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सावन का पहला सोमवार: दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार

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Published : Jul 6, 2020, 2:26 PM IST

गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सुबह से भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई है. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन करते हुए श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है. एक बार में मंदिर में सिर्फ दो ही भक्तों को जाने दिया जा रहा है.

दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार
दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार

गाजियाबाद: सावन के पहले सोमवार को लेकर शिव भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सुबह से भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई है. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है और एक बार में मंदिर में सिर्फ दो ही भक्तों को जाने दिया जा रहा है. सावन के पहले सोमवार को पूरा माहौल शिव भक्ति में डूबा हुआ है.

सावन के पहले सोमवार का काफी महत्व होता है. भगवान भोले बाबा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की बात करें तो इसकी प्राचीन मान्यता है. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था, जहां पर एक गाय आया करती थी और स्वयं दूध दिया करती थी. बाद में वहीं पर खुदाई करके देखा गया तो भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए. इसके बाद मंदिर में रावण के पिता ने पूजा-अर्चना की और आगामी काल में रावण ने भगवान दूधेश्वर के चरणों में अपना 10वां शीष समर्पित किया था.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भक्तों ने की पूजा

मंदिर में भले ही पहले की तुलना में भक्तों की संख्या कम हो, लेकिन उत्साह कम नहीं है. मौका सोमवार का हो और उसमें भी शुरुआत सावन के महीने की हो रही हो, तो इस दिन का अलग ही महत्व होता है. सावन के पहले सोमवार के दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. कोरोना काल में भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग से संबंधित सभी सावधानी रखने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. मंदिर के द्वार पर ही सैनिटाइजिंग टनल बनाई गई है.

गाजियाबाद: सावन के पहले सोमवार को लेकर शिव भक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सुबह से भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई है. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है और एक बार में मंदिर में सिर्फ दो ही भक्तों को जाने दिया जा रहा है. सावन के पहले सोमवार को पूरा माहौल शिव भक्ति में डूबा हुआ है.

सावन के पहले सोमवार का काफी महत्व होता है. भगवान भोले बाबा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की बात करें तो इसकी प्राचीन मान्यता है. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था, जहां पर एक गाय आया करती थी और स्वयं दूध दिया करती थी. बाद में वहीं पर खुदाई करके देखा गया तो भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए. इसके बाद मंदिर में रावण के पिता ने पूजा-अर्चना की और आगामी काल में रावण ने भगवान दूधेश्वर के चरणों में अपना 10वां शीष समर्पित किया था.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भक्तों ने की पूजा

मंदिर में भले ही पहले की तुलना में भक्तों की संख्या कम हो, लेकिन उत्साह कम नहीं है. मौका सोमवार का हो और उसमें भी शुरुआत सावन के महीने की हो रही हो, तो इस दिन का अलग ही महत्व होता है. सावन के पहले सोमवार के दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. कोरोना काल में भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग से संबंधित सभी सावधानी रखने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. मंदिर के द्वार पर ही सैनिटाइजिंग टनल बनाई गई है.

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