों खिलाया चना और अंगूर.
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Published : Apr 3, 2020, 12:17 AM IST

गाजीपुर: जिला पुलिस लॉक डाउन का अनुपालन कराने में लगातार मुस्तैद है. इन सबके बीच यूपी पुलिस की मार्मिक तस्वीर सामने आ रही है. कोरोना के चलते रामनवमी के दिन भी सभी मंदिरों पर ताला जड़ा है.

ऐसे में बेजुबान बंदरों का ध्यान भी यूपी पुलिस रख रही है. जमानिया कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बेजुबान बंदरों का दर्द समझा और उन्हें चना-गुड़ और अंगूर खिलाया ताकि उनका भी पेट भर सके.

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कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बंदरों खिलाया चना और अंगूर.

जमानिया कोतवाल राजीव कुमार सिंह से बताया कि पूरा भारत कोरोना संक्रमण से बचाव का प्रयास कर रहा है. लॉकडाउन के दृष्टिगत सभी मंदिर मस्जिद और दुकाने बंद हैं. ऐसे में बेजुबान जानवर अपना दर्द किस से कहने जाएंगे क्या खाएंगे.

उन्होंने बताया कि हम गरीब परिवारों को राशन वितरण के बाद लॉकडाउन के दृष्टिगत पेट्रोलिंग कर रहे थे. तभी मैंने बंदरों को देखा. मेरे ध्यान में यह बात आई की बेजुबान कहां खाएंगे, जब वह बंदरों के पास पहुंचे तो सभी बंदर उनके पास इकट्ठा हो गए.

उनका कहना है कि ऐसा लगा मानो वे कुछ बोलना चाहते थे, जिसके बाद मैंने हमराहियों से चना-गुड़ और अंगूर मंगाकर बंदरों में वितरित किया. ताकि गरीब परिवारों के साथ ही इन बेजुबानों का भी पेट भर सके.

गाजीपुर: जिला पुलिस लॉक डाउन का अनुपालन कराने में लगातार मुस्तैद है. इन सबके बीच यूपी पुलिस की मार्मिक तस्वीर सामने आ रही है. कोरोना के चलते रामनवमी के दिन भी सभी मंदिरों पर ताला जड़ा है.

ऐसे में बेजुबान बंदरों का ध्यान भी यूपी पुलिस रख रही है. जमानिया कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बेजुबान बंदरों का दर्द समझा और उन्हें चना-गुड़ और अंगूर खिलाया ताकि उनका भी पेट भर सके.

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कोतवाल राजीव सिंह ने भूखे बंदरों खिलाया चना और अंगूर.

जमानिया कोतवाल राजीव कुमार सिंह से बताया कि पूरा भारत कोरोना संक्रमण से बचाव का प्रयास कर रहा है. लॉकडाउन के दृष्टिगत सभी मंदिर मस्जिद और दुकाने बंद हैं. ऐसे में बेजुबान जानवर अपना दर्द किस से कहने जाएंगे क्या खाएंगे.

उन्होंने बताया कि हम गरीब परिवारों को राशन वितरण के बाद लॉकडाउन के दृष्टिगत पेट्रोलिंग कर रहे थे. तभी मैंने बंदरों को देखा. मेरे ध्यान में यह बात आई की बेजुबान कहां खाएंगे, जब वह बंदरों के पास पहुंचे तो सभी बंदर उनके पास इकट्ठा हो गए.

उनका कहना है कि ऐसा लगा मानो वे कुछ बोलना चाहते थे, जिसके बाद मैंने हमराहियों से चना-गुड़ और अंगूर मंगाकर बंदरों में वितरित किया. ताकि गरीब परिवारों के साथ ही इन बेजुबानों का भी पेट भर सके.

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