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2004 से 2017 तक के अधिकारियों पर गिर सकती है गाज, SIT ने जांच की शुरू - Supertech Emerald

सुपरटेक एमरॉल्ड मामले में नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी का कहना है कि सुपरटेक एमरॉल्ड से संबंधित, जो भी रिकॉर्ड SIT मांगेगी, उसे मुहैया कराया जाएगा. सुपरटेक एमरॉल्ड में अवैध रूप से बने दोनों टावरों को गिराने का आदेश 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया था.

सुपरटेक एमरॉल्ड मामले
सुपरटेक एमरॉल्ड मामले
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Published : Sep 7, 2021, 5:57 AM IST

नोएडा: सुपरटेक की सेक्टर-93 A स्थित एमरॉल्ड प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ट्विन टावर का 40 मंजिल का नक्शा नोएडा से पास होने के भ्रष्टाचार के मामले में सोमवार को SIT सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण के कार्यालय पहुंची. SIT के सवालों का जवाब देने और उनको पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराने के लिए प्राधिकरण ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी. SIT के अध्यक्ष औद्योगिक विकास आयुक्त एवं नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन संजीव मित्तल हैं. वहीं, सदस्य के रूप में ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव और मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सब्बरवाल हैं. एमरॉल्ड मामले में वर्ष 2004 में आवंटन के समय से लेकर 2012 तक में मानचित्रों में हुए बदलाव और आरटीआई का जवाब नहीं देने के मामले में भी जांच की जाएगी.

कोर्ट द्वारा इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे. सुपरटेक मामले की गंभीरता को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण की CEO ने दोनों ACEO की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि SIT की जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है. अब सुपरटेक एमरॉल्ड के साथ-साथ वर्ष 2004 से 2017 तक जितनी भी परियोजनाओं के मानचित्रों में बदलाव किया गया और FAR में फेरबदल किया गया, उन सभी परियोजनाओं की जांच SIT करेगी.

इसे भी पढ़ें:नोएडा ट्विन टावर मामला : SIT की टीम पहुंची नोएडा प्राधिकरण, मची खलबली

बता दें कि कि मानचित्र में बदलाव की अनुमति आवंटन के समय समिति लेती थी, जिसमे सीईओ के हस्ताक्षर नहीं हैं, पर एफएआर की मंजूरी सीईओ व बोर्ड बैठक में होती है. सुपरटेक मामले में सन 2006 में पहली बार मानचित्र में बदलाव के वक्त CEO संजीव शरण, दूसरी बार 2009 में मानचित्र में बदलाव के समय CEO मोहिंदर सिंह व तीसरी बार 2012 में बदलाव के समय CEO कैप्टन एस के द्विवेदी थे.

अब देखना है कि SIT नोएडा प्राधिकरण की ओर से भेजे गए आठ नामों पर ही अपनी रिपोर्ट शासन को देगी या उससे आगे जाकर OSD, ACEO और CEO को भी जांच के घेरे में आएंगे. सप्ताह भर बाद ही यह पता चल पाएगा कि किन किन अधिकारियों के ऊपर SIT की जांच के बाद गाज गिरेगी.

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नोएडा: सुपरटेक की सेक्टर-93 A स्थित एमरॉल्ड प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ट्विन टावर का 40 मंजिल का नक्शा नोएडा से पास होने के भ्रष्टाचार के मामले में सोमवार को SIT सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण के कार्यालय पहुंची. SIT के सवालों का जवाब देने और उनको पूरा रिकॉर्ड मुहैया कराने के लिए प्राधिकरण ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी. SIT के अध्यक्ष औद्योगिक विकास आयुक्त एवं नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन संजीव मित्तल हैं. वहीं, सदस्य के रूप में ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक अनूप कुमार श्रीवास्तव और मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सब्बरवाल हैं. एमरॉल्ड मामले में वर्ष 2004 में आवंटन के समय से लेकर 2012 तक में मानचित्रों में हुए बदलाव और आरटीआई का जवाब नहीं देने के मामले में भी जांच की जाएगी.

कोर्ट द्वारा इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करते हुए मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे. सुपरटेक मामले की गंभीरता को देखते हुए नोएडा प्राधिकरण की CEO ने दोनों ACEO की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि SIT की जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है. अब सुपरटेक एमरॉल्ड के साथ-साथ वर्ष 2004 से 2017 तक जितनी भी परियोजनाओं के मानचित्रों में बदलाव किया गया और FAR में फेरबदल किया गया, उन सभी परियोजनाओं की जांच SIT करेगी.

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बता दें कि कि मानचित्र में बदलाव की अनुमति आवंटन के समय समिति लेती थी, जिसमे सीईओ के हस्ताक्षर नहीं हैं, पर एफएआर की मंजूरी सीईओ व बोर्ड बैठक में होती है. सुपरटेक मामले में सन 2006 में पहली बार मानचित्र में बदलाव के वक्त CEO संजीव शरण, दूसरी बार 2009 में मानचित्र में बदलाव के समय CEO मोहिंदर सिंह व तीसरी बार 2012 में बदलाव के समय CEO कैप्टन एस के द्विवेदी थे.

अब देखना है कि SIT नोएडा प्राधिकरण की ओर से भेजे गए आठ नामों पर ही अपनी रिपोर्ट शासन को देगी या उससे आगे जाकर OSD, ACEO और CEO को भी जांच के घेरे में आएंगे. सप्ताह भर बाद ही यह पता चल पाएगा कि किन किन अधिकारियों के ऊपर SIT की जांच के बाद गाज गिरेगी.

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