गाजियाबाद: गाजियाबाद में प्रदूषण कहर बरपा रहा. हवा में घुल रहे प्रदूषण के ज़हर से गाज़ियाबाद की सेहत बिगड़ रही है है. हवा में घुल रहे प्रदूषण स्तर के चलते लोगों को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. आज गाजियाबाद का प्रदूषण स्तर Dark Red Zone में दर्ज किया गया है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार गाजियाबाद का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 489 है. हालांकि मौजूदा समय में गाज़ियाबाद का AQI 'गंभीर' श्रेणी में बरकरार है. गाजियाबाद के लोनी इलाके के प्रदूषण स्तर की बात करें, तो यहां का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जनपद में सबसे अधिक दर्ज किया गया है. लोनी का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 499 दर्ज किया गया है.
आइए डालते हैं गाजियाबाद के प्रदूषण स्तर पर एक नजर-
489 | एक्यूआई |
इंदिरापुरम | 488 |
वसुंधरा | 483 |
संजय नगर | 487 |
लोनी | 499 |
देश में Top 10 प्रदूषित शहर
शहर | एक्यूआई |
गाज़ियाबाद | 489 |
बुलंदशहर | 478 |
ग्रेटर नोएडा | 474 |
नोएडा | 472 |
बागपत | 470 |
वृंदावन | 466 |
हिसार | 456 |
हापुड़ | 452 |
फरीदाबाद | 448 |
भिवानी | 444 |
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
जहरीले स्मॉग में कौन सी जानलेवा गैसें मौजूद
सर्दी में दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग का खतरा बढ़ जाता है. पराली और आतिशबाजी से होने वाले धुएं के चलते लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ता है.
सल्फर डाईऑक्साइड (SO2) बहुत ही खतरनाक गैस है, जो कोयला, पेट्रोलियम और दूसरे फ्यूल से जलने के बाद पैदा होती है. ऑक्सीजन की मौजूदगी में जब सल्फर जलती है, सल्फर डाईऑक्साइड पैदा होती है. इसे पर्यावरण में स्मॉग बनता है और अम्लीय बारिश और फेफेड़े से संबंधी बीमारियां होती हैं.
पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक गैसों में कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख है. इसकी ज्यादा मौजूदगी किसी इंसान की जिंदगी भी खत्म कर सकती है. गैस बॉयलर, स्टोव या फ्यूल से चलने वाले उपकरणों से ऐसी गैस निकलती है. कार्बन डाइऑक्साइड हमारे आसपास मौजूद एक सामान्य गैस है. इंसान और पौधे दोनों सांस लेने की प्रक्रिया में इस गैस का उत्सर्जन करते हैं.
नाइट्रोजन ऑक्साइड पर्यावरण में तब बनती है, जब नाइट्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर रिएक्ट करते हैं. इसके अलावा वाहनों के इंजन और पावर प्लांटों से ये गैस पैदा होती है. इसके चलते एसिड रेन, ओजोन और स्मॉग पैदा होता है. पर्यावरण में प्रदूषण के रूप में कार्बन आधारित केमिकल मौजूद होते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन घरों में होने वाले पेंट में ऐसे तत्व मौजूद होते हैं.
PM पार्टिकुलेट इस वक्त समाज में सबसे ज्यादा चर्चा वाला विषय बन गया है. स्मॉग में इसकी मौजूदगी सबसे ज्यादा है. ये गैस नहीं लेकिन 10 microns तक के छोटे-छोटे कण होते हैं. जो वायु प्रदूषण पैदा करते हैं. इनमें ट्रैफिक का धुआं, अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग से निकलने वाले छोटे-छोटे कण शामिल होते हैं. शहरों में ये ज्यादा होते हैं.
क्लोरोफ्लोरोकार्बन के बारे में पहले माना जाता था कि हानिकारक नहीं है. क्योंकि ये घरों में इस्तेमाल होने वाले रेफ्रिजरेटर और दूसरे घरेलू स्प्रे में इस्तेमाल होता है. लेकिन बाद में पता चला कि इससे धरती की ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है. ओजोन को टाइ-ऑक्सीजन भी कहते हैं. ये ऑक्सीजन के तीन एटम से मिलकर बना है. इसलिए इसका केमिकल फॉर्मूला O3 है. सूरज से आने वाली बैंगनी अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से ये धरती के ऊपर मौजूद ओजोन की परत रक्षा करती है. लेकिन ग्राउंड लेवल पर ये जहरीली हो जाती है. जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
इस जहरीली हवा में लोगों जरूरी सावधानी बरतने की जरूरत है. क्या सावधानियां बरतें आइए जानते हैं.
- बच्चे, बुजुर्ग और दमा रोगी सुबह और शाम को न टहलें.
- घर से मास्क लगाकर ही बाहर जाएं.
- दमे के रोगी इन्हेलर का नियमित इस्तेमाल करें.
- दमे के रोगी दवा नियमित समय पर लें.
- शाम को गर्म पानी की भाप लें.
- गले में खराश होने पर गुनगुने पानी से गरारा करें.
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