गाजियाबाद: कोरोना काल में सुसाइड के मामले बढ़ रहे हैं. हाल ही में गाजियाबाद से एक मामला सामने आया था. जहां कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर, लोनी बॉर्डर इलाके के युवक ने सुसाइड कर ली थी. सुसाइड की इस बढ़ती प्रवृत्ति की समस्या का हल गाजियाबाद की मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल ने बताया है.
'मरीज के प्रति अच्छा व्यवहार'
मनोचिकित्सक हिमिका अग्रवाल का कहना है कि कोरोना संक्रमित मरीज को अकेला महसूस नहीं होने देना चाहिए. सोशल मीडिया के जरिए मनोबल बढ़ाया जा सकता है. अक्सर कोरोना के मरीज को ऐसा लगता है कि संक्रमित होने के बाद लोग उससे और उसके परिवार से दूर भागने लगेंगे, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से मरीज और उनके परिवार तक सकारात्मक मैसेज पहुंचाए जाने चाहिए.
मरीज और परिवार के प्रति अपने व्यवहार को अच्छा रखना चाहिए, जिससे मरीज निराशावादी न हो. समाज की मिली-जुली पहल और एकता से सुसाइड केस रोके जा सकते हैं. सिर्फ कोरोना केस में ही नहीं, निराश दिखने वाले किसी भी व्यक्ति को सकारात्मक व्यवहार से सुसाइड करने से रोका जा सकता है.
डीएम भेज रहे हैं पत्र
हिमिका ने कहा कि कोरोना संक्रमित और उसके परिवार को इस बात का एहसास पूरी तरह से कराते रहना चाहिए कि इस बीमारी का इलाज है, तो फिर क्यों डरना है. गाजियाबाद के डीएम ने भी मनोबल बढ़ाने के लिए मरीजों को अस्पताल में पत्र भेजना शुरू किया है.
पत्र में के माध्यम से जिलाधिकारी मरीज को बताते हैं कि 100 से ज्यादा मरीज संबंधित अस्पताल से ही ठीक हो चुके हैं. इसलिए डरने की जरूरत नहीं है. मरीज को इस बात से आश्वस्त किया जाता है कि वो भी जल्दी ठीक हो जाएगा.